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सिंधिया से लेकर कमलनाथ के इस्तीफे तक, ऐसा रहा MP का सियासी ड्रामा

मध्य प्रदेश में सियासी उठापटक का फौरी फायदा भले ही सिंधिया को मिला हो लेकिन बड़ा लाभ शिवराज को मिलेगा

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मध्य प्रदेश में सीएम कमलनाथ के इस्तीफे से 17 दिन पुराना सियासी ड्रामा खत्म हो गया. बीजेपी ने कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने का जो ऑपरेशन शुरू किया था, वह पूरा हो गया. दरअसल इस ऑपरेशन के केंद्र में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया. उनके कांग्रेस छोड़ने के बाद ही तय हो गया था कि बीजेपी अब प्रदेश में सरकार बनाने के मिशन पर है.

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सिंधिया को राज्यसभा की सीट मिल गई लेकिन सबसे बड़ा फायदा हुआ शिवराज सिंह चौहान को. सिंधिया के साथ ही उनके समर्थक 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और इससे कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई.

ज्योतिरादित्य के साथ ही 22 विधायकों के इस्तीफे से कमलनाथ सरकार का संकट काफी गहरा गया. बीजेपी के प्रबंधक इनमें से 16 विधायकों को बेंगलुरू के होटल रमाडा होटल में ले गए.कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विधायकों को प्रलोभन दिया गया.बंधक बनाया गया. ये बीजेपी की साजिश है.

जब बागियों को मनाने बेंगलुरू पहुंचे दिग्विजय सिंह

विधायकों को मनाने के लिए दिग्वजिय सिंह बेंगलुरू पहुंच गए और होटल के बाहर धरने पर बैठ गए.लेकिन बात नहीं बनी. उन्होंने विधायकों से मिलने के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट तक में अपील दायर की लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया. दिग्विजय अपने मिशन में सफल नहीं हो सके. कांग्रेस के ही कुछ नेताओं ने दिग्विजय सिंह को विलेन की तरह पेश करना शुरू कर दिया. उनका कहना था कि दिग्विजय यह सब राज्यसभा में जाने के लिए कर रहे हैं.

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फ्लोर टेस्ट के लिए शिवराज ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख

ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के 22 विधायक पिछले दस दिनों से बेंगलुरु में थे. इनमें से छह विधायकों का इस्तीफा विधानसभा स्पीकर ने मंजूर कर लिए थे. 16 का इस्तीफा मंजूर नहीं कर रहे थे. जबकि शिवराज सिंह चौहान का कहना था इन विधायकों के इस्तीफे से कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. शिवराज सिंह ने स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सदन में फ्लोर टेस्ट की मांग की.

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सुप्रीम कोर्ट में दो दिन की बहस और फ्लोर टेस्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट में दो दिन तक बहस चली. इसमें कमलनाथ के वकील कपिल सिब्बल, बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह, कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे, और शिवराज की ओर से मुकुल रोहतगी ने बहस की.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने दो दिन की लंबी सुनवाई के दौरान कहा कि विधानसभा में 20 मार्च को शाम के वक्त फ्लोर टेस्ट कराया जाए.सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि मीटिंग का एक सूत्री एजेंडा फ्लोर टेस्ट होगा. इसके लिए जो वोटिंग होगी वह हाथ उठाकर होगी. विधानसभा की कार्यवाही की विडियो रिकार्डिंग की जाएगी.
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बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर, नहीं हुआ फ्लोर टेस्ट

सुप्रीम कोर्ट की ओर से फ्लोर टेस्ट कराने के फैसले के बाद स्पीकर प्रजापति ने भी इस्तीफा दे चुके कांग्रेस के बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक फ्लोर टेस्ट होना था. इसके लिए 20 मार्च को दोपहर दो बजे स्पेशल सेशन बुलाया गया था. लेकिन कमलनाथ ने शुक्रवार को दोपहर साढ़े बारह बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया.

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कमलनाथ का इस्तीफा

फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने इस्तीफा देते हुए कहा कि बीजेपी की सरकार को 15 साल मिले और मेरी सरकार को सिर्फ 15 महीने. हमारे विधायकों को प्रलोभन दिया गया. उन्हें बंधक बनाया गया.पूरे प्रदेश की जनता ने देखा कि किस तरह लोकतंत्र की हत्या हुई और जनादेश का अपमान हुआ. उन्होंने 15 महीने पुरानी अपनी सरकार की 20 उपलब्धियां गिनाईं और कहा कि बीजेपी हमारे काम रास नहीं आए. लेकिन बीजेपी सोचती है कि वह मेरे प्रदेश को हराकर जीत सकती है. वह न मेरे प्रदेश को हरा सकती है और न मेरे हौसले को हरा सकती .

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