ADVERTISEMENTREMOVE AD

मणिपुर चुनाव: पहले चरण में 8% कम मतदान, बीजेपी या कांग्रेस को करेगा परेशान?

मणिपुर में जिन 3 सीटों पर सबसे ज्यादा वोट पड़े, वहां जीत का अंतर 36 और 114 वोट का रहा है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

मणिपुर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 6 जिलों की 38 सीटों पर 78% वोट पड़े. इन्हीं सीटों पर साल 2012 में 80% और साल 2017 में 86% वोट पड़े थे. यानी अबकी बार पिछले दो चुनावों की तुलना में कम वोट पड़े. मणिपुर का चुनाव अन्य राज्यों की तुलना में अलग है. यहां हर सीट पर औसत 30 हजार वोटर हैं. 500 से 1000 वोटों से हार जीत होती है. ऐसे में समझते हैं कि मणिपुर में फर्स्ट फेज के वोटिंग प्रतिशत क्या संकेत दे रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वोटिंग प्रतिशत से पहले मणिपुर की राजनीति को समझ लीजिए

मणिपुर की करीब 30 लाख आबादी है, जिसमें 53% मैतेई जनजाति, 24% नागा और बाकी में से करीब 16% कूकी जो जनजाति के लोग हैं. यहां हिंदू और ईसाई धर्म के लोग ज्यादा संख्या में हैं. राज्य की 60 सीटों में से 40 वैली या घाटी में हैं. 20 पर्वतीय इलाकों में हैं.

अब कुछ स्थानीय पार्टियों के प्रभाव को समझ लेते है. नागा जनजाति के लोग कोहिमा के नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) को सपोर्ट करते हैं. 2017 में NPF ने 4 सीट जीती थी. अबकी बार ये 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. NPF के अलावा नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP), जनता दल (U) मुख्य भूमिका में हैं. टीएमसी भी बड़ी भूमिका में है.

साल 2012 में 12 सीट जीती, लेकिन बाद में उनके विधायक कांग्रेस-बीजेपी में शामिल हो गए. यानी प्रदेश में दलबदल का बोलबाला है. साल 2017 में कांग्रेस के पास 28 सीटें थीं. बीजेपी के पास सिर्फ 21. लेकिन बीजेपी ने नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी.

इम्फाल वेस्ट में औसत से 6% ज्यादा मतदान हुआ

मणिपुर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कुल 173 उम्मीदवार मैदान में थे, जिसमें 21% पर किसी न किसी तरह का केस दर्ज है. पहले चरण में 15 महिला उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रही थी.

पहले चरण के चुनाव में इम्फाल ईस्ट में 77%, इम्फाल वेस्ट में 84%, चुराचांदपुर में 72%, विष्णुपुर में 74% और कांगपोकपी में 83% वोट पड़े.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

3 सीटों पर 90% से ज्यादा वोट, 2 कांग्रेस के पास थी

मणिपुर के पहले चरण के चुनाव में 78% मतदान हुआ, लेकिन तीन सीटें ऐसी हैं जहां पर 90% से ज्यादा वोट पड़े. वांगोई (Wangoi), पटसोई (Patsoi) और कोंथौजाम (Konthoujam). वांगोई और पटसोई पर 2017 में कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत हासिल की. कोंथौजाम पर बीजेपी ने. लेकिन इन सीटों से जुड़ा एक और इंटरेस्टिंग फैक्ट है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जहां ज्यादा वोट पड़े, वहां पिछली बार जीत का अंतर 36 से 114 वोटों का

  • वांगोई में 92% वोट, पिछली बार 36 वोट से कांग्रेस जीती थी: वांगोई में सबसे ज्यादा 92% मतदान हुआ. 2017 में 94.6% वोट पड़े. ये इम्फाल वेस्ट जिले में आती है. साल 2017 में इस सीट से कांग्रेस के ओइनम लुखोई सिंह जीते थे, जिन्हें 7443 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर एनपीपी के के लोकेन सिंह थे, जिन्हें 7407 वोट मिले. यानी सिर्फ 36 वोटों से जीत मिली थी.

  • पटसोई में 90% वोट, पिछली बार 114 वोट से जीत हुई थी: पटसोई विधानसभा सीट पर 90% वोट पड़े. 2017 में भी 90.1% मतदान हुआ था. कांग्रेस की मीराबाई देवी ने जीत हासिल की थी. उन्हें 13,405 वोट मिले थे. वहीं एनईडीपी के सपम केबा सिंह को 13291 वोट मिले. जीत का अंतर 114 वोटों का था.

  • कोंथौजाम में 90.1% वोट, 2772 वोटों से जीती थी बीजेपी: कोंथौजाम सीट पर 90.10% वोट पड़े. साल 2017 में 93.2% वोट मतदान हुआ था. बीजेपी के डॉक्टर रंजन सिंह विधायक बने थे. उन्हें 14,313 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर कांग्रेस के के शरत सिंह थे, जिन्हें 11541 वोट मिले. जीत का अंतर 2772 वोटों का था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

नोट बांटे गए-मतदान से एक दिन पहले हत्या तक हुई

मणिपुर में मतदान के दौरान नोट बांटने की घटना सामने आई. केइराव (Keirao) विधानसभा के पोलिंग स्टेशन पर कैश बांटने का फुटेज सामने आया, जिसके बाद आयोग ने सख्त कार्रवाई की. सिंघट (Singhat) विधानसभा के पोलिंग स्टेशन पर हिंसा की खबर आई. EVM की कंट्रोल यूनिट तक टूट गई. केइराव के एक पोलिंग स्टेशन पर गोली चलने की घटना भी सामने आई. मतदान से एक दिन पहले क्षत्रियगांव (Kshetrigao) में जेडीयू उम्मीदवार को अज्ञात बदमाशों ने गोली मार दी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2012 में 38 सीटों के नतीजे, 27 पर कांग्रेस का कब्जा

जिन 38 सीटों पर मतदान हुआ, उनपर 2012 के नतीजे देखें तो टीएम को इम्फाल से 2, इम्फाल वेस्ट से 3 और बिश्नुपुर (Bishnupur) से 1 सीट मिली थी. कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत मिली थी, जिनमें चुराचांदपुर (Churuchandpur) की 6, बिश्नुपुर (Bishnupur) की 5 सीट शामिल है. लोक जनशक्ति पार्टी को इम्फाल वेस्ट से लंगथाबल (Langthabal) सीट पर जीत मिली थी. मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी को 3 सीटों पर जीत मिली थी. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी को इम्फाल वेस्ट की कीशमथोंग (Keishamthong) सीट पर जीत मिली थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

5 साल में बदला खेल, 38 में से 18 पर बीजेपी आ गई

मणिपुर चुनाव के पहले चरण में जिन 38 सीटों पर चुनाव हुए, उनपर साल 2017 में टीएमसी को बिश्नुपुर (Bishnupur) से थंगा (Thanga) की एक सीट पर जीत मिली थी. BJP को 18 सीटों पर जीत मिली, जिसमें इम्फाल की 5 सीट, इम्फाल वेस्ट की 5 सीट शामिल है. कांग्रेस को 16 सीटों पर जीत मिली, जिसमें इम्फाल की 3 सीट, इम्फाल वेस्ट की 4 सीट, बिश्नुपुर (Bishnupur) से 3 सीट और चुराचांदपुर (Churuchandpur) से तीन सीटों पर जीत दर्ज की. लोक जनशक्ति पार्टी को इम्फाल वेस्ट की लंगथाबल (Langthabal) सीट पर जीत मिली थी. नेशनल पीपुल्स पार्टी को इम्फाल वेस्ट की 2 सीटों पर जीत मिली थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

1% वोट से 7 सीटों का फर्क पड़ा था

मणिपुर का चुनाव काफी दिलचस्प माना जाता है. साल 2017 में कांग्रेस को 35% और बीजेपी को 36% वोट मिले. लेकिन 1% वोट से 7 सीट का फर्क दिखा. कांग्रेस को 28 और बीजेपी को 21 सीट मिली थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मणिपुर में स्थानीय छोटे दल और 'अन्य' की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. 2017 में 'अन्य' के खाते में 9.4% वोट गए थे. वहीं 2012 की बात करें तो अन्य के पास 24.1% थे. यानी ये वोटर निर्णायक भूमिका में रहा है. अबकी बार भी फाइट बहुत करीबी मानी जा रही है. अभी दूसरे फेज का मतदान बचा है. ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी 2017 वाला कमाल कर पाती है या कांग्रेस 2012 की तरह से सत्ता में वापसी करती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×