संसद के शीत कालीन सत्र के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान को लेकर चर्चा की. नरेंद्र मोदी ने कहा कि समय की मांग है कि संविधान में लिखित बातों को जन-जन से परिचित कराया जाए. 26 नवंबर संविधान दिवस के माध्यम से संविधान की बातों को आगे बढ़ाए जाने की जरूरत है.
पीएम मोदी ने कहा कि 26 जनवरी की ताकत 26 नवंबर में छिपी है. संविधान पर चर्चा के दौरान मोदी ने कहा, संविधान दिवस को केवल लोकसभा तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए इसे जन-जन तक ले जाना है.
उन्होंने कहा, भारत के संविधान के संबंध में ऑनलाइन चर्चा होनी चाहिए, स्कूलों में चर्चा होनी चाहिए साथ ही देश में संविधान पर लगातार चर्चा चलनी चाहिए.
उन्होंने कहा, मैंने एक बार लालकिले से कही थी कि इस देश में जितनी सरकारें बनी हैं, जितने पीएम बने हैं, सभी के योगदान से यह देश आगे बढ़ा है.
यह देश कई लोगों की तपस्या से आगे बढ़ा है. शिकायत यह हो सकती है कि कहीं अपेक्षा से कम हुआ. कोई यह नहीं कह सकता है कि पूर्व की सरकारों ने कुछ नहीं किया है. संविधान बनाने में भी सभी की भूमिका रही है. जिनके नेतृत्व में देश चलता था, उनकी विशेष भूमिका रही है. बाबा साहब की भूमिका को हम नकार नहीं सकते.
बाबा का विचार सभी पीढियों के लिए काम दे रहा हैं इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाबा साहब के विचारों में कितनी गंभीरता थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, बाबा राव ने जीवन भर झेला लेकिन उन्होंने संविधान बनाते समय सभी के बारे में सोचा और सभी को समान अवसर प्रदान किया. बाबा साहब ने खुद जहर पिया और हमारे लिए अमृत छोड़ दिया.
मोदी ने कहा, अगर किसी को सरकार पर प्रहार करना है, तो भी बयान बाबा साहब का काम आता है. किसी को बचाव करना होता है, तो भी कोटेशन बाबा साहब का काम आता है. निरपेक्ष लोगों के लिए भी उनका बयान काम आता है. यह दिखाता है कि वह कितने दूरदर्शी थे.
कमियां हम सब में हैं. एक गलत बात हो जाए, तो कई दिनों तक वह याद रहता है. सामान्य व्यक्ति होता तो उसमें कटुता झलक जाती, लेकिन बाबा साहब ने जो जीवनभर झेला उसमें बदले का भाव कहीं नहीं दिखी.
पीएम मोदी ने कहा, “संविधान आज के संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है.”
मोदी ने संविधान पर चर्चा के दौरान कहा, अल्पमत और बहुमत से काम नहीं बनता है, सरकार सहमति से चलती है.
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