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पूर्णिया: RJD और JDU के बीच मुकाबले में पप्पू यादव की एंट्री, कितना बदलेगा समीकरण?

Lok Sabha Election 2024: जनता दल यूनाइटेड के संतोष कुशवाहा फिलहाल पूर्णिया के सांसद भी हैं.

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2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में बिहार का पूर्णिया (Purnia Seat) हॉट सीट बन गया है. पूर्व सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) द्वारा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने के साथ ही यहां मुकाबला रोचक हो गया है. बिहार में विपक्षी दलों के बीच सीटों के बंटवारे के बाद से ही यह सीट सुर्खियों में बनी हुई है.

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पूर्णिया सीट पर कौन-कौन उम्मीदवार?

NDA गठबंधन में पूर्णिया सीट जनता दल यूनाइटेड (JDU) के खाते में आई है. JDU ने मौजूदा सांसद संतोष कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाया है.

वहीं बिहार महागठबंधन के तहत ये सीट राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को मिली है. यहां से पार्टी ने बीमा भारती को अपना उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि बीमा भारती 23 मार्च को नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को छोड़कर आरजेडी में शामिल हुई थीं. वे बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं.

वहीं कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने इस सीट पर निर्दलीय के रूप में नामांकन भरा है. हाल ही में उन्होंने अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया था. वे उम्मीद लगा रहे थे कि उन्हें पूर्णिया से इंडिया गठबंधन का उम्मीदवार बनाया जाएगा. लेकिन पप्पू यादव की उम्मीदों को तब झटका लगा, जब ये सीट आरजेडी ने अपने पास रख ली.

4 अप्रैल को पप्पू यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नॉमिनेशन किया. उनके आने से इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है. माना जाता है कि इस बार पूर्णिया के लोकसभा चुनाव में तीन उम्मीदवारों के बीच वोटों का बड़ा हिस्सा बंट सकता है. 

किसका पलड़ा भारी?

संतोष कुशवाहा:

  • पिछले 10 सालों से इस सीट पर सांसद हैं. पार्टी ने उनके पिछले रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर भरोसा जताया है.

  • संतोश कुशवाहा कोइरी समुदाय से आते हैं, जिसकी बिहार में 4.21 फीसदी आबादी है.

  • NDA के प्रत्याशी होने की वजह से उन्हें बीजेपी और जेडीयू, दोनों कैडर का समर्थन प्राप्त है. साथ ही बीजेपी का वोट सीधे-सीधे उनके पक्ष में शिफ्ट हो सकता है.

  • हालांकि, लगातार 10 सालों से सांसद होने की वजह से उनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी हो सकता है.

बीमा भारती:

  • पूर्व मंत्री बीमा भारती बाहुबली अवधेश मंडल की पत्नी हैं.

  • पिछले 24 सालों से विधायक हैं. साल 2000 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पूर्णिया के रूपौली विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव जीता था.

  • उसके बाद साल 2005 में आरजेडी के टिकट पर इसी सीट से विधायक बनी थीं.

  • साल 2010 में जेडीयू में शामिल हो गई और पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जेडीयू के टिकट पर विधायक बनीं. 

  • आरजेडी की तरफ से उन्हें पैराशूट कैंडिडेट की तौर पर देखा जा रहा है. जिससे उन्हें नुकसान हो सकता है. वहीं पप्पू यादव भी उनके लिए चुनौती बन गए हैं.

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पप्पू यादव:

  • बिहार में पप्पू यादव की पहचान बाहुबली के रूप में रही है.

  • सीमांचल क्षेत्र में उनकी पैठ मानी जाती है. वो यहां की अलग-अलग सीटों से कई बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं.

  • 1991, 1996, 1999 पूर्णिया, फिर 2004 और 2014 में मधेपुरा से सांसद रह चुके हैं.

  • पप्पू यादव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर भी चुनाव जीत चुके हैं.

  • पप्पू यादव फिलहाल कांग्रेस में हैं और बिहार में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा है. ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उन्हें पार्टी और गठबंधन का समर्थन नहीं मिलेगा.

  • यादव और मुस्लिम वोट के बंटने से उन्हें भी नुकसान हो सकता है.

जीतीय समीकरण क्या है?

एक जमाने में कांग्रेस का गढ़ रहे पूर्णिया लोकसभा सीट पर पिछले 20 सालों से बीजेपी-जेडीयू का कब्जा है. माना जाता है कि करीब 16 लाख वोटरों वाले पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में 7 लाख मुस्लिम, डेढ़ लाख यादव, 2 लाख अति पिछड़ा और करीब 4 लाख दलित-आदिवासी वोटर हैं.

आरजेडी प्रत्याशी बीमा भारती अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) से ताल्लुक रखती हैं. वहीं पप्पू यादव की मुस्लिम, यादव बिरादरी में पैठ रही है. ऐसे में मुस्लिम-यादव वोट बंटने की पूरी संभावना जताई जा रही है.

पिछले चुनावों पर एक नजर

साल 2019 के चुनावों में इस सीट पर जेडीयू के संतोष कुशवाहा के मुकाबले कांग्रेस ने उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को टिकट दिया था. कुशवाहा ने उन्हें 2.63 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.

इससे पहले साल 2014 के लोकसभा चुनावों में जेडीयू और बीजेपी अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरे थे. 2014 में भी जेडीयू के संतोष कुशवाहा ने बीजेपी के पप्पू सिंह को 1 लाख से ज्यादा वोटों से पराजित किया था.

वहीं 2009 में पप्पू सिंह ने बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी. उन्होंने तब पप्पू यादव की मां शांति प्रिया को पौने दो लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.

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