पंजाब कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Sidhu) ने राज्य की नई चन्नी सरकार पर फिर हमला किया है. सिद्धू ने नए डीजीपी इकबालप्रीत सहोता और एपी एपीएस देओल को टारगेट कर कहा है कि इनकी नियुक्ति कर पंजाब सरकार ने नशा और बेअदबी केस के पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़का है.
सिद्धू ने इन दोनों की नियुक्तियों के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि इकबालप्रीत सहोता और एपीएस देओल को हर हाल में बदलना होगा वर्ना हम पंजाब के लोगों को मुंह नहीं दिखा पाएंगे. सिद्धू लगातार इन दोनों अफसरों को हटाने पर अड़े हैं. सिद्धू ने इनकी नियुक्ति के बाद ही इस्तीफा दे दिया है.
क्या है बेअदबी मामला?
आपको बता दें, यह मामला करीब साढ़े पांच साल पुराना है. 1 जून 2015 को पंजाब के एक गुरुद्वारे से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप चोरी हो गए थे. इसके खिलाफ पंजाब में जगह जगह पर प्रदर्शन हुए थे.14 अक्टूबर 2015 को पंजाब पुलिस ने प्रदर्शन कर रही भीड़ पर फायरिंग कर दी। इसमें दो लोगों की मौत हो गई.
सहोता बेअदबी मामले की जांच के लिए बनी एसाईटी के प्रमुख थे. उनपर बेअदबी मामलें में फर्जी तरीके से सिख युवकों को फंसाने का आरोप लगा था, जिसके बाद काफी राजनीतिक हंगामा हुआ था.
कांग्रेस ने इसी घटना को चुनावी मुद्दा बनाया और अकाली दल-भाजपा गठबंधन की सरकार को जमकर घेरा था. 2017 में कांग्रेस को इस मुद्दे का फायदा मिला और अमरिंदर के नेतृत्व में सरकार बनी. इसी मुद्दे को इग्नोर करने को लेकर सिद्धू ने अमरिंदर को हमेशा टारगेट किया.
वहीं एटर्नी जनरल अरमप्रीमत सिंह देओल पहले पंजाब सरकार के खिलाफ कई मामलों की अदालत में पैरवी कर रहे हैं. बेअदबी मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी और परमराज उमरानंगल का केस की पैरवी भी वो कर रहे हैं. इसी वजह से उनकी नियुक्ति पर सिद्धू सवाल खड़े कर रहे हैं.
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