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महाराष्ट्र: 13 सीटों पर 'सेना Vs सेना',2 पर आमने-सामने पवार परिवार-दांव पर सियासी भविष्य

Maharashtra Lok sabha Election: नासिक, ठाणे, मुंबई दक्षिण समेत 13 सीटों पर शिवसेना और शिवसेना (UBT) के बीच टक्कर है.

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Loksabha Election 2024: महाराष्ट्र (Maharashtra) लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां अपने चरम पर है. नासिक, ठाणे, हिंगोली, मुंबई दक्षिण समेत राज्य की 13 सीटों पर शिवसेना और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के बीच सीधी टक्कर है. वहीं एनसीपी और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) गुट के उम्मीदवार दो सीटों पर आमने-सामने हैं.

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शिवसेना (UBT) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) अपने मूल पार्टियों को कई सीटों पर कड़ी टक्कर दे रही हैं, जिसने महाराष्ट्र में मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.

शिवसेना बनाम शिवसेना

मौजूदा आम चुनाव में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाली शिवसेना जिन 15 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से 13 सीटों पर पार्टी को उनके प्रतिद्वंद्वी उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackrey) के नेतृत्व वाली शिवसेना से सीधी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है.

जून 2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व करने के बाद, शिंदे शिवसेना का विभाजन करने में कामयाब रहे. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को विधानसभा अध्यक्ष नेा "असली शिवसेना" घोषित किया जिसके बाद शिंदे की स्थिती राज्य में और मजबूत हो गई.

हालांकि, राजनीतिक जानकारों की मानें तो शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के लिए असली परीक्षा लोकसभा चुनाव के नतीजे होंगे जो यह तय करेगा की क्या ठाणे के दिग्गज नेता शिवसेना के मतदाताओं और कैडर का समर्थन हासिल करने में भी कामयाब रहे हैं या नहीं.

महायुति के सीट बंटवारे में, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 48 लोकसभा सीटों में से 15 सीटें अपने नाम करके यह साबित कर दिया की वह एक अच्छे सौदेबाज हैं. रामटेक और कोल्हापुर को छोड़कर इन 15 सीटों में से अन्य सभी सीटों पर दो सेनाओं के बीच सीधा मुकाबला है. बहरहाल, शिंदे गुट के लिए चुनाव में स्थिती बेहद नाजुक है. पार्टी में चल रहे अंतर्कलह के अलावा उनके पास उद्धव ठाकरे के तरफ बह रही सहानुभूति लहर से लड़ने की भी चुनौती है. और इन्हीं दो फेक्टर पर उद्धव ठाकरे गुट चुनाव में अपनी बढ़त बना सकता है.

13 सीटों पर शिवसेना (ठाकरे) और शिवसेना (शिंदे) आमने सामने

  1. बुलढाणा

    शिवसेना (शिंदे): प्रताप जाधव

    शिवसेना (ठाकरे): नरेंद्र खेडेकर

  2. संभाजीनगर

    शिवसेना (शिंदे): संदीपान भुमरे

    शिवसेना (ठाकरे): चंद्रकांत खैरे

  3. हिंगोली

    शिवसेना (शिंदे): बाबूराव कदम कोहलीकर

    शिवसेना (ठाकरे): नागेश आष्टीकर

  4. मावल

    शिवसेना (शिंदे): श्रीरंग बारणे

    शिवसेना (ठाकरे): संजोग वाघेरे

  5. शिरडी

    शिवसेना (शिंदे): सदाशिव लोखंडे

    शिवसेना (ठाकरे): भाऊसाहेब वाकचौरे

  6. यवतमाल वाशिम

    शिवसेना (शिंदे): राजश्री पाटील

    शिवसेना (ठाकरे): संजय देशमुख

  7. नासिक

    शिवसेना (शिंदे): हेमंत गोडसे

    शिवसेना (ठाकरे): राजाभाऊ वाजे

  8. कल्याण

    शिवसेना (शिंदे): श्रीकांत शिंदे

    शिवसेना (ठाकरे): वैशाली दरेकर

  9. हातकणंगले

    शिवसेना (शिंदे): धैर्यशील माने

    शिवसेना (ठाकरे): सत्यजीत पाटील सरुडकर

  10. मुंबई उत्तर-पश्चिम

    शिवसेना (ठाकरे): अमोल कीर्तिकर

    शिवसेना (शिंदे): रविंद्र वायकर

  11. मुंबई दक्षिण-मध्य

    शिवसेना (शिंदे): राहुल शेवाले

    शिवसेना (ठाकरे): अनिल देसाई

  12. ठाणे

    शिवसेना (शिंदे): नरेश म्हस्के

    शिवसेना (ठाकरे): राजन विचारे

  13. मुंबई दक्षिण

    शिवसेना (ठाकरे): अरविंद सावंत

    शिवसेना (शिंदे): यामिनी जाधव

चर्चा में महाराष्ट्र की ये सीटें

मुंबई दक्षिण सीट पर यामिनी जाधव को मौजूदा सेना सांसद अरविंद सावंत के खिलाफ एक हल्का उम्मीदवार माना जा रहा है. भ्रष्टाचार के आरोप में ED-IT रेड के बाद यामिनी जाधव और उनके पति यशवंत जाधव का नाम विवादों में आया था. यशवंत जाधव बीएमसी कॉर्पोरेटर स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन हैं.

ठाणे और कल्याण सीटें बीजेपी और शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के बीच उलझी हुई थी, क्योंकि दोनों पार्टियां इस सीट पर दावा कर रही थीं.

ठाणे में, बीजेपी संजीव नाइक को मैदान में उतारने की इच्छुक थी, लेकिन मुख्यमंत्री अपने गृह क्षेत्र को छोड़ने के लिए सहमत नहीं हुए और उन्होंने नरेश म्हास्के को शिवसेना का उम्मीदवार घोषित किया. पार्टी के इस कदम से बीजेपी में सही संदेश नहीं गया.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नवी मुंबई और मीरा भायंदर के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी से नराजगी जताते हुए इस्तीफा देने की धमकी तक दे दी थी. हालांकि शिवसेना का दावा है की पार्टी में अब सब 'ठीक' है.

लेकिन राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी कार्यकर्ताओं के मन में खटास अब तक है जिसका असर प्रचार पर पड़ सकता है और शायद फायदा UBT के प्रत्याशी राजन विचारे को हासिल हो सकता है.
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कल्याण में भी यही स्थिती देखने को मिली, जहां स्थानीय बीजेपी इकाई शिवसेना के मौजूदा सांसद और सीएम शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे की उम्मीदवारी का विरोध कर रही थी.

उत्तरी महाराष्ट्र की नासिक सीट पर भी भारी अंदरूनी कलह है. शिंदे के नेतृत्व वाली सेना ने मौजूदा सांसद हेमंत गोडसे को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि, इस सीट पर एनसीपी (अजित पवार) गुट अपने सीनियर नेता छगन भुजबल को उतारना चाहती थी. भुजबल के नाम पर क्षेत्र का ओबीसी वोट NDA गुट को मिलने की संभावना थी.

हालांकि, जब से गोडसे को फिर से नामांकित किया गया है, ओबीसी समुदाय भुजबल के साथ गलत व्यवहार को लेकर नाराज है, जिससे एनडीए को नुकसान हो सकता है.

कैसा रहा था 2019 लोकसभा चुनाव?

2019 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन में 22 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. 2022 में विभाजन के बाद 13 सांसद शिंदे के नेतृत्व वाली सेना में शामिल हो गए थे.

मार्च में शिवसेना के संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान, शिंदे के नेतृत्व वाली सेना ने कम से कम 18 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी और बाद में 22 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग भी उठाई, ये वही सीटें थीं जिन पर अविभाजित सेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था .

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पवार बनाम पवार

अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने महाराष्ट्र में 4 लोकसभा सीटों पर अपनी दावेदारी पेश की है. वहीं एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.

एनसीपी (शरदचंद्र पवार) और एनसीपी (अजित पवार गुट) महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर आमने सामने है. बारामती सीट पर ननद-भाभी के बीच सीधी टक्कर है. वहीं दूसरी सीट शिरूर है, जहां लड़ाई मौजूदा सांसद और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार अमोल कोल्हे और एनसीपी (अजीत पवार गुट) के शिवाजीराव अधलराव पाटिल के बीच है.

बारामती लोकसभा सीट को न केवल प्रतिष्ठा की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है बल्कि यह ऐसी सीट भी है जो पवार परिवार की विरासत भी तय करेगी.

इस सीट पर महाविकास अघाड़ी (MVA) की उम्मीदवार और एनसीपी (SP) प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले (Supriya Sule) और उनकी भाभी, राज्य के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत की पत्नी सुनेत्रा पवार (Sunetra Pawar) के बीच मुकाबला है. क्षेत्र का एकमुश्त वोट जो अब तक पवार परिवार के साथ था, वो अब पार्टी के बंटने से किस ओर जाएगा, ये देखना होगा.

हालांकि, वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) ने सुले को समर्थन देने की घोषणा की थी, जिससे अजित पावर को झटका लग सकता है. इसके साथ ही उनके सामने शरद पवार के तरफ बह रही सहानुभूति लहर से लड़ने की भी चुनौती थी.

सीट पर चुनाव के तीसरे चरण में मतदान हो चुके हैं और दोनों नेताओं की तकदीर EVM में कैद है. 4 जून को नतीजों के साथ ही पवार परिवार के भाग्य का फैसला होगा.

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बता दें कि 2014 में सुले ने 'मोदी लहर' के बावजूद 70,000 से अधिक वोटों से सीट बरकरार रखी थी. 2019 में उन्होंने पश्चिमी महाराष्ट्र में 1.55 लाख से अधिक वोटों के अंतर से पारिवारिक गढ़ सुरक्षित किया था.

वहीं शिरूर निर्वाचन सीट पर जो दो उम्मीदवार टक्कर में हैं उनका मुकाबला 2019 लोकसभा चुनावों में भी हुआ था. हालांकि, इस बार वे नए चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं. डॉ. अमोल रामसिंग कोल्हे एनसीपी (एसपी) के टिकट पर मैदान में हैं, तो वहीं पूर्व शिवसेना नेता अधलराव शिवाजी पाटिल अजित पवार की तरफ से ताल ठोक रहे हैं. 2019 में कोल्हे ने शिवसेना के पाटिल को 58 हजार वोटों से हराया था.

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान अविभाजित एनसीपी ने महाराष्ट्र की 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 4 पर जीत दर्ज की थी. पार्टी का वोट शेयर 15.66% रहा था. इस बार पार्टी के दो दिग्गज नेता शरद पवार और अजित पवार आमने-सामने हैं, ऐसे में दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है.

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