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खतौली सीट: दलितों का यू टर्न-अपने ही नेताओं की नाराजगी, BJP की हार की बड़ी वजह?

Khatauli Byelection Result: उपचुनाव में रालोद उम्मीदवार को 97071 और BJP उम्मीदवार को 74906 मत प्राप्त हुए

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खतौली (Khatauli) उप चुनाव में जीत हासिल कर रालोद-सपा गठबंधन BJP के अभेध दुर्ग को ध्वस्त करने में कामयाब रहा है. मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों की पूरी फौज उतारने के बाद भी मतदाताओं ने BJP को नकार दिया है. बीते दो चुनावों में BJP यहां जीत हासिल करती आ रही थी, लेकिन रालोद ने 2012 के पुराने समीकरण को आजमां कर यह सीट BJP से छीन ली है.

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इस साल फरवरी में हुए विधानसभा में रालोद-सपा गठबंधन ने मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) जिले की छह विधानसभा में से चार विधानसभाओं में जीत हासिल की थी. सदर और खतौली (Khatauli) विधानसभा में BJP ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी. कवाल दंगों के एक मुकदमें में BJP विधायक विक्रम सैनी को दो साल की सजा के चलते अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी और फिर खतौली विधानसभा में उप चुनाव कराया गया. BJP ने विक्रम सैनी की पत्नी राजुकमारी सैनी को चुनाव मैदान में उतारा था, जबकि रालोद गठबंधन ने लोनी के पूर्व विधायक मदन भैय्या पर दांव लगाया था. दोनों दलों ने इस सीट को प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर पूरी ताकत झोंकी थी.

वेस्ट यूपी के मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों की फौज उतारने के साथ-साथ खुद सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने BJP उम्मीदवार के समर्थन में जनसभा की थी. 5 दिसंबर को हुए मतदान में 57 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. गुरुवार को कड़ी सुरक्षा में हुई मतगणना में रालोद-सपा गठबंधन के उम्मीदवार मदन भैय्या ने BJP उम्मीदवार राजकुमारी सैनी को 22165 मतों से हराकर यह सीट छीन ली हैं. रालोद उम्मीदवार को 97071 और BJP उम्मीदवार को 74906 मत प्राप्त हुए.

एक राउंड में भी आगे नहीं निकली BJP

मतगणना के दौरान BJP उम्मीदवार राजकुमारी सैनी एक बार भी आगे नहीं निकली. रालोद उम्मीदवार ने पहले राउंड से बढ़त शुरू की थी, जो आखिरी 27 राउंड तक जारी रही. सात चक्र ऐसे रहे, जिसमें BJP उम्मीदवार राजकुमारी सैनी को रालोद उम्मीदवार से ज्यादा मत मिले, लेकिन वो एक बार भी आगे नहीं निकल पाई. दरअसल, हर बूथ पर मत मिलने के कारण मदन भैय्या (Madan Bhaiya) लगातार जीत का अंतर बढ़ाते चले गए.

दलितों के यू टर्न ने बिगाड़ा भाजपा का खेल

खतौली उप चुनाव में दलितों का यू टर्न ने BJP के पूरे खेल को बिगाड़ने का बड़ा कारण रहा है. बसपा और कांग्रेस ने उप चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था. रालोद गठबंधन की आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंदशेखर को साथ लेकर चलने की रणनीति कारगर रही. चंदशेखर ने गांव-गांव जाकर दलित मतों को BJP के पाले से खींचकर रालोद से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई. दलित बाहुल्य इलाकों में कुल मिलाकर चंदशेखर का जादू दलितों के सिर चढ़कर बोला. जिसकी बदौलत रालोद इस सीट पर काबिज होने में कामयाब रही है.

भीतरघात और कई वर्गों की नाराजगी पड़ी भारी

सत्ताधारी BJP के खतौली उप चुनाव में हार के एक नहीं कई कारण रहे है. पहली नाराजगी तो दो बार के BJP विधायक विक्रम सैनी के व्यवहार से रही, क्योंकि उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर कई वर्गों में नाराजगी थी. दूसरा विक्रम सैनी की पत्नी को टिकट दिए जाने के कारण पार्टी में भीतरघात का भी सामना करना पड़ा है. नोएडा के श्रीकांत प्रकरण के चलते BJP के परम्परागत मत माने जाने वाले त्यागी समाज भी उप चुनाव में छिड़क गया. खुद श्रीकांत त्यागी BJP को हराने के लिए खतौली विधानसभा में डेरा डाले रहे. चुनाव परिणामों से साफ हुआ कि त्यागी बाहुल्य इलाकों से भी रालोद उम्मीदवार जीत कर आए. कुल मिलाकर चंदशेखर का जादू दलितों के सिर चढ़कर बोला. जिसकी बदौलत रालोद इस सीट पर काबिज होने में कामयाब रही है.

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