महाराष्ट्र (Maharashtra) की सियासत में सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष अब सही मायने में एक दूसरे के घर में घुस गए हैं. बीजेपी नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया (Kirit Somaiya) ने सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे पर बेनामी प्रॉपर्टी खरीदने के आरोप लगाए हैं. तो दूसरी ओर शिवसेना नेता संजय राउत ने किरीट और उनके बेटे नील सोमैया को पीएमसी बैंक से जुड़े कथित जमीन घोटाले के आरोपों में जेल में डालने की चेतावनी दी है. साथ ही विवादित जमीन पर बंगले नहीं दिखाए तो शिवसैनिकों द्वारा किरीट को चप्पल से मारने की बात कही है.
इसीलिए ठाकरे परिवार के बंगलों की जांच पड़ताल के लिए किरीट 18 फरवरी को अलीबाग के कोरलाई ग्राम पंचायत पहुंचे. किरीट सोमैया के विरोध में सैकड़ों शिवसैनिक ग्राम पंचायत कार्यालय परिसर में इकट्ठा हो गए थे. लेकिन स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे. हालांकि किरीट के साथ भी बीजेपी के विधायक और कार्यकर्ता आए थे. जिससे फिर एक बार शिवसेना - बीजेपी में झड़प होने के आसार पैदा हो गए थे और गांव में तनावपूर्ण स्थिति बन गई थी.
ठाकरे के कथित बंगलो पर क्यों छिड़ा घमासान ?
किरीट सोमैया ने आरोप लगाया था कि सीएम उद्धव ठाकरे और पूर्व मंत्री रविंद्र वाईकर के परिवार ने 21 मार्च 2014 को अन्वय नाइक परिवार से अलीबाग के कोरलाई गांव में जमीन खरीदी. किरीट का दावा है कि जमीन के दस्तावेजों से पता चलता है कि 2009 से इस जमीन पर 23 हजार 500 स्क्वायर फुट के 19 बंगले मौजूद थे. जिसका उस समय का रेडी रेकनर रेट 5 करोड़ 29 लाख था.
हालांकि किरीट का दावा है कि 2020 में रश्मि ठाकरे और मनीषा वाईकर ने इन घरों का ग्राम पंचायत को प्रॉपर्टी टैक्स अदा किया है. जबकि संजय राउत ने स्पष्ट किया था कि इस जमीन पर कोई घर नहीं है. दरअसल, बंगले का होना या ना होना इसलिए भी मायने रखता है कि उद्धव ठाकरे ने अपने चुनाव के एफिडेविट में कोरलाई की जमीन का उल्लेख तो किया है लेकिन बंगलों का नहीं. जिससे उद्धव ठाकरे की मुसीबतें बढ़ सकती हैं.
ग्रामपंचायत के अधिकारियों ने साफ किया है कि बंगलो का प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान तो हुआ था लेकिन वहां पर बंगले थे या नहीं इसकी जांच उन्होंने नहीं कि थी. क्योंकि इससे पहले के मलिक अन्वय नाइक ने उन बंगलो की जगह एक रिसोर्ट खोलने का प्रस्ताव ग्रामपंचायत को दिया था जिसे मंजूरी नहीं दी गई थी.
क्यों उठ रहे हैं सवाल ?
किरीट सोमैया ने अब स्थानीय पुलिस स्टेशन में बंगले गायब होने की शिकायत दर्ज की है. किरीट का सवाल है कि अगर बंगले मौजूद नहीं थे तो उसका प्रॉपर्टी टैक्स क्यों भरा गया? क्या 2014 से 2020 तक ठाकरे परिवार ने इन बंगलो को बेनामी प्रॉपर्टी के तहत अपने कब्जे में रखा? इसके लिए अन्वय नाइक को जो पैसे दिए गए वो कहां से आए? और अगर ये लेन देन साफ तरीके से हुआ हैं तो उसे चुनावी एफिडेविट से क्यों छुपाया गया?
बता दें कि जमीन के पहले मालिक अन्वय नाइक ने आत्महत्या की है. दरअसल, अन्वय नाइक एक आर्किटेक्ट थे और उन्होंने रिपब्लिक चैनल के एडिटर अर्नब गोस्वामी के लिए काम किया था जिसके उन्हें पैसे मिलने बाकी थे. हालांकि अन्वय नाइक के परिवार ने अन्वय को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप अर्नब पर लगाया था. किरीट का कहना है कि अन्वय नाइक और उद्धव ठाकरे के पारिवारिक संबंध थे. जबकि संजय राउत ने किरीट पर भी अन्वय नाइक को अर्नब से पैसे ना मांगने के लिए धमकाने और दबाव डालने का आरोप लगाया हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)