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MP में AAP का रिपोर्ट कार्ड, चुनाव लड़ने की तैयारी- कांग्रेस BJP पर कितनी भारी?

AAP Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में केजरीवाल की 'फ्री' वाली योजनाएं ज्यादा फायदा नहीं पहुंचाएंगी..क्यों?

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MP में AAP का रिपोर्ट कार्ड, चुनाव लड़ने  की तैयारी- कांग्रेस BJP पर कितनी भारी?
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मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) दमखम के साथ उतर रही है. भोपाल (Bhopal) पहुंचे पार्टी के अध्यक्ष और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस-बीजेपी के अलावा तीसरे विकल्प के लिए जगह बनाना कितनी मुश्किल चुनौती है?

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काम न करूं तो दोबारा वोट मांगने नहीं आऊंगा: केजरीवाल

पंजाब के सीएम भगवंत मान के साथ भोपाल आए केजरीवाल ने कहा कि, "हमने पंजाब में अपने ही एक नेता के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की. भगवंत मान जी मुख्यमंत्री हैं, दबा सकते थे, लेकिन नही तुरंत कार्रवाई की... मोदी जी ये होती है ईमानदारी, जो तुम कर रहे हो वो भ्रष्टाचार मुक्त नहीं है" 

आगे उन्होंने कहा कि, "दिल्ली-पंजाब में हमारी सरकार ने बिजली, इलाज और स्कूल में शिक्षा मुफ्त कर दी है. मध्यप्रदेश में भी एक मौका दीजिए, यहां भी सब मुफ्त कर देंगे. काम न करूं, तो दोबारा वोट मांगने नहीं आऊंगा."

"मध्य प्रदेश में पहले से ही फ्री की योजनाएं चल रही हैं"

मुफ्त वाली योजनाओं को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दीपक तिवारी ने कहा कि, "मध्य प्रदेश में पहले ही 100 यूनिट तक के बिजली बिल पर सरकार सब्सिडी दे रही है, कांग्रेस भी पहले 100 यूनिट तक बिजली फ्री कर चुकी है, फ्री वाली राजनीति को लेकर 2018 के चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान ने भी संभल योजना के तहत 3-4 करोड़ लोगों के खाते में सीधे पैसे पहुंचाने की योजना शुरू की थी लेकिन बीजेपी को बहुमत नहीं मिला था. एमपी में फिलहाल आम आदमी पार्टी की कोई साख नहीं है, पंजाब-दिल्ली में बात अलग थी, वह छोटा राज्य आप हर लोगों तक पहुंच पाई, यहां आप का कोई नेटवर्क नहीं, कोई लीटर नहीं."

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2018 में आप को 1 फीसदी वोट भी नहीं मिला था

आम आदमी पार्टी पहली बार 230 साटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. इससे पहले 2018 में पार्टी ने 208 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 2.5 लाख से ज्यादा वोट बटोरे थे हालांकि ये एक फीसदी वोट भी नहीं था.

"मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी का अस्तित्व न के बराबर है. 2018 में आम आदमी पार्टी को लेकर थोड़ा उत्साह था. मध्य प्रदेश में हमेशा से ही दो पार्टियां रही हैं. तीसरी पार्टी को लेकर जनता सोचती है कि ये किसी को जिताने या हराने के लिए आए हैं. एमपी में आप की तुलना औवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से होती है क्योंकि ये दोनों पार्टियां अप्रत्याशित रूप से बीजेपी को ही फायदा पहुंचाती हैं. मध्य प्रदेश पंजाब या दिल्ली की तुलना में बहुत बड़ा राज्य है. यहां आप के लिए आसान राह नहीं है."
दीपक तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक

बीबीसी से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने कहा कि, "आप की एंट्री कांग्रेस के लिए चिंता की बात है, जबकि बीजेपी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. इसका आना कांग्रेस के लिए सीधा नुकसान है." 

सिंगरौली नगर निगम महापौर चुनाव में आप की जीत पर दीपक तिवारी ने कहा कि, "यह एक अपवाद है. इस जीत के दो बड़े कारण थे, एक तो वह उम्मीदवर बीजेपी से थीं जिन्हें टिकट नहीं मिला था और उन्होंने इसके लिए काफी रिसोर्स लगाए."

उन्होंने आगे कहा कि, "मध्य प्रदेश के इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है कि बीजेपी तब तब जीती जब जब उनके खिलाफ में पड़ने वाला वोट बंटा. 2008 में उमा भारती ने नई पार्टी बना कर ये काम किया है, बीएसपी ने भी समय समय पर वोट काटा है. जहां बारीक मार्जिन रहेगा वहीं आप बीजेपी को फायदा पहुंचाएगी. आप के पास फिलहाल कोई बड़ा चेहरा नहीं है, वह पूरी कोशिश में है कि पार्टी के साथ कुछ बड़े नाम जुड़े."

क्विंट हिंदी से बातचीत में आम आदमी पार्टी के एक कार्यकर्ता ने कहा कि "पार्टी पंजाब की तरह ही यहां चुनाव लड़ेगी. जिस तरह पंजाब में पहले चुनाव लड़कर पार्टी ने 20 सीटों पर जीत हासिल की थी और फिर 2022 में सत्ता में आई वैसे ही मध्य प्रदेश में पार्टी का लक्ष्य 2027 के चुनाव के लिए होगा. फिलहाल पार्टी का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करना है."

ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार राकेश अचल ने कहा कि, आम आदमी पार्टी बहुत कुछ तो नहीं कर सकेगी, लेकिन नुकसान पहुंचाने का माद्दा जरूर रखती है और जब नुकसान की बात की जाएगी तो वो कांग्रेस को होगा."

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