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Meghalaya Elections: BJP की बिना जनाधार कैसे होगी नैया पार?सामने हैं 3 चुनौतियां

मेघालय चुनाव 2023: CM Conrad Sangma के सामने खड़े बीजेपी उम्मीदवार बर्नार्ड मारक पर वेश्यालय चलाने जैसा गंभीर आरोप

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मेघालय के आगामी विधानसभा चुनाव (Meghalaya Elections 2023) में बीजेपी सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. हालांकि तीन वजहों से उसे इस उत्तर-पूर्वी राज्य में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

  1. ईसाई विरोधी छवि और राज्य में आधार की कमी

  2. कॉनराड संगमा पर हमला करना है या नहीं, इसपर दुविधा

  3. बीजेपी के वरिष्ठ नेता बर्नार्ड मारक पर लगे हैं गंभीर आरोप

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ईसाई विरोधी छवि और राज्य में आधार की कमी

राज्य में दो मुख्य विपक्षी पार्टियां- तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस- बीजेपी पर "ईसाई-विरोधी" और "बाहरी लोगों" का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी होने का आरोप लगा रही है.

पड़ोसी राज्य असम में बीजेपी सरकार द्वारा धर्मांतरण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान से बीजेपी के खिलाफ इस नैरेटिव को मजबूती भी मिल रही है.

5 फरवरी को संघ परिवार से जुड़े एक हिंदुत्व संगठन, जनजाति धर्म संस्कृति सुरक्षा मंच ने घोषणा की कि वह 12 फरवरी को 'चलो दिसपुर' मार्च निकालेंगे, ताकि धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को अनुसूचित जनजातियों से हटाने के आंदोलन तेज किया जा सके और उन्हें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लाभ के लिए अपात्र बनाया जा सके.

ऐसे में ध्यान रहे कि दिसपुर असम-मेघालय सीमा से बमुश्किल कुछ किलोमीटर की दूरी पर है और इस तरह की किसी भी ईसाई-विरोधी आंदोलन का इस ईसाई-बहुल राज्य मेघालय में प्रभाव पड़ने की संभावना है.

तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस दोनों ने बीजेपी पर "अल्पसंख्यक विरोधी" एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया है. हालांकि बीजेपी ने धर्मांतरण विरोधी अभियान से खुद को दूर करने की कोशिश की है, लेकिन मेघालय में पार्टी के प्रति कुछ अविश्वास है.

ऐतिहासिक रूप से, मेघालय की राजनीति में बीजेपी केवल एक मामूली खिलाड़ी रही है. पिछले दो दशकों में, पार्टी केवल दो सीटों पर जीतने में कामयाब रही है. ये दोनों सीट शिलॉन्ग और उसके आसपास हैं, जहां प्रवासी मतदाताओं की एक बड़ी संख्या है.

अब तक शिलॉन्ग के बाहर बीजेपी ने एकमात्र सीट 1998 में जीती थी. ये वेस्ट गारो हिल्स की दालू सीट थी, जहां बड़ी संख्या में हिंदू आबादी है.

वर्तमान में 60 सदस्यीय मेघालय विधानसभा में बीजेपी के केवल दो विधायक हैं - दक्षिण शिलांग से संबोर शुल्लई और शिलांग के उत्तरी भाग में पिनथोरुमखराह सीट से अलेक्जेंडर लालू हेक.

शुल्लई और हेक दोनों मजबूत स्थानीय नेता हैं, जिन्होंने इससे पहले गैर-बीजेपी टिकटों पर भी चुनावी जीत हासिल की है. 2013 में, शुल्लई ने NCP के टिकट पर जीत हासिल की थी, जबकि हेक ने कांग्रेस के टिकट पर. हालांकि अलेक्जेंडर हेक ने 1998, 2003 और 2008 में पाइनथोरुमख्राह सीट से बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी, जिससे यह मेघालय में बीजेपी के कुछ गढ़ों में से एक बन गयी.

बीजेपी 2018 के चुनाव में उत्तरी शिलांग सीट पर दूसरे नंबर पर आने में भी कामयाब रही, जहां उसका उम्मीदवार सिर्फ 406 वोटों से हारा. बीजेपी की मेघालय इकाई के अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी वेस्ट शिलांग सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

एक और सीट जिसपर बीजेपी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर सकती है, वह बांग्लादेश सीमा के पास रानीकोर है. यहां से पूर्व स्पीकर मार्टिन डैंगगो चुनाव लड़ रहे हैं. पार्टी गारो हिल्स में कुछ हिंदू इलाकों में कुछ पैठ बनाने की भी उम्मीद कर रही है.

अगर बीजेपी किसी तरह मेघालय में सरकार बनाने में सफल रहती है, तो सीएम पद के लिए हेक, शुल्लई, मावरी और डेंगगो को सबसे आगे माना जा रहा है.
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2. कोनराड संगमा पर हमला करना है या नहीं?

बीजेपी जानती है कि मेघालय में उसका बड़ा जनाआधार नहीं है. ऐसे में बीजेपी यही चाहेगी कि मुकाबला बहुकोणीय हो और स्थानीय समझौतों का लाभ उठाकर किसी तरह वह दहाई सीट जीत ले.

बीजेपी को यह भी उम्मीद होगी कि मेघालय में किसी को पूर्ण बहुमत न मिले और बीजेपी एक बार फिर NPP और UDP, PDF और HSPDP जैसे क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर गठबंधन की सरकार बनाए, लेकिन उस गठबंधन में सबसे प्रमुख पार्टी खुद भगवा पार्टी ही हो.

आखिरकार, बीजेपी मेघालय में एक निर्णायक खिलाड़ी बनना चाहती है, जैसे वह नागालैंड में बन गई है. अगर NPP कमजोर होती है और UDP मजबूत होती है तो भी बीजेपी को कोई आपत्ति नहीं होगी, क्योंकि इससे उसका लाभ बढ़ सकता है.

अब तक बीजेपी की राज्य इकाई ने कोई कसर नहीं छोड़ी है और NPP पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाया है.

मेघालय चुनाव में बीजेपी की मुख्य रणनीति NPP और कांग्रेस पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाना और केंद्र सरकार द्वारा भेजी गयी योजनाओं और फंड पर जोर देनी है.

कोनराड संगमा पर हमलों के बावजूद, बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री के खिलाफ बहुत आक्रामक नहीं रहा है. यहां तक ​​कि कॉनराड संगमा भी अपनी ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की प्रशंसा करते रहे हैं- खासकर असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद वार्ता के संबंध में.

इस रिश्ते और जनाधार की कमी के कारण, बीजेपी को एक विपक्षी दल के रूप में गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. विपक्ष का तमगा अभी भी तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के पास है. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी ने चुनाव के बाद एनपीपी के साथ गठबंधन किया था.

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3. बीजेपी नेता बर्नार्ड मारक पर लगे आरोप

कोनराड संगमा के खिलाफ बीजेपी की रणनीति में एक बड़े चेहरे तुरा से गारो हिल स्वायत्त जिला परिषद के सदस्य बर्नार्ड मारक हैं. मारक दक्षिण तुरा विधानसभा क्षेत्र से कोनराड संगमा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.

बर्नार्ड मारक बीजेपी और एनपीपी के बीच विवाद के बड़े चेहरे रहे हैं.

जुलाई 2022 में, तुरा की स्थानीय पुलिस ने मारक को उत्तर प्रदेश के हापुड़ से गिरफ्तार किया था. मारक पर तुरा शहर से कुछ किलोमीटर दूर ईडनबारी के एक फार्महाउस में कथित तौर पर सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगा है.

पुलिस ने दावा किया कि उसने पांच नाबालिगों को फार्महाउस से छुड़ाया और मारक पर POCSO अधिनियम और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया.

इसे 'रिंपू बागान कांड' के नाम से जाना गया और इस घटना ने जनता को चौकाने का काम किया.

मारक ने तीन महीने जेल में बिताए. हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें फंसाया जा रहा है और जिस फार्महाउस पर सवाल उठाया जा रहा है, वह वेश्यालय नहीं था.

बीजेपी का नेतृत्व बर्नार्ड मारक के साथ खड़ा है और उसने कॉनराड संगमा पर विच-हंट करने का आरोप लगाया है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने तो मारक की तुलना अमित शाह से भी कर दी.

बीएल संतोष ने जनवरी में एक रैली में कहा था, "कांग्रेस ने अमित शाह के साथ भी यही कोशिश की. उन्होंने उन्हें जेल भेज दिया. अब आप जानते हैं कि अमित शाह कौन हैं और उन्हें निशाना बनाने की कोशिश करने वाले लोग कहां हैं. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि इसी तरह, जिसने भी मारक को खत्म करने की कोशिश की, उसे भी वही सबक सिखाया जाएगा."

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