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पाकिस्तानी चीनी से महाराष्ट्र के गन्ना किसानों का पारा गर्म 

एमएनएस ने मांग की है कि पाकिस्तान से आयात की शक्कर की जांच होनी चाहिए कि आखिर ये भारत में कैसे पहुंची.

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देश में चीनी के बंपर उत्पादन के बाद भी पाकिस्तान से चीनी के आयात होने से महाराष्ट्र में संग्राम मच गया है. चीनी आयात से नाराज एनसीपी और एमएनएस कार्यकर्ताओं ने राज्य के कई इलाकों में चीनी के गोदामों में घुसकर प्रदर्शन किया और जोरदार नारेबाजी की.

एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि सरकार गन्ना उत्पादक किसानों के जख्मों को भरने की बजाय पाकिस्तान से चीनी आयात करवा कर जख्म और गहरे करने की कोशिश कर रही है.

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एमएनएस नेता संदीप देशपांडे का कहना है कि मोदी सरकार को देश के किसान से ज्यादा पाकिस्तान के किसान की फिक्र है और शायद इसलिए इस तरह के कदम को सरकार बढ़ावा दे रही है.

एमएनएस ने मांग की है कि पाकिस्तान से आयात शक्कर की जांच होनी चाहिए कि आखिर ये भारत में कैसे पहुंची. इस मामले का जांच कर दूध का दूध पानी का पानी होना चाहिए.

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण की मांग है कि चीनी का कॉमर्शियल रेट अलग हो और आम लोग के लिए चीनी का दाम अलग होगा चाहिए.

क्यों मच रहा है बवाल

दरअसल देश में मौजूदा साल में चीनी का 317 लाख टन उत्पादन हुआ है. जो खपत के मुकाबले काफी ज्यादा है. उत्पादन ज्यादा होने के बावजूद केंद्र सरकार ने चीनी के निर्यात खोलने में काफी देरी कर दी, जिसकी वजह से चीनी के दाम देश में गिर गए. जब चीनी निर्यात को केंद्र ने मंजूरी की तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चीनी को भाव मिलना मुश्किल है.

फिलहाल क्या है भाव

भारत में चीनी 25 रुपये किलो में बिक रही है जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी का भाव 19 रुपये से 20 रुपये के बीच है. मतलब साफ है बाहर से चीनी लाना, भारत में ऊंचे दाम पर बेचना और अच्छा खासा मुनाफा कमाना.

चीनी मिलों को भी हो रहा है भारी नुकसान

जानकारी के मुताबिक 100 kg चीनी बनाने में चीनी मिलों को करीब 3300 से 3500 रुपये का खर्च होता है लेकिन फिलहाल भाव 2400 रुपये मिल रहा है. मतलब करीब 1000 रुपये का नुकसान हो रहा है. चीनी मिल मालिकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने अगर जल्द मौजूदा हालत को ठीक करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया, तो कई चीनी मिले बंद हो जाएगी. बैंकों से लिए कर्ज भी चुका पाना मुश्किल होगा.

प्रधानमंत्री से मांगा वक्त

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के नेतृत्व ने देशभर के चीनी मिल संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का वक्त मांगा है. मंगलवार को मोदी और पवार की इस मुद्दे पर मुलाकात हो सकती है.

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