लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) से पहले बिहार (Bihar) में बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ है. नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (Bihar CM Nitish Kumar Resigns) दे दिया है. रविवार, 28 जनवरी को नीतीश कुमार ने राज्यपाल राजेन्द्र अर्लेकर को अपना इस्तीफा सौंपा. इसी के साथ बिहार में महागठबंधन की सरकार गिर गई है.
17 महीने में गिरी महागठबंधन की सरकार
NDA गठबंधन से हाथ खींचने के बाद 10 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. लेकिन ये सरकार भी ज्यादा समय तक नहीं चल सकी और डेढ़ साल में ही गिर गई.
2023 के आखिरी महीनों में महागठबंधन में खटपट की खबरें आने लगी थी. इस दौरान बिहार में तख्तापलट की अफवाहों ने जोर पकड़ा था. तब कहा जा रहा था कि लालू यादव अपने बेटे और प्रदेश उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे.
उस दौरान कई मीडिया रिपोर्ट्स में JDU के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह पर भी इस साजिश में शामिल होने के आरोप लग थे. कथित तौर पर उन्होंने JDU के 12 विधायकों के साथ लालू यादव से मुलाकात भी की थी. हालांकि, इन आरोपों और अफवाहों के बीच 29 दिसंबर को उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और नीतीश कुमार ने पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली थी.
हालांकि, इस घटनाक्रम के बाद से ही कहा जा रहा था की बिहार में बड़ा राजनीतिक उलटफेर हो सकता है. खरमास खत्म होने के बाद फिर सियासी हलचल तेज हो गई थी. 19 जनवरी की सुबह लालू यादव और तेजस्वी यादव अचानक नीतीश कुमार से मिलने उनके आवास पर पहुंचे थे. हालांकि, इस मुलाकात के बाद तेजस्वी ने महागठबंधन में टूट की अटकलों को खारिज कर दिया था.
परिवारवाद पर नीतीश का तंज
23 जनवरी को मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने का ऐलान किया. इसके अगले दिन यानी 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर नीतीश कुमार ने ठाकुर के बहाने परिवारवाद पर हमला बोला. उन्होंने कहा,
""जननायक कर्पूरी ठाकुर जी अपने किसी परिवार को कुछ करते थे, आजकल लोग परिवार का कितना करता है, नेता बनता है."
नीतीश के इस बयान के बाद 25 जनवरी को लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सिलसिलेवार ट्वीट किया. रोहिणी ने लिखा था, "समाजवादी पुरोधा होने का करता वही दावा है, हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है." एक अन्य पोस्ट में रोहिणी ने लिखा, "खीज जताए क्या होगा, जब हुआ ना कोई अपना योग्य, विधि का विधान कौन टाले, जब खुद की नीयत में ही हो खोट."
तीसरे पोस्ट में रोहिणी ने लिखा, "अक्सर कुछ लोग नहीं देख पाते हैं अपनी कमियां, लेकिन किसी दूसरे पे कीचड़ उछालने को करते रहते हैं बदतमीजियां."
हालांकि, रोहिणी ने अपने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया था. लेकिन इसे नीतीश कुमार पर पलटवार के रूप में देखा गया. इसके बाद रोहिणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X से इन पोस्ट को डिलीट कर दिया.
गणतंत्र दिवस समारोह में दिखी दूरी
ट्वीट विवाद के बाद गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान भी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच दूरी दिखी. नीतीश कुमार और तेजस्वी दूर-दूर बैठे, जिसकी तस्वीरें और वीडियो मीडिया में छाई रही.
महागठबंधन सरकार में खटपट की बात को तब और बल मिला जब गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजभवन में आयोजित हाईटी में डिप्टी सीएम तेजस्वी नहीं पहुंचे. नीतीश कुमार के ठीक बगल की कुर्सी पर तेजस्वी यादव के नाम की पर्ची लगी हुई थी. उन्हीं का इंतजार हो रहा था. सीएम आकर कुर्सी पर बैठ चुके थे लेकिन तेजस्वी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे.
इस बारे में जब नीतीश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "उन्हीं से पूछिए जो नहीं आए हैं."
पांचवीं बार नीतीश ने मारी पलटी
मुख्यमंत्री रहते हुए नीतीश कुमार ने पांचवीं बार पलटी मारी है.
2022 में नीतीश कुमार ने NDA से नाता तोड़कर महागठबंधन से हाथ मिलाया था. तब उन्होंने बीजेपी पर पार्टी को तोड़ने की साजिश का आरोप लगाया था.
2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया था. बिहार के तत्कालीन डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सहित लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.
2015 में महागठबंधन के साथ चले गए थे नीतीश
2013 में बीजेपी ने जब नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया तब नीतीश कुमार ने इसका विरोध किया. उन्होंने बीजेपी से 17 साल पुराना गठबंधन खत्म कर लिया था.
और अब 5वीं बार 2024 में उन्होंने महागठबंधन से नाता तोड़ अपने पुराने साथी NDA गठबंधन का रुख कर लिया है.
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