यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव ने लखनऊ में अपने सरकारी बंगले खाली करने के लिये ‘उचित' समय देने के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की. ये बंगले राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित किये थे. सुप्रीम कोर्ट के सात मई के फैसले के संदर्भ में मुलायम और अखिलेश यादव ने यह आवेदन दायर किया है.
'पद से हटने के बाद सीएम भी आम जनता जैसा'
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद सरकारी आवास अपने पास नहीं रखा जा सकता. कोर्ट ने कहा था कि पद से हटने के बाद मुख्यमंत्री भी आम जनता के समान ही होता है. कोर्ट ने कहा था कि मुख्यमंत्री सरकारी बंगले जैसी सार्वजनिक संपत्ति पर काबिज नहीं रह सकते हैं, क्योंकि यह देश की जनता की संपत्ति है. कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले आवंटित करने के लिये संबंधित कानून में किया गया संशोधन रद्द कर दिया था. इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले खाली करने हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य संपत्ति विभाग उत्तर प्रदेश के 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगला खाली करवाने की कवायद में जुटा हुआ है. विभाग की तरफ से सबको 15 दिन के भीतर बंगला खाली करने का नोटिस भी भेजा गया है.
घर खाली करने के लिए 2 साल का समय मांगा था
अखिलेश यादव ने अपना सरकारी आवास खाली करने के लिये राज्य संपत्ति विभाग से दो साल का समय मांगा था. अखिलेश ने कहा था कि उन्होंने अपने लिए राजधानी में कोई घर नहीं बनाया है. वह अपने लिए और पिता मुलायम सिंह यादव दोनों के लिए घर खोज रहे हैं. अगर उन्हें किराए का मकान मिल जाता है, तो वह घर खाली कर देंगे.
इससे पहले मुलायम ने भी पिछले बुधवार को अपने निजी सचिव के माध्यम से एक पत्र राज्य संपत्ति अधिकारी योगेश कुमार शुक्ला को भिजवाया था, जिसमें सरकारी घर खाली करने के लिए दो साल का समय मांगा गया था.
(इनपुट: भाषा)
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