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कर्नाटक:कांग्रेस की जीत का सेहरा किसके सिर, सिद्धारमैया-शिवकुमार को क्या मिलेगा?

Karnataka Election Result 2023: कांग्रेस नेता ने कहा कि 7-8 माह बाद लोकसभा चुनाव हैं. उसी के हिसाब से तय किया जाएगा

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कर्नाटक (Karnataka) ने अपनी 38 साल की रवायत को कायम रखा और राज्य में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हुआ है. ताजा नतीजों को देखें तो साफ है कि इस बार कर्नाटक में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ वापसी कर रही है और अब सवाल उठ रहा है कि आखिरी जीत के बाद कौन होगा कर्नाटक का 'किंग', मतलब किसे बनाया जायेगा मुख्यमंत्री. दावेदार कई हैं, लेकिन दो नाम सबसे आगे हैं- सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार.

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पार्टी सूत्रों की मानें तो सिद्धारमैया रेस में सबसे आगे चल रहे हैं और उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. लेकिन क्यों और इसकी वजह है. आइये आपको बताते हैं.

सिद्धारमैया क्यों पसंद?

कर्नाटक की सियासत में सिद्धारमैया एक बड़ा नाम है. वो कांग्रेस के कद्दावर नेता के साथ राज्य में एक मजबूत चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं. अपने चार दशक के चुनावी राजनीति (1983 से अब तक) में सिद्धारमैया कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे और यही कारण है कि उन्हें कर्नाटक की सियासत में इग्नोर करना आसान नहीं है. 9 बार के विधायक सिद्धारमैया की पैन कर्नाटक में पकड़ है. वो तीन बार राज्य के डिप्टी सीएम और एक बार 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं. ऐसे में उनके पास प्रशसानिक अनुभव ज्यादा है.

जातीय समीकरण में फिट, गांधी परिवार के खास

सिद्धारमैया को गांधी परिवार का करीबी माना जाता है, 2005 में एचडी देवगौड़ा से बगावत कर कांग्रेस में आये सिद्धारमैया को पार्टी ने हमेशा तरजीह दी. 2013 में कांग्रेस ने पूर्व बहुमत की सरकार बनायी तो उस वक्त भी पार्टी ने खड़गे की जगह सिद्धारमैया को चुना.

कांग्रेस के एक बड़े नेता ने नाम न छपने की शर्त पर बताया, "सिद्धारमैया बड़े नेता हैं, वो गाधी परिवार के खास हैं, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी सिद्धारमैया के पक्ष में हैं. जबकि AICC महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा डीके शिवकुमार के पक्ष में हैं."

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वरिष्ठ पत्रकार ललित राय ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "सिद्धारमैया कुरुबा गौड़ा समुदाय से आते हैं. इस जाति की राज्य में सात फीसदी आबादी है. इसके अलावा AHINDA (दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ी जाति) भी कांग्रेस को कर्नाटक में सिद्धारमैया की वजह से समर्थन करते आया है. ऐसे में सिद्धारमैया का पलड़ा डीके शिवकुमार से भारी पड़ता है."

सिद्धारमैया की सियासी पकड़ और अनुभव में डीके शिवकुमार से ज्यादा है, डीके मैनेजर के तौर पर सिद्धारमैया से आगे हैं. लेकिन जब सबको साथ लेकर चलने की बात आती है सिद्धारमैया, डीके से बहुत आगे निकल जाते हैं और यही कारण है कि सिद्धारमैया पहली पसंद बन सकते हैं
ललित राय, वरिष्ठ पत्रकार

कर्नाटक कांग्रेस से जुड़े एक नेता ने नाम न छपने की शर्त पर कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं की डीके शिवकुमार ने पिछले तीन सालों में कर्नाटक में कांग्रेस को बहुत मजबूत किया. लेकिन वो अभी भी मास लीडर नहीं बन पाये हैं. डीके जिस वोक्कलिगा समुदाय से आते हैं उसके बड़े नेता के तौर पर राज्य में एचडी देवगौड़ा की पहचान है. ऐसे में वो पार्टी की पहली पसंद नहीं बन पा रहे हैं."

कांग्रेस नेता ने कहा कि विधानसभा चुनाव के 7-8 महीने बाद लोकसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में पार्टी उसको देखते हुए भी निर्णय लेगी.

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शिवकुमार के एक समर्थक ने कहा, "हमें उम्मीद है कि शिवकुमार को मौका मिलेगा. वो 8 बार के विधायक हैं, राज्य में मंत्री रह चुके हैं, एक बार कार्यकारी पीसीसी चीफ रहे और अब अध्यक्ष. पार्टी ने उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा है और जीत हासिल की है. ऐसे में उन्हें ही मौका मिलना चाहिए, लेकिन विधायक दल की बैठक में तय होगा कि पार्टी किसे चुनती है."

2019 के चुनाव में राज्य की 28 लोकसभा सीट में से कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीतने में सफल हुई थी, जहां से डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश ने जीत हासिल की थी. वहीं, सिद्धारमैया पहले ही कह चुके हैं कि ये उनका आखिरी चुनाव है, इसके बाद अब वो कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे. जानकारों की मानों तो, ये भावनात्मक कार्ड भी सिद्धारमैया के पक्ष में जायेगा.

क्या कहते हैं चुनावी डेटा?

ताजा नतीजों को देखें तो कांग्रेस अपने दम पर पूर्ण बहुमत पाती दिख रही, 1999 और 2013 में ही कांग्रेस ऐसा कर पायी थी. अभी आये नतीजों को देखें तो ओल्ड मैसूर की 64 सीटों में 40 पर कांग्रेस आगे हैं, पिछली बार यहां वो 20 सीट जीती थी. यह क्षेत्र कांग्रेस के CLP नेता सिद्धारमैया का है. यहां पार्टी ने बड़ी सफलता हासिल की है, वहीं दूसरा क्षेत्र, मुंबई कर्नाटक का है जहां 50 में से 33 पर कांग्रेस आगे हैं. ऐसे में ये आंकड़े भी सिद्धारमैया के पक्ष में जाते हैं.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो, डीके शिवकुमार के पास अनुभव की कमी नहीं है, उन्होंने पार्टी के प्रति अपनी वफादारी भी निभाई है लेकिन अभी भी वो कई मुद्दों पर सिद्धारमैया से पिछड़ जाते हैं. हालांकि, पार्टी 2024 के मद्देनजर दोनों को साथ लेकर चलेगी. ऐसे में ये संभव है कि सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी दी जाये.

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