पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बीजेपी विरोधी अपनी लय को बरकरार रखते हुए पीएम मोदी पर सालभर हमलावर रहीं. उन्होंने अपने भाषणों और सोशल मीडिया पर लेखों और व्यंग्यों के जरिए मोदी सरकार पर कड़े हमले किए और उनकी सरकार का केंद्र से कई मुद्दों पर संघर्ष जारी रहा.
पौराणिक कथाओं से लेकर प्राचीन भारतीय इतिहास तक तृणमूल कांग्रेस चीफ ममता बनर्जी मोदी पर सभी तरह के हमलावर रहीं, जबकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी का वोट शेयर उपचुनावों और स्थानीय निकाय के चुनावों में बढ़ना जारी रहा.
बीजेपी विरोध की धुरी बनीं ममता
बीजेपी ने जिस तरह से तृणमूल के विकल्प के तौर पर उभरने का प्रयास किया, ममता ने इसके उलट राष्ट्रीय तौर पर खुद को हिंदुत्व समूह के अहम विरोधी के तौर पर पेश किया. ममता ने क्षेत्रीय नेताओं के साथ मिलकर संघ परिवार का विरोध किया और अपने फैसलों और कार्रवाई से केंद्र के कामकाज पर दबाव बनाया व अपना हित साधा.
GST, नोटबंदी को लेकर सरकार पर वार
उन्होंने मोदी सरकार की प्रमुख नीतियों जैसे नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लेकर उन पर निशाना साधा, जबकि आर्थिक वृद्धि में गिरावट, अहिष्णुता, गोमांस प्रतिबंध और गोरक्षकों जैसे ज्वलंत मुद्दों से फायदा उठाने की कोशिश की. हालांकि, वो मोदी पर जोरदार हमलों की वजह से सुर्खियों में रहीं.
ममता ने की थी मोदी की कालिदास से तुलना
ममता ने एक मौके पर मोदी की तुलना संस्कृत के महान कवि और नाटककार कालिदास से की थी. हालांकि उन्होंने तुलना उस कालिदास से की थी, जिसे कभी महान मूर्ख समझा जाता था. कहानी का संदर्भ ये था कि राजकुमारी विद्योत्तमा के लिए जब महामूर्ख की तलाश की जा रही थी तो देखा गया कि एक युवक बुद्धिमत्ता की कमी की वजह से जिस डाल पर बैठा था, उसी को काट रहा था. वो युवक कालिदास था, जो विद्योत्तमा के साथ विवाह के बाद बुद्धिमान बना. ममता बनर्जी ने अपनी टिप्पणी में कहा-
देश की सभी संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं. ये एक खतरनाक खेल है. प्रधानमंत्री कालिदास की तरह व्यवहार कर रहे हैं, वो जिस शाखा पर बैठे हैं उसी को काटने की कोशिश कर रहे हैं.
रावण से भी कर डाली थी तुलना
ममता ने अपने एक दूसरे आक्रामक भाषण में मोदी व रामायण महाकाव्य के दैत्य राजा रावण की तुलना की. मोदी के 56 इंच के सीने की टिप्पणी का जिक्र करते हुए ममता ने कहा, "वो दावा करते हैं कि उनका सीना व कंधा चौड़ा है. रावण के कंधे भी चौड़े थे और उसके दस सिर थे."
बंकुरा जिले में एक सार्वजनिक सभा में ममता बनर्जी ने मोदी पर फिर से हमला किया और मोदी सरकार को 'गूंगा व बहरा' बताया.
चायवाला से बन गए हैं पेटीएम वाला
उन्होंने कहा, "वो पहले खुद को चायवाला कहते थे. अब वो करोड़पति पेटीएम वाला बन चुके हैं." ममता बनर्जी ने नोटबंदी को 'शर्मनाक' बताया और ट्विटर पर मोदी के इस फैसले को 'एक तानाशाह की दृष्टिहीन, उद्देश्यहीन व दिशाहीन फैसला' बताकर खारिज किया था. ममता बनर्जी ने लोकतांत्रिक प्रदर्शन के हर तरीके को अपनाया. उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का दरवाजा भी खटखटाया था और उनसे देश की अव्यवस्था को बचाने का आग्रह किया था.
ममता को मोदी से ही ऐतराज!
ममता ने मोदी से इतर बीजेपी के दूसरे नेताओं- लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह व अरुण जेटली के नेतृत्व को स्वीकार करने की बात कही. जीएसटी को समर्थन देते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि मोदी सरकार ने इस नई प्रणाली को 'विनाशकारी रूप से जल्दबाजी' में एक जुलाई से लागू कर दिया. उन्होंने केंद्र के इस कदम को 'एक अन्य बड़ी भूल' बताया.
हालांकि, ममता बनर्जी ने 'संयुक्त नेतृत्व' के जरिए मोदी को चुनौती देने पर जोर दिया. लेकिन एक मीडिया कॉन्क्लेव में बीते महीने उन्होंने संकेत दिया कि वA 2019 में सभी विपक्षी दलों को बीजेपी के खिलाफ एक मंच पर लाने में कोई भूमिका निभाने नहीं जा रही हैं, कोई ऐसा साझा मंच बनेगा तो उसका समर्थन जरूर करेंगी.
(इनपुट: IANS)
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