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बिहार के CM नीतीश कुमार अगर NDA में वापस जाते हैं, तो किसे और कितना फायदा?

Nitish Kumar 'INDIA' गठबंधन के भीतर सीट-बंटवारे पर धीमी प्रगति के लिए कांग्रेस से भी नाखुश हैं.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में फिर से जाने की काफी चर्चा है. नीतीश पहले से ही 'INDIA' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) के संयोजक पद के लिए नजरअंदाज किए जाने से नाराज थे.

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सीट-बंटवारे के लिए बातचीत में देरी और लालू यादव परिवार द्वारा जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) को तोड़ने और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की कथित कोशिश को नीतीश कुमार के लिए ट्रिगर प्वाइंट माना जा रहा है.

पलटूराम नीतीश कुमार का नाम इतिहास में एक ऐसे नेता के रूप में दर्ज किया जाएगा जो NDA और विपक्षी गठबंधन के बीच पेंडुलम की तरह आसानी से घूमता रहा, साथ ही सीएम की कुर्सी पर अपनी पकड़ बनाए रखी, जैसे एक खूबसूरत लड़की को हमसफर बनाने के लिए दो लड़के एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हों.

2013 (2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले) और 2022 (2020 में राज्य चुनाव जीतने के बाद) में NDA से अलग होने के बाद यह उनकी दूसरी घर वापसी होगी. वहीं दोस्त से दुश्मन बने RJD ये यह उसका तीसरा तलाक होगा:

  • 1994 में विभाजन के बाद समता पार्टी बनी

  • 2017 में महागठबंधन सरकार को छोड़कर NDA में शामिल हो गए

  • और बहुप्रतीक्षित 2024 चुनाव से ठीक पहले NDA में वापसी

नीतीश मौजूदा स्थिति से नाखुश क्यों हैं?

सीट-बंटवारे की रणनीति, प्रचार अभियान से लेकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने तक, INDIA गठबंधन से जुड़ी हर चीज पर धीमी प्रगति के कारण नीतीश कांग्रेस पार्टी से नाखुश हैं. बीजेपी से मुकाबला करने के लिए पिछले साल जून-जुलाई में विभिन्न विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का श्रेय नीतीश खुद को देते हैं.

उन्होंने सार्वजनिक रूप से कांग्रेस पार्टी को सितंबर से दिसंबर तक वार्ता में तीन महीने की देरी के लिए दोषी ठहराया क्योंकि वह पांच राज्यों में राज्य चुनावों में व्यस्त थी.

साल 2023 के अंत में तख्तापलट की अफवाहों के बीच JDU के 12 विधायकों के साथ ललन सिंह के लालू परिवार से मिलने की मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई थी, जिसके कारण उन्हें पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा और नीतीश ने पार्टी की कमान अपने हाथों में ली. ऐसा लगता है कि इससे लालू के साथ उनके रिश्ते में खटास आ गई है, जो शायद उनकी पीठ पीछे तेजस्वी को सीएम बनाना चाहते थे.

INDIA गठबंधन की 13 जनवरी की बैठक में RJD सहित अधिकांश दलों द्वारा संयोजक के रूप में नीतीश का समर्थन करने के बावजूद राहुल गांधी ने कथित तौर पर ममता की अनुपस्थिति और बिहार के सीएम को इस पद पर नियुक्त किए जाने के बारे में उनकी आशंकाओं का हवाला देते हुए हस्तक्षेप किया था.

नीतीश NDA में वापस क्यों जाना चाहेंगे?

जीवन में उनका तीन लक्ष्य है:

  • एक दिन पीएम बनना

  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि 2019 के चुनाव में JDU द्वारा जीती गई अधिकतम लोकसभा सीटें (16) बरकरार रखें

  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि जब तक वह चाहें तब तक वह बिहार के मुख्यमंत्री बने रहें

पहले लक्ष्य को साकार करने के लिए, उन्हें INDIA गठबंधन का संयोजक बनने की सख्त जरूरत थी. हिंदी पट्टी में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की 3-0 से हार के बाद, 190 से अधिक सीटों पर आमने-सामने के मुकाबलों में बीजेपी को हराने की सबसे पुरानी पार्टी की क्षमता पर संदेह जताया गया. इन सीटों पर कांग्रेस के अच्छा प्रदर्शन किए बिना, मोटे तौर पर अपने सहयोगियों के समर्थन के बिना, 2024 में INDIA गठबंधन के जीतने की संभावना न्यूनतम है.

राम मंदिर के भव्य उद्घाटन और पूरे देश में बीजेपी के पक्ष में बने सकारात्मक माहौल ने मतदाताओं को इमोशनल कर दिया, हो सकता है कि यह नीतीश की घर वापसी के फैसले को निर्धारित करने वाली आखिरी कील रही हो. कई विशेषज्ञ और सर्वेक्षण 2019 की तरफ बीजेपी की वापसी की बात कह रहे हैं, ऐसे में लगता है कि नीतीश ने अपना राजनीतिक कद बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया है.

JDU ने 2019 में बीजेपी के साथ गठबंधन में आवंटित 17 सीटों में से 16 सीटें जीती थी, 2014 की तुलना में 14 सीटों की बढ़ोतरी हुई जब उसने अकेले चुनाव लड़ा था. राम मंदिर के माहौल ने शायद नीतीश को यह विश्वास दिला दिया होगा कि JDU इनमें से अधिकांश सीटें खो सकती है. सीट-बंटवारे की आगे की बातचीत भी रुक गई क्योंकि RJD इनमें से आठ सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी और इन पर उम्मीदवारी का दावा कर रही थी.

2019 की अपनी अधिकांश सीटें बरकरार रखने के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन जरूरी है. दोनों पक्षों के कुछ नेताओं के अनुसार यह अधिक स्वाभाविक गठबंधन है, और दोनों पार्टियों के बीच न्यूनतम छिटकाव के साथ मजबूत वोट ट्रांसफर का इतिहास रहा है.

अपनी अनूठी स्थिति के कारण, न तो बीजेपी और न ही RJD नीतीश के बिना सरकार बनाने में सक्षम है, वह दोनों गठबंधन के तहत सीएम बने रहेंगे. हालांकि, महागठबंधन में तेजस्वी के रूप में एक मजबूत उत्तराधिकारी है जो लगातार अपनी दावेदारी पेश करता रहेगा, जबकि NDA में उनका मुकाबला करने वाला कोई नेता नहीं है.

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NDA को नीतीश की क्या जरूरत?

2022 में नीतीश के दूसरी बार गठबंधन तोड़ने के बाद से बीजेपी के स्थानीय नेतृत्व का उनके साथ मतदेभ है. शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें कभी भी NDA में वापस नहीं लेने की कसम खाई थी.

बीजेपी ने 2024 के लिए 50 प्रतिशत वोट शेयर का आधिकारिक लक्ष्य और 400+ सीटों का एक अनौपचारिक लक्ष्य तय किया है.

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी को सहयोगियों की जरूरत है, और JDU NDA के खाते में 10-15 सीटें जोड़ सकती है और इस तरह अपनी दावेदारी मजबूत कर सकती है. पीएम मोदी रिकॉर्ड्स बनाने वाले आदमी हैं और उनकी नजर इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी द्वारा जीती गई 404 सीटों के रिकॉर्ड पर है.

अब INDIA गठबंधन का क्या होगा?

कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले UPA (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) को 'INDIA' के रूप में री-ब्रैंड किया गया है.

आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस दोनों क्रमशः पंजाब और पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे पर सहमत नहीं हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कांग्रेस को 11 सीटें देने का ऐलान कर दिया है. हालांकि, इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने कहा की अभी सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत जारी है. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की वजह से पार्टी में टूट के बावजूद शिवसेना का उद्धव गुट 23 सीटों की मांग कर रहा है, और JDU के भी बाहर निकलने की अफवाह है, ऐसे में INDIA गठबंधन बिखरता नजर आ रहा है.

(लेखक एक स्वतंत्र राजनीतिक टिप्पणीकार हैं और उनसे @politicbaaba पर संपर्क किया जा सकता है. यह एक ओपिनियन आर्टिकल है. ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो उनका समर्थन करता है और न ही उनके लिए जिम्मेदार है.)

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