ADVERTISEMENTREMOVE AD

पेगासस पर विवाद के बीच रक्षा मंत्रालय का संसद में जवाब- NSO से कोई लेन-देन नहीं

Pegasus Project को लेकर पहली बार सरकार की तरफ से दिया गया लिखित जवाब, विपक्ष लगातार पूछ रहा सवाल

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

संसद का मानसून (Parliament Session) सत्र शुरू होने के बाद से ही लगातार हंगामेदार रहा है. सत्र शुरू होने से ठीक पहले सामने आए पेगासस जासूसी कांड (Pegasus) ने माहौल गरमा दिया. इस मामले को लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार से सवाल पूछ रहे थे कि सरकार ने इस इजरायली कंपनी की सेवाएं ली थीं या नहीं? विवाद के बीच अब रक्षा मंत्रालय की तरफ से संसद में पहली बार इसे लेकर जवाब दिया गया है. जिसमें कहा गया है कि एनएसओ ग्रुप के साथ किसी भी तरह का कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पहली बार सरकार की तरफ से आया जवाब

रक्षा मंत्रालय की तरफ से राज्यसभा में ये जवाब दिया गया है. जिसमें मंत्रालय ने ये साफ करने की कोशिश की है कि इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल भारतीय सेना की तरफ से नहीं किया गया था, इसीलिए एनएसओ ग्रुप के साथ कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ.

बता दें कि विपक्षी दल सरकार से पिछले कई दिनों से यही जवाब मांग रहे थे. विपक्ष का सवाल था कि सरकार सिर्फ एक लाइन में जवाब देकर ये बताए कि उसने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया था या फिर नहीं. जिस पर अब सरकार की तरफ से लिखित जवाब दिया गया है.

क्या है पूरा मामला?

ये जासूसी विवाद एक मीडिया रिपोर्ट के सामने आने के बाद शुरू हुआ था. जिसमें दावा किया गया कि कई भारतीय पत्रकारों, नेताओं और अधिकारियों के फोन टैप किए गए. साथ ही इनकी टाइमिंग को लेकर भी खुलासा हुआ. जिसमें बताया गया कि चुनाव के दौरान विपक्षी दलों या फिर रणनीतिकारों के फोन पर जासूसी की गई. इस रिपोर्ट के बाद से ही मुद्दा राजनीति में छा गया और विपक्ष इसे लेकर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करने लगा.

बताया गया कि ये पूरा जाजूसी कांड पेगासस स्पाइवेयर के जरिए किया गया. जिसे इजरायल की कंपनी एनएसओ तैयार करती है. साथ ही एनएसओ का दावा है कि वो सिर्फ सरकारों और उनकी एजेंसियों को ही ये स्पाइवेयर देती है, जिसका इस्तेमाल आतंकियों से निपटने के लिए किया जाता है.

सरकार की तरफ से इस मामले को लेकर कोई साफ जवाब नहीं दिया गया, जिसे लेकर विपक्ष ने संसद में हंगामा किया. साथ ही इस बड़े जासूसी कांड की जांच कराने की भी मांग की. हालांकि फिलहाल सरकार इसकी जांच को लेकर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×