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क्या सीएम योगी पर भी भारी पड़ गया नोएडा के ‘अपशकुन’ का साया

पहले गोरखपुर, फूलपुर और अब कैराना उपचुनाव में हार से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.

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पहले गोरखपुर, फूलपुर और अब कैराना उपचुनाव में हार से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. वहीं नूरपुर विधानसभा भी बीजेपी के हाथ से फिसल गई. अब पार्टी की हार हुई तो हार का ठीकरा भी सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम फूटा है. हार के लिए योगी जिम्मेदार ठहराए जा रहे हैं, तो वहीं एक थ्योरी सामने आई है. मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि योगी का नोएडा आना उनके लिए अशुभ साबित हो गया.

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दिल्ली से सटा नोएडा देश के सबसे बड़े राज्य यूपी का सबसे बड़ा शहर माना जाता है. नोएडा, जिसे यूपी की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, लेकिन पिछले 25 सालों से यहां जो भी सीएम रहा वो यहां आने से कतराता रहा है. लेकिन योगी आदित्यनाथ ने सीएम बनने के बाद बड़ी दिलेरी दिखाते हुए दिसंबर में नोएडा का दौरा किया. 

योगी ने नोएडा आने पर कहा था-

ये एक मिथक है और हम इस मिथक को तोड़ेंगे, हमारा काम यूपी का विकास करना है. मुख्यमंत्री पद पर बने रहना हमारा उद्देश्य नहीं लोगों का विकास हमारा उद्देश्य हैं.
पहले गोरखपुर, फूलपुर और अब कैराना उपचुनाव में हार से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.

क्या है अंधविश्वास

राजनीतिक गलियारों में ऐसा अंधविश्वास है कि जो भी सीएम नोएडा आता है उसकी कुर्सी चली जाती है. सीएम योगी से पहले मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव पांच साल के अपने कार्यकाल में एक बार भी नोएडा नहीं आए. यहां तक कि कई परियोजनाओं और सड़कों का उद्घाटन उन्होंने लखनऊ से ही रिमोट के जरिए किया.

पहले गोरखपुर, फूलपुर और अब कैराना उपचुनाव में हार से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.

मायावती नोएडा दौरे के बाद हारीं चुनाव

इससे पहले 2011 में तत्कालीन सीएम मायावती ने इस मिथक को तोड़ने की कोशिश की और 2011 में वो दलित प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करने नोएडा आईं. लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में मायावती को हार का सामना पड़ा. मायावती की हार के बाद ये अंधविश्वास इतना मजबूत हो गया कि ठीक ठाक बहुमत से सत्ता में आए अखिलेश यादव अपने पूरे कार्यकाल में नोएडा नहीं आए.

पहले गोरखपुर, फूलपुर और अब कैराना उपचुनाव में हार से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.

1988 में गई थी वीर बहादुर सिंह की कुर्सी

नोएडा आने से सत्ता छिन जाती है, ये अंधविश्वास सालों पुराना है. इस अंधविश्वास की शुरुआत हुई, 23 जून 1988 से. जब उस वक्त के सीएम वीर बहादुर सिंह नोएडा आए थे. वीर बहादुर सिंह के नोएडा से लौटने के दूसरे ही दिन ऐसे हालात बने कि उनको अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.

1989 में एन डी तिवारी का ताज छिना

इसके अगले ही साल 1989 में एनडी तिवारी बतौर सीएम एक पार्क का उद्घाटन करने नोएडा पहुंचे और उनकी सरकार भी गिर गई. इसी के बाद से नोएडा को लेकर ये अंधविश्वास शुरू हो गया.

इसके बाद तो नेताओं में ऐसा वहम आ गया कि वो नोएडा आने से कतराने लगे. साल 2000 में जब राजनाथ सिंह सीएम बने तो वो नोएडा नहीं आए. 2003 से 2007 तक मुलायम सिंह यूपी के सीएम रहे, लेकिन वो नोएडा नहीं आए.

अब उपचुनाव में लगातार हार के बाद यही चर्चा है कि योगी के लिए भी नोएडा का दौरा अशुभ साबित हो गया है.

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