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BJP की प्रेशर पॉलिटिक्स का जवाब या सेल्फ गोल? सिसोदिया के इस्तीफे के मायने

Manish Sisodia और Satyendar Jain का दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा, सीएम अरविंद केजरीवाल ने किया स्वीकार

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दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने कैबिनेट से इस्तीफा (Manish Sisodia Satyendar Jain resign) दे दिया है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया. CBI द्वारा शराब नीति घोटाले मामले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया को SC से राहत नहीं मिलने के बाद इस्तीफे की खबर सामने आई. सवाल है कि अरविंद केजरीवाल को अपने नंबर दो नेता और पार्टी के सबसे बड़े तुरुप के इक्के- 'शिक्षा मॉडल' के कर्ताधर्ता का इस्तीफा क्यों लेना पड़ा? क्योंकि सत्येंद्र जैन तो पिछले 9 महीने से जेल में हैं. ऐसे में समझते हैं कि आम आदमी पार्टी का ये फैसला इस विवाद से निकलने का जरिया बन सकता है या फिर आगे चलकर सेल्फ गोल?

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मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की 3 वजहें क्या?

1- वित्त मंत्री सिसोदिया जेल में, बजट कौन पेश करता?

डिप्टी सीएम सिसोदिया के पास दिल्ली सरकार के 33 में से 18 पोर्टफोलियो/विभाग थे. इसमें शिक्षा, वित्त और गृह जैसे प्रमुख विभाग शामिल थे. सिसोदिया ने पिछले साल सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद उनके विभागों को भी ले लिया था.

दिल्ली सरकार को मार्च के पहले हफ्ते में अपना बजट पेश करने है और इससे महज कुछ दिन पहले सिसोदिया की गिरफ्तारी ने अरविंद केजरीवाल सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर दी थी. सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली और शायद सिसोदिया अभी बाहर न आ पाए. ऐसे में दिल्ली सरकार के पास सबसे तार्किक विकल्प यही था कि सिसोदिया का इस्तीफा लेकर किसी और मंत्री को यह विभाग दे दिया जाए.

2- बीजेपी की इस्तीफे वाली प्रेशर पॉलिटिक्स से राहत

मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी के बाद से ही बीजेपी इस्तीफे की मांग को लेकर हमलावर थी. बीजेपी ने पिछले 9 महीनों से जेल में बंद सत्येंद्र जैन के इस्तीफे की मांग उतने जोर-शोर से नहीं उठाया था जितना सिसोदिया के मामले में उठाया गया. इसकी वजह भी साफ थी. इसबार केजरीवाल सरकार का सबसे बड़ा मंत्री गिरफ्तार हुआ था. मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे को स्वीकार करके सीएम केजरीवाल ने कम से कम बीजेपी से यह कहने का मौका छीन लिया है कि केजरीवाल कैबिनेट में जेल में बंद मंत्री बने हुए हैं.

3- बीजेपी के ऐसे आरोपियों पर AAP के पास आक्रामक होने का मौका

AAP ने अपने दोनों मंत्रियों का इस्तीफा लेकर यह संदेश देने की कोशिश की कि जांच प्रभावित न हो इसलिए ऐसा किया गया है. साथ ही यह भी बीजेपी के ऐसे आरोपियों पर AAP आक्रामक भी हो सकती है. इस्तीफे के तुरंत बाद आप ने एक ट्वीट कर बीजेपी पर आरोप लगाया है कि तमाम आरोपों में फंसे विपक्षी नेता दलबदल कर जब भगवा पार्टी में आते हैं तो सभी आरोपमुक्त हो जाते हैं.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा है कि दोनों मंत्रियों का इस्तीफे किसी भी तरह से अपराध की स्वीकृति नहीं है, बल्कि इसे "प्रशासनिक कदम" बताते हुए जोर दिया कि दिल्ली के काम बाधित ना हो इसलिए सीएम केजरीवाल ने इस्तीफा मंजूर किया है.

इस्तीफे वाली 'ट्रिक' और सेल्फ गोल का खतरा?  

मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे से आम आदमी पार्टी भले ही खुद की पीठ थपथपाए. कहे कि नैतिकता और दिल्ली वालों का काम न रुके, इसलिए दोनों मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया. लेकिन बीजेपी अलग स्टैंड लिए हुए हैं. बीजेपी के प्रवक्ता और नेता यह नैरेटिव सेट करते हुए दिख रहे हैं कि इस्तीफा देने का मतलब कहीं न कहीं दाल में कुछ काला है. यही वजह है कि जो बीजेपी पहले मनीष सिसोदिया का इस्तीफा मांग रही थी, अब वह सीधे अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की मांग कर रही है.

ऐसे में अगर बीजेपी अपने नैरेटिव में थोड़ा भी सफल होती है तो ये आम आदमी पार्टी के लिए सेल्फ गोल साबित हो सकता है. आम आदमी पार्टी जिस भ्रष्टाचार विरोध छवि के दम पर आई थी, उसी पर डेंट लगना पार्टी को भारी पड़ सकता है.

आम आदमी के लिए सेल्फ गोल का डर इसलिए भी है क्योंकि अबकी बार अरविंद केजरीवाल ने अपने पुराने पैटर्न से हटकर फैसला लिया है. अरविंद केजरीवाल की राजनीति को देखें तो पता चलता है कि उनकी छवि सरेंडर करने वाले की नहीं रही है. वह विरोधियों के खिलाफ धरना देते हैं. भूख हड़ताल करते है. विरोध और अपनी बात रखने के नए तरीके निकालते हैं. यानी सामना करते हैं, लेकिन इस बार कुछ हटके दिख रहा है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले लिया गया ये फैसला किसके हक में जाता है.

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