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दलित के घर डिनर से फायदा ‘खयाली पुलाव’, बीजेपी सांसद भी उखड़े

दलितों के घर रात को रूकने और भोजन करने से न तो दलित परिवार मजबूत होते हैं और न ही नेताओं को लाभ पहुंचता है:BJP सांसद

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2019 चुनाव सामने है, दलित सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. मकसद है उस समानता को हासिल करना जो देश के हर नागरिक का हक है. ऐसे में सत्ताधारी बीजेपी के नेता क्या ये अधिकार महज दलित परिवारों के घर डिनर कर दिला सकते हैं? यही चिंता है जो पार्टी के दलित सांसदों को भी सता रही है.

उत्तर-पश्चिम दिल्ली से बीजेपी के सांसद उदित राज कहते हैं

कोई भी नेता किसी भी दलित के घर जाए, रूके, भोजन करे उससे नाराजगी नहीं है. लेकिन क्या इससे उनकी समस्याओं का समाधान हो रहा है? क्या उनकी जो आशाएं हैं वो पूरी हो रही हैं?
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उदित राज 2 अप्रैल के 'भारत बंद' का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि सदियों से सिर नहीं उठाने वाला एक वर्ग लाखों की संख्या में सड़कों पर उतर आया. अब तो सत्ताधारी, विपक्षी सभी पार्टियों, बुद्धिजीवियों को दलित वर्ग की आकांक्षाओं को समझना होगा.

दलितों के घर रात को रूकने और भोजन करने से न तो दलित परिवार मजबूत होते हैं और न ही नेताओं को लाभ पहुंचता है:BJP सांसद
बीजेपी के दलित सांसद डॉ. उदित राज.
(फोटो: क्विंट/ कनिष्क दांगी)

दिखावा बंद करके कुछ ठोस करिए: उदित राज

उदित राज कहते हैं, दलितों के घर रात को रूकने और भोजन करने से ना तो दलित परिवार मजबूत होते हैं और न ही नेताओं को लाभ पहुंचता है, राहुल गांधी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं. रात को रूक कर और भोजन करके दिखावा करने से बेहतर है कि नेता जरूरतमंत दलितों के लिए भोजन , कपड़ा , मकान , रोजगार और इलाज का उपाय लेकर आएं.

उन्होंने पीटीआई से बातचीत में ये भी कहा कि व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि इससे पार्टी को कोई लाभ नहीं होगा. ये पार्टी का कार्यक्रम है, इसलिए मैं इसका समर्थन करता हूं.
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दलित के घर खाकर फोटो खिंचवायी जा रही है: सावित्री

दलितों के घर रात को रूकने और भोजन करने से न तो दलित परिवार मजबूत होते हैं और न ही नेताओं को लाभ पहुंचता है:BJP सांसद
दिखावे के लिए दलित के घर खाकर फोटो खिंचवायी जा रही है: BJP सांसद
(फोटो: ट्विटर\@MPSavitriBai)

उत्तर प्रदेश के बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले दलितों के घर में खाना खाने जाने की राजनीति को दिखावा और बहुजन समाज का अपमान बताती हैं. फुले ये कहती हैं कि नेता उनके यानी दलितों के घर में खाना खाने तो जाते हैं लेकिन उनका बनाया हुआ खाना नहीं खाते. बाहर से बर्तन मंगाए जाते हैं, बाहर से खाना बनाने वाले आते हैं, वो ही परोसते भी हैं. दलित के दरवाजे पर जाकर फोटो खिंचवाने का ये दिखावे किया जाता है.

उमा भारती भी फटकार चुकी हैं

दलितों के घर रात को रूकने और भोजन करने से न तो दलित परिवार मजबूत होते हैं और न ही नेताओं को लाभ पहुंचता है:BJP सांसद
उमा भारती
(फोटोः IANS)

इससे पहले केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी दलितों के साथ भोजन करने का कार्यक्रम ये कहते हुए छोड़ चुकी हैं कि वो भगवान राम नहीं हैं, जो दलितों के साथ भोजन करके उन्हें पवित्र कर दें.

हालांकि बाद में उमा ने बयान जारी कर खेद जताते हुए दावा किया कि उन्हें नहीं पता था कि उन्हें उनके (दलितों के) साथ भोजन करना है. उमा भारती, दलितों को खुद अपने घर में बुलाकर खाना खिलाने में यकीन रखती हैं.

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ये पूरी चर्चा एक बार फिर इसलिए शुरू हुई, क्योंकि हाल ही में यूपी के मंत्री सुरेश राणा एक दलित परिवार के घर पर डिनर के लिए गए. मंत्रीजी समेत सभी को पता है कि महज 'प्रचार' के लिए ये किया जा रहा है इसके बावजूद भी वो दलित परिवार में बना हुआ खाना नहीं खा सके.

रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बाहर से खाना और मिनरल वाटर मंगवाया क्योंकि परिवार को मंत्री के आने की सूचना नहीं थी. इस समरसता भोजन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं. दलित परिवार ने ये भी दावा किया कि उन्हें तो कार्यक्रम की जानकारी तक नहीं थी. उन्हें मेहमानों की खातिरदारी के लिए रात 11 बजे अचानक नींद से जगा दिया गया था.
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परिवार को डिनर की जानकारी ही नहीं थी?

इस डिनर के तमाम व्यंजन और चम्मच-कटोरी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. दलित परिवार ने दावा किया है कि उन्हें रात्रिभोज के कार्यक्रम की जानकारी नहीं थी. उन्हें मेहमानों की खातिरदारी के लिए रात 11 बजे नींद से जगाया गया.

उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल दलितों के घर रात में रुकने के बचाव में कुछ ऐसा कह बैठी हैं जिसपर हंसी आ जाए. उनका मानना है कि जनता को योजनाओं का लाभ दिलाने के लिये सूबे के मंत्री रात भर मच्छर काटने के बावजूद गांवों में जाकर खुशी का अनुभव कर रहे हैं.

यूपी के मंत्रियों से इस 'बहादुरी' की जगह प्रदेश के दलित शायद कुछ ज्यादा की इच्छा रखते हैं. बीजेपी के दलित सांसदों के बयान इस बात की तस्दीक कर रहे हैं.

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