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'अवैध घर को अवैध कहना ही अवैध': बुलडोजर नीति वाली शिवराज सरकार का बदला नजरिया?

Madhya Pradesh में 6000 अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की गई है.

'अवैध घर को अवैध कहना ही अवैध': बुलडोजर नीति वाली शिवराज सरकार का बदला नजरिया?
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Madhya Pradesh Assembly Elections 2023- इन कुछ शब्दों की आहट ने बुलडोजर नीति की वकालत करने वाली भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को यह कहने पर विवश कर दिया कि 'अवैध मकानों को अवैध कहना ही अवैध है'.

लगातार तीन वर्षों तक बुलडोजर नीति, बुलडोजर मामा जैसे तमगों से खुश हो रही बीजेपी सरकार ने एमपी विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले प्रदेश भर के लगभग 6000 अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की है.

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"पाई पाई जोड़कर सुख दुख जहां बसर होता है

छोटा-बड़ा जैसा भी हो अपना घर अपना घर होता है"

भावुकता से ओतप्रोत मामा के नाम से मशहूर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने वक्तव्य की शुरुआत करते हुए ये कहा. उनसे इत्तेफाक रखने वाले प्रदेश के कई लोग हैं, लेकिन ये दुखदाई इत्तेफाक है. दरअसल शिवराज सरकार की इस योजना ने सरकार के ही अपने कर्मों के खिलाफ मोर्चा खोलने का काम किया है.

बड़ी बड़ी बिल्डिंगों और कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा, गांव कस्बों में चलाए गए बुलडोजर

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में अप्रैल 2022 में दंगे हुए, जिसकी अगली सुबह शिवराज सरकार ने घरों और दुकानों को पत्थरों का ढेर बना देने की बात कही और दर्जनों घर और मकानों पर बुलडोजर चला दिया. इसमें एक घर अमजद पठान का था. अमजद पेशे से दिहाड़ी मजदूर हैं, और हम्माली का काम करते हैं. अमजद का घर प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत बना था. शिवराज सिंह चौहान की नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने अमजद को बेघर कर दिया.

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उस समय कहा ये गया कि दंगाइयों के मकान तोड़े जा रहे हैं, हालांकि जब क्विंट हिंदी ने इस खबर को दिखाया था तो तत्कालीन कलेक्टर अनुग्रह पी ने कहा था, "मकानों को गिराना पूरी तरह से कानून की हद में है और ये सरकारी जमीन पर बने थे".

अमजद पठान से जब क्विंट हिंदी ने बात की तो उन्होंने कहा कि सरकार बड़ी-बड़ी कॉलोनियों को अवैध से वैध कर रही है, लेकिन यही सरकार गरीबों का घर गिराकर उनके नाम पर राजनीति भी कर रही है.

"जब हमारा घर गिराया गया तो हमको मात्र 15 मिनट की मोहलत दी थी. सब जगह यही बताया गया कि दंगाइयों के घर गिरा रहे हैं. मैंने कौन सा दंगा किया था, मेरी 60 साल की बूढ़ी मां ने किस पर पत्थर फेंके थे? कोर्ट का नोटिस आया था. हम जवाब देने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन उसी दौरान दंगा हुआ और हमारा घर गिरा दिया गया."

अमजद आगे आरोप लगाते हैं कि सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है और गरीबों मजदूर वर्ग के लिए कुछ नहीं करती. अपना घर गिराए जाने के बाद बीते एक साल में अमजद तीन बार किराए का मकान बदल चुके हैं. खरगोन की तपती गर्मी में हम्माली करने वाले अमजद कहते हैं कि अगर सरकार यही निर्णय उस वक्त ले लेती तो उनका घर नहीं गिराता, लेकिन इस तरह के मामलों में अमजद इकलौते नही हैं.

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पिछले साल कटनी में रहने वाली 57 वर्ष की निराशा निषाद को शाम को नोटिस देकर अगली सुबह जिला प्रशासन ने बेघर कर दिया. नोटिस में अधिकारियों ने कहा कि उनके पोते रवि निषाद ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है और इसलिए उनका मकान गिराया जा रहा है.

इसके अलावा डिंडोरी जिले में पिछले साल एक मुस्लिम युवक को हिंदू युवती के साथ भाग जाने के बाद उसके घर को जिला कलेक्टर ने यह कहते हुए तोड़ दिया था कि

"डिंडोरी जिले में छात्रा के अपहरण के मामले में आरोपी आसिफ खान के दुकान और मकान को जमींदोज कर दिया गया है. दो दिन तक आरोपी आसिफ खान के दुकानों सहित उसके अवैध मकान पर कार्रवाई की गई."

बाद में पता चला कि लड़की अपनी मर्जी से लड़के के साथ गई थी और हाईकोर्ट ने फिर इस मामले में दोनों को सुरक्षा प्रदान की, लेकिन एक साल बाद भी न तो लड़का और लड़की वापस डिंडोरी में रह पा रहे हैं और न ही सरकार ने जो घर गिराया गया था उसके एवज में कोई कंपनसेशन/मुआवजा दिया. सरकार ने बाद में हाई कोर्ट में कहा कि घर अवैध जमीन पर बनाया गया था इसलिए गिराया गया.

प्रधान मंत्री आवास योजना से जुड़े लगभग दर्जनों घरों पर बुलडोजर चला चुकी शिवराज सरकार ने ऐसे मौकों को माफियाओं और गुंडों के खिलाफ अभियान के रूप में पेश करने का भरसक प्रयास किया है.

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भाषण में दिखा शिवराज का अलग चेहरा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने मंगलवार के भाषण में कहा "कि मैं मानता हूं कि जब ये कॉलोनियां बन रही थीं, तब ध्यान देना चाहिए था कि वो वैध बन रही हैं या अवैध".

सरकार का दावा है कि मध्य प्रदेश में पिछले एक साल में अवैध निर्माण को लेकर 779 लोगों की कम से कम 1,453 संपत्तियों पर कारवाई की गई है. माफियाओं और गुंडों के खिलाफ बड़ा अभियान बताते हुए सरकार का दावा है कि इसमें ₹558 करोड़ की संपत्ति शामिल थी.

2020 में, सरकार ने कहा था कि लगभग ₹10,000 करोड़ मूल्य की 2,000 हेक्टेयर भूमि को 1,271 कथित अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया गया है.

समय समय पर मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार पर कई बार दलितों, आदिवासियों, गरीबों और माइनोरिटीज के उत्पीड़न का आरोप लगता रहा है.

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कांग्रेस का बीजेपी पर आरोप

कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद जाट ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये सारे अवैध निर्माण बीजेपी कार्यकाल में हुए. सबमें मुनाफाखोरी हुई, कमीशन लिया गया और अब इनको नियमित कर दिया गया है. इस से भी बड़ा घोटाला तो जनता की आंखों में धूल झोंक किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि, "एक तरफ बीते तीन सालों में गरीबों और मजदूरों के घरों को गिराकर छाती पीटने का काम किया गया तो वहीं अब दोहरा चरित्र दिखाते हुए मगरमच्छी भावनाओं के साथ घर के महत्व पर भाषण दे रहे हैं." आनंद आगे कहते हैं कि

"शिवराज सरकार ने तीन साल सिर्फ योगी बनने की चाह में और अपने नंबर बढ़वाने की ललक में हजारों गरीबों को बेघर कर दिया. अब कह रहे हैं कि अवैध कॉलोनियों को वैध करेंगे, जनता सब देख रही है, और जनता इनकी आतताई का बदला चुनाव में ले लेगी."

मुख्यमंत्री चौहान ने अपने भाषण में कहा कि, "हमारे भाई-बहन का क्या दोष? जिंदगी भर की पूंजी लगाकर प्लॉट खरीद लिया. पाई-पाई जोड़कर मकान बना लिया. मकान बन गया, तब सरकार आई और कहा- ये तो अवैध है. यह न्याय नहीं है. अवैध मतलब क्या हम अपराधी हो गए. अवैध ठहराने का निर्णय ही अवैध है, इस निर्णय को मैं समाप्त करता हूं. मध्यप्रदेश में दिसंबर 2022 तक की सारी अवैध कॉलोनियां वैध की जाती हैं."

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सरकार की मानें तो इस फैसले से लाखों परिवारों का भला होगा, होना भी चाहिए, सरकारें इसीलिए होती हैं, लेकिन हजारों परिवारों के घरों पर चलाया गया बुलडोजर कहां तक सही था? ये सवाल मौजूद है.

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