नागरिकता कानून के बाद NRC,NPR और डिटेंशन सेंटर तीन ऐसी चीजें सामने आई हैं जिन पर खूब चर्चा हो रही है. चाहे फिर वो राजनीतिक गलियारे हों या फिर शहरों की सड़कों पर उतरे लोग... हर जगह इन मुद्दों पर लोग बात कर रहे हैं और इस बातचीत और कटाक्ष का थोड़ा बहुत क्रेडिट पीएम मोदी और उनके गृहमंत्री अमित शाह को जाता है. क्योंकि इन बड़े मुद्दों पर दोनों ने जो बयान दिए, वो बयान एक दूसरे से बिल्कुल अलग थे.
एनआरसी, डिटेंशन सेंटर और एनपीआर को लेकर पीएम मोदी और अमित शाह के विरोधाभासी बयानों के बाद अब विपक्षी नेता लगातार उन पर हमलावर हो चुके हैं. हम आपको बता रहे हैं कि पिछले कुछ दिनों में पीएम मोदी और अमित शाह ने एनआरसी-एनपीआर और डिटेंशन सेंटर पर क्या-क्या कहा.
NRC पर अमित शाह के बयान
एनआरसी पर अगर किसी ने सबसे ज्यादा बयान दिए हैं तो वो हैं गृहमंत्री अमित शाह, जिन्होंने कई बार बुलंद आवाज में कहा है कि एनआरसी पूरे देशभर में लागू होगा.
11 अप्रैल 2019- रायगंज
गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के रायगंज में 11 अप्रैल 2019 को कहा था,
“हमारे चुनाव घोषणापत्र के अंदर हमने वादा किया है कि असम की तरह बंगाल में भी हम एनआरसी लाने वाले हैं. ममता दीदी जितनी ताकत है रोक लीजिए एनआरसी मोदी जी लेकर आएंगे.”अमित शाह, गृहमंत्री
22 अप्रैल 2019- कोलकाता
अपनी इस रैली के तुरंत बाद अमित शाह ने 22 अप्रैल 2019 को भी कोलकाता में एनआरसी लाने का जिक्र किया था. जिसमें उन्होंने कहा था-
"आप क्रोनोलॉजी समझ लीजिए, पहले सीएबी आने जा रहा है, सीएबी आने के बाद एनआरसी आएगा और एनआरसी सिर्फ बंगाल के लिए नहीं आएगा, पूरे देश के लिए आएगा. घुसपैठिए पूरे देश की समस्या हैं."
1 अक्टूबर 2019- कोलकाता
इसके अलावा फिर से पश्चिम बंगाल की एक रैली में अमित शाह ने एनआरसी लाने का जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल (अब एक्ट) के साथ एनआरसी पर भी बात की. उन्होंने 1 अक्टूबर 2019 को कोलकाता में कहा-
"भारतीय जनता पार्टी की सरकार एनआरसी से पहले सीएबी लेकर आ रही है."
20 नवंबर 2019- संसद
“एनआरसी की प्रक्रिया देशभर में होगी, उस वक्त असम के अंदर भी ये एनआरसी की प्रक्रिया दोबारा से की जाएगी.”अमित शाह, गृहमंत्री
NRC पर पीएम मोदी का बयान
जहां अमित शाह एनआरसी के मुद्दे पर पिछले कई महीनों से मुखर रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर ज्यादा बात नहीं की. पीएम मोदी ने देशभर में एनआरसी पर हुए प्रदर्शनों के बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली में बयान दिया. पीएम मोदी ने 22 दिसंबर 2019 को कहा-
“मेरी सरकार आने के बाद 2014 से लेकर आज तक मैं 130 करोड़ देशवासियों को कहना चाहता हूं कि कहीं पर भी एनआरसी शब्द पर चर्चा नहीं हुई है, कोई बात नहीं हुई है.”पीएम नरेंद्र मोदी
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि जो हिंदुस्तान की मिट्टी के मुसलमान हैं, उनसे नागरिकता कानून और NRC दोनों का ही कोई लेना-देना नहीं है.
पीएम मोदी के इस बयान के बाद एक इंटरव्यू में अमित शाह ने भी कई बार एनआरसी लागू करने का जिक्र करने के बाद कहा कि एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है.
डिटेंशन सेंटर पर पीएम मोदी
अब बात करते हैं डिटेंशन सेंटर की. डिटेंशन सेंटर की चर्चा भी एनआरसी के बाद ही शुरू हुई. असम में एनआरसी लागू होने के बाद यहां बनाए गए डिटेंशन सेंटरों की तस्वीरें सामने आने लगीं. अब जब देशभर में एनआरसी लागू करने की बात हो रही है तो इस पर भी लोग सवाल पूछने लगे. इन्हीं सवालों के जवाब में पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान की रैली के दौरान कहा-
‘कोई देश के मुसलमानों को न डिटेंशन सेंटर में भेजा जा रहा है, न हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेंटर है, ये सफेद झूठ है, ये नापाक खेल है’पीएम नरेंद्र मोदी
डेटेंशन सेंटर पर अमित शाह
एक तरफ पीएम मोदी ने हजारों लोगों के सामने कहा कि देश में कोई भी डिटेंशन सेंटर नहीं है, वहीं दूसरी तरफ अमित शाह ने डिटेंशन सेंटर होने की बात कबूल कर ली. पीएम मोदी की बात को काटते हुए उन्होंने कहा कि असम में एक डिटेंशन सेंटर है. अमित शाह ने एक इंटरव्यू के दौरान 24 दिसंबर 2019 को कहा-
“डिटेंशन सेंटर कहीं नहीं बनेंगे. एक डिटेंशन सेंटर असम में बना हुआ है. वो सालों से वहां है. मेरे हिसाब से एक ही डिटेंशन सेंटर है. मोदी सरकार आने के बाद कोई भी डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया गया है.”अमित शाह, गृहमंत्री
उन्होंने कहा कि अगर कोई भी नागरिक अवैध तौर पर रहते हुए भारत में पकड़ा जाता है तो उसे वापस भेजने तक डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है. इस देश का अपना कानून है, जिसके तहत अवैध तौर पर रहने वाले विदेशी को पकड़ा जाता है.
NPR पर कौन सच्चा कौन झूठा?
पहले जहां नागरिकता कानून पर बवाल हुआ, फिर एनआरसी और डिटेंशन सेंटर पर... लेकिन मोदी सरकार अब नेशनल NPR यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर लेकर आ रही है. इसे कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही नया बवाल शुरू हो गया. सवाल उठने शुरू हो गए कि क्या एनआरसी के लिए ही एनपीआर को लाया जा रहा है? सवाल उठने लाजमी थे, क्योंकि गृहमंत्रालय की साल 2018-2019 की एनुअल रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा गया है कि
“नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR), नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन (NRC) को कानून के प्रावधानों के तहत लागू करने की दिशा में पहला कदम होगा.”
अमित शाह बोले, कोई लेना-देना नहीं
भले ही गृहमंत्रालय की रिपोर्ट में साफ लिखा हो कि एनपीआर एनआरसी को लागू करने का पहला चरण है, लेकिन गृहमंत्री अमित शाह इस बात से सीधे इनकार कर रहे हैं. उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा-
"NRC और NPR में कोई लिंक नहीं है, मैं आज ये कह रहा हूं. NPR का गलत प्रचार करने वाले लोग गरीबों का नुकसान कर रहे हैं. NPR हमारे घोषणा पत्र का हिस्सा नहीं है. ये यूपीए सरकार की योजना है, जिसे हम लागू कर रहे हैं. NPR से अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है. ये संभव है कि NPR में कुछ नाम छूट जाएं, फिर भी उनकी नागरिकता रद्द नहीं की जाएगी क्योंकि यह NRC की प्रक्रिया नहीं है. NRC एक अलग प्रक्रिया है. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनपीआर की वजह से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी."
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