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JNU छात्र संघ चुनाव: 3 पर लेफ्ट-1 पर BAPSA की जीत, ABVP के हाथ फिर खाली

JNUSU Election Result 2024: जेएनयू में हुए चुनाव में बीजेपी समर्थित ABVP को एक भी प्रमुख पद पर जीत नहीं मिली.

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JNUSU Election: ''पूरा कैंपस लाल है’ के नारे के साथ JNU छात्रसंघ चुनावों में लेफ्ट गठबंधन और दलित संगठन, BAPSA (Birsa Ambedkar Phule Students' Association), की जीत हुई है.''

पिछले कुछ सालो में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) लगातार सुर्खियों में रहा है. एक बार फिर से JNU अपने छात्रसंघ चुनावों के लेकर चर्चा में है. 22 मार्च को JNU की छात्र सभा की कुल चार सीटों के लिये वोटिंग हुई थी जिसमें से तीन सीटों पर लेफ्ट के वामपंथी उम्मीदवारों ने और एक सीट पर 'बिरसा अंबेडकर फूले स्टूडेंट एसोसिएशन' (BAPSA) नाम के एक दलित राजनीति करने वाले छात्र दल ने जीत दर्ज की. वही भारतीय जनता पार्टी के छात्र संगठन अखिल विद्यार्थी परिषद (ABVP) को चार मुख्य सीटों में से किसी भी सीट पर कोई सफलता नहीं मिली.

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किस पोस्ट पर कौन जीता?

JNU के छात्रों ने JNU की छात्र सभा में प्रेसिडेंट के पद पर तकरीबन 2598 वोटों से धनंजय को चयनित किया है. धनंजय पिछले काफी वर्षों से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के छात्र दल AISA (All India Students Association) के साथ जुड़कर छात्र राजनीति में सक्रिय हैं. धनंजय बिहार के गया जिला के रहने वाले हैं और JNU से थिएटर एवं परफॉरमेंस के क्षेत्र में पीएचडी कर रहे हैं.

JNU छात्र सभा की वाइस-प्रेसिडेंट के पद पर लगभग 2409 वोटों से अविजित घोष ने जीत दर्ज की है. अविजित बंगाल के सिलीगुड़ी जिले से आते है और JNU में सोशल साइंस विभाग के रीजनल डेवलपमेंट नाम के उपविभाग से पीएचडी कर रहे हैं. अविजित SFI (Students’ Federation of India) के सदस्य हैं. SFI, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) का घटक, छात्र दल है.

लेफ्ट उम्मीदवार का नॉमिनेशन कैंसिल होना और left+BAPSA ?

प्रेसिडेंट और वाइस-प्रेसिडेंट की दो सीटों को छोड़कर, जनरल सेक्रेटरी की तीसरी सीट पर प्रियांशी आर्या नाम की उम्मीदवार ने करीब 2887 वोटों से जीत हासिल की. प्रियांशी किसी लेफ्ट संगठन से ना होकर दलित राजनीति करने वाले संगठन BAPSA से संबंध रखती हैं.

BAPSA को JNU कैंपस में अपनी वामपंथी राजनीति से इतर अंबेडकरवादी विचारधारा के लिये जाना जाता है. प्रियांशी की जीत को लेफ्ट समर्थित करार दिया जा रहा है क्योंकि लेफ्ट ने स्वाती सिंह नाम की एक छात्रा को जनरल सेक्रेटरी की पोस्ट पर उतारा था और चूंकि वोटिंग से कुछ घंटे पहले स्वाती सिंह का नामांकन कुछ कारणों वश इलेक्शन कमेटी ने रद्द कर दिया था इसलिये लेफ्ट ने BAPSA की प्रियांशी को समर्थन दे दिया था.

हालांकि BAPSA का कहना है कि स्वाती के नामांकन को जिस प्रकार रद्द किया गया है वह बेहद अलोकतांत्रिक है, लेकिन BAPSA ने जनरल सेक्रेटरी की पोस्ट के लिये लेफ्ट के किसी भी प्रकार के औपचारिक समर्थन को अस्वीकार किया था.

जिस तरीके से BAPSA जनरल सेक्रेटरी की सीट को छोड़कर अन्य सीटों पर मात्र एक हजार वोट भी नहीं जुटा पाया उसको देखकर लगता है की BAPSA की जनरल सेक्रेटरी की उम्मीदवार, प्रियांशी आर्या, को लेफ्ट के समर्थन से वास्तव में काफी लाभ मिला है. वही दूसरी ओर BAPSA के प्रमुख प्रमोद सागर का कहना है की लेफ्ट के कथित समर्थन की वजह से BAPSA का वोट बिखर गया जिससे BAPSA को मिले वोटों में पिछले वर्षों की तुलना में भारी गिरावट आई है.

इसके अतिरिक्त ज्वाइंट सेक्रेटरी का पद वो आखिरी पद था जिस पर JNU के छात्रों ने लेफ्ट के एक और उम्मीदवार मोहम्मद साजिद को चुना है. साजिद AISF (All India Students' Federation) से ताल्लुक रखते है. AISF की गिनती भारत की छात्र राजनीति में कुछ सबसे पुराने छात्र संगठनों में की जाती है.

(आलोक JNU के पूर्व छात्र रहें हैं. वर्तमान में आलोक The Reporters’ Collective के साथ fellow हैं)

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