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Mokama By Election Result: महागठबंधन के लिए 'अनंत' फैक्टर,BJP के लिए लिटमस टेस्ट

Mokama By-Election: RJD की नीलम देवी और बीजेपी की सोनम देवी के बीच मुकाबला.

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बिहार (Bihar) के मोकामा विधानसभा सीट (Mokama) पर उपचुनाव में दो बाहुबलियों के बीच मुकाबला है. बीजेपी से ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी (Sonam Devi) हैं. उनके खिलाफ आरजेडी से अनंत सिंह (Anant Singh) की पत्नी नीलम देवी (Neelam Devi) हैं. रविवार, 6 नवंबर को उपचुनाव के नतीजे आएंगे.

Mokama By Election Result: महागठबंधन के लिए 'अनंत' फैक्टर,BJP के लिए लिटमस टेस्ट

  1. 1. मोकामा सीट पर क्यों हुए उपचुनाव?

    राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बाहुबली नेता अनंत सिंह (Anant Singh) की विधायकी रद्द होने के बाद मोकामा सीट (Mokama constituency) पर उपचुनाव हुए हैं. अनंत सिंह को एके-47 मामले में 10 साल की सजा हुई है.

    मोकामा में 3 नवंबर को उपचुनाव के लिए वोट डाले गए. यहां 53.45 प्रतिशत मतदान हुआ. इससे पहले 2020 के चुनाव के दौरान 54.01 प्रतिशत वोट पड़े थे. वहीं 2015 में 56.96 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.

    मोकामा सीट में वोटरों का समीकरण

    • कुल वोटर- 2,70,755

    • पुरुष वोटर- 1,42,425

    • महिला वोटर- 1,28,327

    Mokama By-Election: RJD की नीलम देवी और बीजेपी की सोनम देवी के बीच मुकाबला.

    मोकामा सीट में वोटरों का समीकरण

    (फोटो: क्विंट)

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  2. 2. आरजेडी के पक्ष में क्या है?

    आरजेडी की पक्ष में सबसे बड़ी बात अनंत सिंह का नाम है. अनंत सिंह को मोकामा का रॉबिनहुड कहा जाता है. भले ही आर्म्स एक्ट में उन्हें सजा हो गई हो लेकिन इलाके में उनका रुतबा कम नहीं हुआ. पिछले 4 चुनाव के परिणाम तो यही बताते हैं. साल 2005 से अनंत सिंह लगातार मोकामा से जीतते आ रहे हैं. चाहे किसी दल के सिंबल पर हों या फिर निर्दलीय. 2005 में JDU के टिकट पर उन्होंने LJP के नलिनी रंजन को हराया था. 2010 में अनंत सिंह ने LJP उम्मीदवार सोनम देवी को हराकर इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा.

    Mokama By-Election: RJD की नीलम देवी और बीजेपी की सोनम देवी के बीच मुकाबला.

    पिछले 5 चुनावों के परिणाम

    (फोटो: क्विंट)

    2015 में जब लालू-नीतीश साथ आए तो अनंत सिंह का टिकट कट गया. लेकिन अनंत सिंह ने निर्दलीय ताल ठोकी और JDU के नीरज कुमार को हराया. इसके बाद 2020 में समीकरण बदले और RJD के टिकट पर एक बार फिर से अनंत सिंह ने JDU के राजीव लोचन शर्मा को शिकस्त दी.

    पिछले नतीजों के आधार पर कहा जा सकता है कि इस बार भी परिणाम RJD के पक्ष में ही जाएगा. इसका एक और सबसे बड़ा कारण महागठबंधन का साथ भी है. पिछली बार अनंत सिंह को सिर्फ आरजेडी का साथ था. लेकिन इस बार महागठबंध की सात पार्टियां नीलम देवी के साथ खड़ी हैं. ऐसे में उनकी जीत पक्की मानी जा रही है.

    इस सीट पर भूमिहार वोटरों का वर्चस्व है. इसके साथ ही ब्राह्मण, कुर्मी, यादव, पासवान वोटर्स भी हैं. इस सीट पर राजपूत और रविदास जातियों के भी वोटर हैं. लेकिन माना यही जाता है कि जिसके पाले में सवर्ण (भूमिहार-ब्राह्मण, राजपूत) वोट जाएंगे उसकी जीत तय है. मोकामा एक ऐसी सीट है जहां जातीय समीकरण सबसे ज्यादा हावी रहते हैं.

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  3. 3. बीजेपी के पक्ष में क्या है?

    बीजेपी के लिए ये चुनाव किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है. बीजेपी ने उपचुनाव के लिए 40 स्टार प्रचारों की सूची जारी की थी. जिसमें केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह, सांसद रविशंकर प्रसाद, पूर्व मंत्री मंगल पांडे, प्रेम कुमार, नंद किशोर यादव सहित कई नेता शामिल थे.

    बीजेपी ने सोनम देवी को टिकट देकर जनता के बीच 'दागी विरोधी' होने का मैसेज देने की कोशिश की है. लेकिन, सोनम देवी के पति ललन सिंह भी बाहुबली हैं और उनके खिलाफ अलग-अलग थानों में कई अपराधिक मामले दर्ज हैं.

    इसके साथ ही बीजेपी ने भी भूमिहार कार्ड खेला है. सोनम देवी भी भूमिहार समाज से आती हैं. दो भूमिहार उम्मीदवारों के चुनाव में खड़ा होने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

    वहीं इस चुनाव में मोदी फैक्टर का कितना असर पड़ा यह परिणाम के बाद साफ हो जाएगा. इसके साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि क्या प्रदेश की सत्ता से हटने के बाद भी जनता के मन में बीजेपी के प्रति विश्वास कायम है या नहीं.

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  4. 4. मोकामा का सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?

    मोकामा के टाल क्षेत्र में पानी लगने की समस्या सबसे बड़ी है. यहां के लोग जीवनयापन के लिए 'टाल' पर निर्भर हैं. लेकिन साल 2005 से लगातार जीतने के बावजूद अनंत सिंह टाल इलाके में लगने वाले पानी की समस्या का समाधान नहीं कर पाए हैं. इसके अलावा रोजगार और शिक्षा का मुद्दा भी है. हालांकि, यह मोकामा के पिछले ट्रेंड के मुताबिक कहा जाता है कि जहां अनंत सिंह का नाम आ जाता है वहां सभी मुद्दे गौण हो जाते है.

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  5. 5. क्या है दांव पर?

    ये सिर्फ एक सीट का मामला नहीं है. बीजेपी और नीतीश के अलगाव के बाद पहला चुनाव तो एक तरह से जनमत संग्रह है कि नीतीश-तेजस्वी के तालमेल को जनता अप्रूव कर रही है या नहीं. बीजेपी जीती तो कहेगी कि देखो धोखेबाजी को सजा मिली. ये नतीजे 2024 और 2025 के चुनावों के लिए एक संदेश होंगे.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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मोकामा सीट पर क्यों हुए उपचुनाव?

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बाहुबली नेता अनंत सिंह (Anant Singh) की विधायकी रद्द होने के बाद मोकामा सीट (Mokama constituency) पर उपचुनाव हुए हैं. अनंत सिंह को एके-47 मामले में 10 साल की सजा हुई है.

मोकामा में 3 नवंबर को उपचुनाव के लिए वोट डाले गए. यहां 53.45 प्रतिशत मतदान हुआ. इससे पहले 2020 के चुनाव के दौरान 54.01 प्रतिशत वोट पड़े थे. वहीं 2015 में 56.96 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.

मोकामा सीट में वोटरों का समीकरण

  • कुल वोटर- 2,70,755

  • पुरुष वोटर- 1,42,425

  • महिला वोटर- 1,28,327

Mokama By-Election: RJD की नीलम देवी और बीजेपी की सोनम देवी के बीच मुकाबला.

मोकामा सीट में वोटरों का समीकरण

(फोटो: क्विंट)

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आरजेडी के पक्ष में क्या है?

आरजेडी की पक्ष में सबसे बड़ी बात अनंत सिंह का नाम है. अनंत सिंह को मोकामा का रॉबिनहुड कहा जाता है. भले ही आर्म्स एक्ट में उन्हें सजा हो गई हो लेकिन इलाके में उनका रुतबा कम नहीं हुआ. पिछले 4 चुनाव के परिणाम तो यही बताते हैं. साल 2005 से अनंत सिंह लगातार मोकामा से जीतते आ रहे हैं. चाहे किसी दल के सिंबल पर हों या फिर निर्दलीय. 2005 में JDU के टिकट पर उन्होंने LJP के नलिनी रंजन को हराया था. 2010 में अनंत सिंह ने LJP उम्मीदवार सोनम देवी को हराकर इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा.

Mokama By-Election: RJD की नीलम देवी और बीजेपी की सोनम देवी के बीच मुकाबला.

पिछले 5 चुनावों के परिणाम

(फोटो: क्विंट)

2015 में जब लालू-नीतीश साथ आए तो अनंत सिंह का टिकट कट गया. लेकिन अनंत सिंह ने निर्दलीय ताल ठोकी और JDU के नीरज कुमार को हराया. इसके बाद 2020 में समीकरण बदले और RJD के टिकट पर एक बार फिर से अनंत सिंह ने JDU के राजीव लोचन शर्मा को शिकस्त दी.

पिछले नतीजों के आधार पर कहा जा सकता है कि इस बार भी परिणाम RJD के पक्ष में ही जाएगा. इसका एक और सबसे बड़ा कारण महागठबंधन का साथ भी है. पिछली बार अनंत सिंह को सिर्फ आरजेडी का साथ था. लेकिन इस बार महागठबंध की सात पार्टियां नीलम देवी के साथ खड़ी हैं. ऐसे में उनकी जीत पक्की मानी जा रही है.

इस सीट पर भूमिहार वोटरों का वर्चस्व है. इसके साथ ही ब्राह्मण, कुर्मी, यादव, पासवान वोटर्स भी हैं. इस सीट पर राजपूत और रविदास जातियों के भी वोटर हैं. लेकिन माना यही जाता है कि जिसके पाले में सवर्ण (भूमिहार-ब्राह्मण, राजपूत) वोट जाएंगे उसकी जीत तय है. मोकामा एक ऐसी सीट है जहां जातीय समीकरण सबसे ज्यादा हावी रहते हैं.

बीजेपी के पक्ष में क्या है?

बीजेपी के लिए ये चुनाव किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है. बीजेपी ने उपचुनाव के लिए 40 स्टार प्रचारों की सूची जारी की थी. जिसमें केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह, सांसद रविशंकर प्रसाद, पूर्व मंत्री मंगल पांडे, प्रेम कुमार, नंद किशोर यादव सहित कई नेता शामिल थे.

बीजेपी ने सोनम देवी को टिकट देकर जनता के बीच 'दागी विरोधी' होने का मैसेज देने की कोशिश की है. लेकिन, सोनम देवी के पति ललन सिंह भी बाहुबली हैं और उनके खिलाफ अलग-अलग थानों में कई अपराधिक मामले दर्ज हैं.

इसके साथ ही बीजेपी ने भी भूमिहार कार्ड खेला है. सोनम देवी भी भूमिहार समाज से आती हैं. दो भूमिहार उम्मीदवारों के चुनाव में खड़ा होने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

वहीं इस चुनाव में मोदी फैक्टर का कितना असर पड़ा यह परिणाम के बाद साफ हो जाएगा. इसके साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि क्या प्रदेश की सत्ता से हटने के बाद भी जनता के मन में बीजेपी के प्रति विश्वास कायम है या नहीं.

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मोकामा का सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?

मोकामा के टाल क्षेत्र में पानी लगने की समस्या सबसे बड़ी है. यहां के लोग जीवनयापन के लिए 'टाल' पर निर्भर हैं. लेकिन साल 2005 से लगातार जीतने के बावजूद अनंत सिंह टाल इलाके में लगने वाले पानी की समस्या का समाधान नहीं कर पाए हैं. इसके अलावा रोजगार और शिक्षा का मुद्दा भी है. हालांकि, यह मोकामा के पिछले ट्रेंड के मुताबिक कहा जाता है कि जहां अनंत सिंह का नाम आ जाता है वहां सभी मुद्दे गौण हो जाते है.

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क्या है दांव पर?

ये सिर्फ एक सीट का मामला नहीं है. बीजेपी और नीतीश के अलगाव के बाद पहला चुनाव तो एक तरह से जनमत संग्रह है कि नीतीश-तेजस्वी के तालमेल को जनता अप्रूव कर रही है या नहीं. बीजेपी जीती तो कहेगी कि देखो धोखेबाजी को सजा मिली. ये नतीजे 2024 और 2025 के चुनावों के लिए एक संदेश होंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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