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असम, उत्तराखंड के बाद कर्नाटक? 30 दिन में इस्तीफा दे सकते हैं येदियुरप्पा

CM Yediyurappa 26 जुलाई से 16 अगस्त के बीच, किसी भी दिन इस्तीफा दे सकते हैं

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शायद ही कभी किसी ने कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (CM Yediyurappa) को सार्वजनिक रूप में मुस्कुराते या हंसते देखा होगा. वह अपनी भावनाओं को अपने तक ही सीमित रखने के लिए जाने जाते हैं. इसलिए 17 जुलाई को जब उन्होंने अपने कथित इस्तीफे पर मीडिया के सवालों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि "इसमें कोई सच्चाई नहीं है,बिल्कुल भी नहीं", तब वह दरअसल एक साधारण इनकार के अलावा और भी बहुत कुछ था.

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बीजेपी सूत्रों के मुताबिक येदियुरप्पा कुछ ही दिनों में इस्तीफा दे सकते हैं. सूत्रों ने 'द क्विंट' को बताया कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के 26 जुलाई से 16 अगस्त के बीच, किसी भी दिन इस्तीफा देने की उम्मीद है.

उत्तर प्रदेश के बाद कर्नाटक का नंबर

सूत्रों ने स्पष्ट किया कि कर्नाटक सीएम की धार्मिक मान्यताओं के कारण इस्तीफे की तारीख को लेकर अनिश्चितता है. अंकशास्त्र विश्वास रखने वाले घोर धार्मिक व्यक्ति, येदियुरप्पा 8 अगस्त को समाप्त होने वाले आषाढ़ महीने (जिसे अशुभ माना जाता है) के खत्म होने का इंतजार कर सकते हैं.

मुख्यमंत्री ने 26 जुलाई को विधायक दल की बैठक बुलाई है जिसकी मांग विधायक, खासकर सीएम बनने की चाहत रखने वाले, लंबे समय से कर रहे हैं. बीजेपी आलाकमान सीएम पद के लिये येदियुरप्पा के रिप्लेसमेंट पर जल्द फैसला लेगी, हालांकि पार्टी के कर्नाटक प्रभारी अरुण सिंह ने राज्य में किसी भी नेतृत्व परिवर्तन से इनकार किया है.

येदियुरप्पा के इस्तीफे की मांग कर रहे बीजेपी विधायकों को उम्मीद थी कि पार्टी आलाकमान केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार के बाद कर्नाटक में भी बदलाव करेगी. हालांकि कर्नाटक बीजेपी के गलियारों में सबको ये भी पता था कि पार्टी उत्तर प्रदेश के अंदरूनी असंतोष को शांत करने के बाद ही कर्नाटक पर फैसला ले सकती है.

पीएम मोदी और येदियुरप्पा ने किस बारे में बात की?

पता चला है कि पीएम मोदी के साथ 10 मिनट की बैठक के दौरान येदियुरप्पा ने शुरू में पार्टी से उन्हें कार्यकाल पूरा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था .कर्नाटक में विधानसभा चुनाव 2023 में होने हैं.

कहा जा रहा है कि इस पर पीएम मोदी ने येदियुरप्पा से कहा कि पार्टी के सभी नेताओं को युवा पीढ़ी के लिए रास्ता बनाना होगा. हालांकि मोदी ने राज्य में किए उनके 'अच्छे काम' को स्वीकार भी किया.

मुख्यमंत्री ने तब 'स्वास्थ्य के आधार पर' इस्तीफा देने की पेशकश की थी. जिसके बाद पीएम मोदी ने उनसे कहा "आप 5 मिनट बैठ कर जाइए". अन्य नेताओं के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री को पार्टी मजबूत करने और सभी आगामी चुनाव जीतने की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा गया था.

पार्टी ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में खराब प्रदर्शन किया है, जहां बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी रही. मई में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने बेलागावी लोकसभा सीट पर बहुत कम अंतर से जीत दर्ज की थी और वह मस्की विधानसभा क्षेत्र से हार गई ,जहां पर कांग्रेस ने बीजेपी से आए नेता को अपना उम्मीदवार बनाया था.

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अमित शाह ने डील कराई पक्की?

येदियुरप्पा ने 16-17 जुलाई के बीच के 24 घंटे में बीजेपी के उन सभी शीर्ष नेताओं से मुलाकात की, जिनका उनके सीएम बने रहने या पद छोड़ने पर अंतिम फैसला होता. पीएम मोदी ,बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अपनी मुलाकात के बाद येदियुरप्पा गृह मंत्री अमित शाह से मिले बिना ही एयरपोर्ट की ओर रवाना हो रहे थे, तभी उन्हें अमित शाह का फोन आया.

बीजेपी सूत्रों के अनुसार अमित शाह की बैठक में डील तय हुई और उसी के बाद येदियुरप्पा का जल्द ही इस्तीफा तय हो गया. 17 जुलाई को देर से बेंगलुरु लौटने के बाद इस बार मुख्यमंत्री का अंदाज अलग था जबकि उन्होंने पहले अपने इस्तीफे की अटकलों को खारिज कर दिया था.

उन्होंने कहा "मैं दोहराता हूं कि नेताओं की कोई कमी नहीं है और अभी के लिए मुझे जिम्मेदारी दी गई है. मुझे अभी के लिए पद पर बने रहने के लिए कहा गया है. हमें वही करना होगा जो नेतृत्व कहता है. मैंने उन्हें आश्वासन दिया है कि हम विधानसभा और लोकसभा चुनाव में और अधिक सीटें जीतने के लिए मिलकर काम करेंगे".
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पार्टी नेतृत्व के लिए परिवर्तन का अच्छा मौका

सूत्रों के अनुसार बीजेपी नेतृत्व उत्तराखंड और असम की तरह ही कर्नाटक में सत्ता का हस्तांतरण बिना किसी परेशानी के करना चाहता है. उत्तराखंड और असम के केस में भी मुख्यमंत्रियों को अपना इस्तीफा पत्र लेने के लिए दिल्ली बुलाया गया था.

एक सूत्र ने कहा "पार्टी के लिए नेतृत्व परिवर्तन का यह सबसे अच्छा समय है क्योंकि आसपास कोई चुनाव नहीं है यहां तक कि महामारी के मद्देनजर वृहद बेंगलुरु महानगर पालिका और पंचायतों का चुनाव भी अगले साल के लिए स्थगित कर दिया गया है"

केंद्रीय नेतृत्व को भरोसा है कि येदियुरप्पा इस बार पार्टी के लिए कोई बाधा पैदा नहीं करेंगे. उन्होंने 2012 में बीजेपी छोड़कर 'कर्नाटक जनता पक्ष' बना लिया था. इस नई पार्टी के कारण बीजेपी 2013 विधानसभा चुनाव में 110 सीटों से सिमटकर 40 सीटों पर आ गई .

इसके अलावा येदियुरप्पा के लिए अपने दो बेटों का भविष्य महत्वपूर्ण है - शिवमोगा लोकसभा सांसद बीवाई राघवेंद्र और कर्नाटक बीजेपी उपाध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र. पार्टी आलाकमान के विश्वास को बनाए बिना उनका भविष्य सुरक्षित नहीं किया जा सकता.

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येदियुरप्पा को राज्यपाल पद की पेशकश?

द क्विंट ने इससे पहले एक रिपोर्ट में बताया था कि येदियुरप्पा को महाराष्ट्र या तेलंगाना के राज्यपाल पद की पेशकश के बारे में चर्चा चल रही है. यहां तक कि उनके बेटे विजयेंद्र के लिए भी इस पद की चर्चा है - बातचीत अभी जारी है.

कई सालों से बीजेपी के साथ खड़ा लिंगायत समूह भी येदियुरप्पा की अनुपस्थिति का विरोध नहीं करेगा, क्योंकि पंचमसाली उप-संप्रदाय के नेताओं ने उन्हें पहले ही ठुकरा दिया है.

येदियुरप्पा के लिए अपनी सत्ता बचाए रखना हमेशा से मुश्किल भरा रहा है. वो 2007 में एक सप्ताह, 2008 में साढे 3 साल और 2018 में 3 दिन के लिए मुख्यमंत्री थे. 2021 में भी क्या उन्हें बाकी बचे 2 साल के कार्यकाल को पूरा करने का मौका नहीं दिया जाएगा?

(नाहीद अताउल्ला बेंगलुरु स्थित एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. उन्होंने द टाइम्स ऑफ इंडिया के राजनीतिक संपादक के रूप में काम किया है.)

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