उत्तर प्रदेश चुनाव के पांचवें चरण में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) की सिराथू सीट (Sirathu Seat) पर भी मतदान हुआ. 60.05% वोट पड़े. पिछले 45 साल का रिकॉर्ड देखें तो अबकी बार सबसे ज्यादा वोट पड़े हैं. अब तक सिराथू सीट पर सबसे ज्यादा 58% वोट साल 2012 में पड़े थे और तब केशव प्रसाद मौर्य की जीत हुई थी.
सिराथू को बीजेपी सेफ सीट मान रही है, वहीं एसपी ने पल्लवी पटेल को मैदान में उतारा. बीएसपी की तरफ से मुनसब अली उस्मानी ने मुकाबले को और भी ज्यादा रोचक बना दिया.
पिछले कुछ चुनावों के देखें तो सिराथू सीट पर कम मतदान होता रहा है. साल 1977 में 34%, 1980 में 25%, 1985 में 39%, 1991 में 35%, 1996 में 41%, 2002 में 50%, 2007 में 39%, 2012 में 58% और 2017 में 55% वोट पड़े.
सिराथू में निर्णायक भूमिका में कुर्मी वोटर
बीजेपी में ओबीसी का बड़ा चेहरे माने जाने वाली डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से मैदान में हैं. यहां औसत से ज्यादा वोट पड़े हैं. लेकिन अबकी बार कड़ी चुनौती मिलती दिखी. सिराथू सीट कौशांबी जिले में आती है. यहां 36% अनुसूचित जाति का वोटर है, जिसमें पासी करीब 3 लाख हैं. कुर्मी वोटर सबसे ज्यादा निर्णायक भूमिका में हैं.
सिराथू से कभी न जीतने वाली एसपी से मिली टक्कर
साल 1977 से लेकर 2017 तक की बात करें तो कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से एसपी कभी नहीं जीती है, लेकिन बीएसपी टक्कर देती रही है. सीट भी निकाली है.
1977 से लेकर अब तक की बात करें तो सिराथू विधानसभा सीट से सिर्फ 2 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है. साल 2012 और 2017 में. 2012 में केशव प्रसाद मौर्य और 2017 में शीतला प्रसाद को जीत मिली. वहीं इस सीट से बीएसपी ने चार बार जीत हासिल की.
डिप्टी सीएम को इंद्रजीत सरोज से मिली चुनौती
दरअसल, सिराथू की सीट पर केशव प्रसाद मौर्य के लिए इसलिए भी चुनौती है, क्योंकि सिराथू सीट पर इंद्रजीत सरोज बड़े बीएसपी नेता रहे हैं, उनका पिछड़ी और अनुसूचित जातियों में बड़ा होल्ड है, उनके साथ ही बीएसपी के जिला अध्यक्ष रहे आनंद पटेल भी एसपी में चले गए. इस सीट पर बीएसपी का दबदबा रहा है. पल्लवी पटेल खुद को कुर्मी समाज की बेटी बताती रहीं. ऐसे में इन नेताओं का एसपी में जाने से बीजेपी को चुनौती मिलती दिखी.
पूरे चुनाव में एसपी ने बीजेपी के ओबीसी चेहरे (केशव प्रसाद मौर्य) को डेंट पहुंचाने के लिए कई बयान दिए. सिराथू सीट के जरिए पूरे प्रदेश में मैसेज देने की कोशिश की कि बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य का सम्मान नहीं किया. ऐसे में इस सीट पर ज्यादा पोलिंग प्रतिशत बताते हैं कि उम्मीदवारों को लेकर वोटर में खासा उत्साह था. ऐसे में मुकाबला टक्कर का है. यानी जिस सीट को बीजेपी सेफ मान रही थी वहां एसपी से कड़ी चुनौती मिली.
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