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कर्नाटक में कांग्रेस का किला क्यों हुआ ध्वस्त, ये है पांच वजह

राहुल गांधी ने कर्नाटक चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी

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कर्नाटक चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए करारा झटका है, लगातार कई राज्यों में सरकार गंवाने के बाद कांग्रेस के सबसे बड़े किले में सेंध लग गई है. राहुल गांधी की ताजपोशी के बाद ये पहला बड़ा चुनाव था, लेकिन बीजेपी के सामने कांग्रेस नहीं टिक पाई और आखिर कर्नाटक भी उसके हाथ से निकल गया.

राहुल गांधी ने कर्नाटक चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी, उन्होंने 20 रैलियां की और 40 रोड शो भी किए. जिसमें करीब 74 विधानसभा सीटों को कवर किया. फिलहाल शुरुआती रुझानों में इन 74 सीटों में करीब 40 पर बीजेपी आगे चल रही है.

राहुल गांधी ने कर्नाटक में ही पहली बार एक रैली के दौरान कहा था कि वो प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं, लेकिन कर्नाटक जीतने के लिए कांग्रेस का कोई दांव काम नहीं आया. क्या है कांग्रेस की हार की 5 बड़ी वजह-

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कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले लिंगायतों को अलग धर्म बनाने का पत्ता फेंका था. ये सीधे-सीधे लिंगायत समुदाय को लुभाने की कोशिश थी. परंपरागत तौर पर लिंगायत बीजेपी का वोट बैंक हैं. कर्नाटक में करीब 17 फीसदी लिंगायत हैं और 100 विधानसभा सीटों पर इनका असर है.

बीजेपी ने कांग्रेस के इस कदम की जमकर आलोचना की थी, बीजेपी को भी डर था कि कहीं उसका वोट बैंक हाथ से फिसल ना जाएं. लेकिन कांग्रेस का ये कार्ड फेल हो गया.

कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका उसके गढ़ में लगा है, मैसूर और हैदराबाद जहां कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 122 सीटों में से 63 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहां पर उनकी परफॉमेंस काफी निराशाजनक है. अब तक आए रुझानों में कांग्रेस को दोनों ही जगहों पर नुकसान होता नजर आ रहा है.

हैदराबाद में 40 सीटें हैं, यहां बीजेपी को अच्छी खासी बढ़त मिली है. ओल्ड मैसूर में 64 सीटें हैं, जो जेडीएस का गढ़ माना जाता है, यहां पर बीजेपी को बढ़त मिलती दिख रही है और कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा है.

इस चुनाव में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने आक्रामक प्रचार किया.वहीं कई मौकों पर उनका बड़बोलापन भी नजर आया. सिद्धारमैया पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला करने से भी नहीं चूके और उन्होंने अपनी रैलियों में पीएम मोदी पर खूब शब्दों के बाण चलाए. जो शायद कर्नाटक की जनता को रास नहीं आया.सिद्धारमैया ने मोदी के गुजरात मॉडल के सामने कांग्रेस का कर्नाटक मॉडल पेश किया. उन्होंने दावा किया कि उनकी नीतियों की वजह से कर्नाटक लगातार दो साल 2016 और 2017 में निवेश के लिहाज से देश में सबसे अगड़ा राज्य रहा.

कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह पार्टी के अंदर गुटबाजी भी मानी जा रही है. सीएम सिद्धारमैया को लेकर भी पार्टी में खूब खींचतान हुई. यहीं नहीं टिकट बंटवारे को लेकर भी पार्टी में खूब हंगामा मचा. कांग्रेस के अपने ही कार्यकर्ताओं ने सिद्धारमैया पर मनमानी का आरोप लगाया. यहां तक कि टिकट बंटवारे के खिलाफ कई नेताओं ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया.

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कर्नाटक में कांग्रेस जातीय समीकरण बैठाने में नाकाम साबित हुई. पीएम मोदी ने अपने रैलियों में दलित और आदिवासियों का खूब मुद्दा उठाया. तो वहीं उत्रर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव मैदान में उतारकर हिंदुत्व कार्ड भी खेला, जो बीजेपी के काम आया.

वहीं जेडीएस और बीएसपी का साथ आना भी कांग्रेस के लिए घातक साबित हुआ.कर्नाटक में आमतौर पर दलित कांग्रेस के वोटर माने जाते रहे हैं, लेकिन इस चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी के जेडीएस से हाथ मिलाने का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा. दोनों पार्टियों के साथ आने से कांग्रेस का अच्छा-खासा वोट छिटक गया कांग्रेस का हार का मुंह देखना पड़ा.

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