यूपी, महाराष्ट्र, नगालैंड में कुल 4 लोकसभा सीटों के अलावा यूपी, बिहार, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, पंजाब, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल की कुल 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटिंग जारी है. लोकसभा की इन 4 सीटों में से 3 सीटें बीजेपी के पास थीं. ऐसे में इस उपचुनाव को मोदी सरकार की लोकप्रियता की एक और अग्निपरीक्षा के रूप में देखा जा रहा है.
यूपी की कैराना, महाराष्ट्र की भंडारा गोंदिया और पालघर सीट पर बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल रही है. उपचुनाव में अपना खराब रिकॉर्ड देखते हुए बीजेपी भी अब कोई मौका चूकना नहीं चाहती.
शायद इसलिए ही, बागपत में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के उद्धाटन के मौके पर पीएम के भाषण में कैराना उपचुनाव की भी झलक थी. प्रधानमंत्री गन्ना किसानों के लिए काफी फिक्रमंद नजर आए, कैराना उपचुनाव में चीनी मिलों की मनमानी और गन्ना किसानों का भुगतान न होना बड़े चुनावी मुद्दे हैं.
ऐसे में जानते हैं कि पालघर, भंडारा-गोंदिया, कैराना लोकसभा सीट की जमीनी हकीकत क्या है.
पालघर लोकसभा सीट
इस सीट पर बीजेपी-शिवसेना 2019 से पहले एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलती दिखाई दे रही है. वहीं कांग्रेस-एनसीपी ये साबित करने की कोशिश में हैं कि दोनों एक-दूसरे के साथ हैं. जाहिर है कि पार्टियों ने पालघर को प्रयोगशाला बना लिया है, जिसके हिसाब से वो 2019 की लड़ाई की रणनीति तैयार करेंगे.
- क्यों है उपचुनाव: बीजेपी सांसद चिंतामणि वनगा के निधन के बाद पालघर सीट खाली हो गई.
- शिवसेना उम्मीदवार: श्रीनिवास वनगा, बीजेपी के दिवंगत सांसद चिंतामणि वनगा के बेटे
- बीजेपी उम्मीदवार: राजेंद्र गावित, आदिवासी वोटों पर मजूबत पकड़
- कांग्रेस-एनसीपी उम्मीदवार: दामोदर शिंगदा, दोनों पार्टियों के गठबंधन के कारण मजबूत है दावेदारी
भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट
इस सीट पर अहम मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के बीच है. किसानों की हालत, सिंचाई और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं यहां अहम मुद्दा है.
- क्यों है उपचुनाव: बीजेपी सांसद नाना पटोले ने पार्टी से नाराज होकर इस्तीफा दिया था और कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
- बीजेपी उम्मीदवार: हेमंत पटले, पोआर समाज से आते हैं और इस लोकसभा क्षेत्र में पोआर समाज का अच्छा खासा दबदबा है
- कांग्रेस-एनसीपी उम्मीदवार: मधुकर कुकड़े, गठबंधन के अलावा बीजेपी के पूर्व सांसद नाना पटोले का भी समर्थन साथ है.
कैराना लोकसभा सीट
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना उपचुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है. गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव की कामयाबी को देखते हुए यहां कुछ और दल भी बीजेपी के खिलाफ एक साथ आ गए हैं.
- क्यों हैं उपचुनाव: बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद से कैराना लोकसभा की सीट खाली है.
- बीजेपी उम्मीदवार: मृगांका सिंह, हुकुम सिंह की बेटी हैं पिता की विरासत वो संभाल रही हैं, उनके पिता हुकुम सिंह को 2014 के लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी से भी ज्यादा वोट हासिल हुए थे.
- RLD उम्मीदवार: तबस्सुम हसन, खुद 2009 में कैराना सीट से समाजवादी पार्टी की सांसद रह चुकी हैं. उनके पति मुनव्वर हसन 1996 में यहां से सांसद थे और बाद में 2004 में वो बहुजन समाज पार्टी से मुजफ्फरनगर के सांसद बने. तीन पीढ़ियों की राजनीतिक विरासत साथ है.
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