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राज्यपाल कोश्यारी के बयान पर विवाद MVA सरकार की राज्यपाल को हटाने की मांग

एक कार्यक्रम में राज्यपाल कोश्यारी ने कहा था कि,"चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त और समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा?

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राज्यपाल कोश्यारी के बयान पर विवाद MVA सरकार की राज्यपाल को हटाने की मांग
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महाराष्ट्र (Maharshtra) में राज्यपाल बनाम राज्य सरकार के बीच का टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा. बजट सत्र के पहले ही दिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Sigh Koshiyari) को एमवीए सरकार के विधायकों के विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा. जिसकी वजह से राज्यपाल अपना अभिभाषण भी पूरा नहीं कर पाए और चंद मिनटों में विधानभवन छोड़कर चले गए.

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दरअसल, बजट सत्र के कार्यक्रम के मुताबिक पहले दिन के एक संयुक्त सत्र में राज्यपाल को राज्य की स्थिति पर अभिभाषण पेश करना था. लेकिन राज्यपाल के विधानभवन में आगमन होते ही एमवीए सरकार के विधायकों ने जमकर नारेबाजी शुरू कर दी.

राज्यपाल कोश्यारी ने भाषण शुरू करने से पहले सभी विधायकों को राष्ट्रगीत के लिए शांति बनाए रखने का आवाहन किया. लेकिन उसके बाद विधायक फिर से आक्रामक हो गए और छत्रपति शिवाजी महाराज की जय के नारे लगाने लगे. जिसके बाद राज्यपाल ने कुछ मिनिटों में ही अपना भाषण खत्म करते हुए मंच छोड़ दिया.

बता दें कि कुछ दिनों पहले एक सार्वजनिक कार्यक्रम में राज्यपाल कोश्यारी ने कहा था कि,"चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त और समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा? जीवन में गुरु का काफी महत्व होता है." कोश्यारी के इस बयान के बाद महाराष्ट्र में बवाल मच गया था.

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एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी. राज्य के कई हिस्सों में एनसीपी और शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को हटाने की मांग को लेकर आंदोलन भी किए. बल्कि एनसीपी नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी ट्वीट कर समर्थ रामदास छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु नहीं थे इसका दाखला दिया.

हालांकि आज विधिमंडल के सत्र में भी इस बयान के खिलाफ विधायकों का रोष देखने को मिला. कांग्रेस के प्रदेश के अध्यक्ष नाना पटोले ने बताया कि महाराष्ट्र विधिमंडल में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को वापस भेजने का प्रस्ताव रखने पर सरकार विचार कर रही हैं. पटोले की मांग है कि राजयपाल कोश्यारी को छत्रपति शिवाजी महाराज पर की गई टिप्पणी को लेकर माफी मांगनी होगी. तमाम शिवभक्तों को उनके बयान से आहत पहुंची है.

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लेकिन भगत सिंह कोश्यारी ने जलगांव के एक कार्यक्रम में सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने जो इतिहास पढ़ा है उसमें यही बात लिखी है. रामदास स्वामी को ही शिवाजी महाराज का गुरू बताया गया है. लेकिन इस विवाद के बाद उन्होंने कुछ इतिहासकारों और विशेषज्ञों से बात की है. अगर इसके अलावा कोई तथ्य है तो वो उसका अध्ययन करेंगे.

साथ ही बीजेपी के नेता विधायक आशीष शेलार ने पलटवार किया है कि इस तरह से विरोध कर एमवीए सरकार नवाब मालिक के मंत्री पद के इस्तीफे की मांग से ध्यान बांटने का काम कर रही हैं. शेलार का आरोप है कि राज्यपाल के कहने पर भी राष्ट्रगीत के दौरान हंगामा कर एमवीए सरकार ने राष्ट्रगान का अपमान किया हैं. माफी तो उन्हें मांगनी चाहिए.

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