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राफेल पर राहुल गांधी ने फिर पूछा-126 की जगह 36 विमान क्यों खरीदे?

राहुल गांधी ने राफेल विमानों के भारत पहुंचने के बाद सरकार से पूछे सवाल

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कांग्रेस सांसद और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमानों के भारत आते ही फिर सरकार से सवाल पूछे हैं. राहुल गांधी ने वही अपने पुराने कुछ सवालों के साथ ट्वीट किया. हालांकि पहली लाइन में उन्होंने भारतीय एयरफोर्स इसके लिए बधाई भी दी. लेकिन उसके बाद राफेल विमानों की तीन गुना कीमत, कम संख्या में खरीद और एचएएल की बजाय अंबानी की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट देने को लेकर सरकार से सवाल पूछे.

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राहुल गांधी राफेल को लेकर हुई डील के बाद से ही लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं. लोकसभा चुनावों से ठीक पहले भी राहुल गांधी ने इस मुद्दे को काफी ज्यादा उठाया था. मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था. अब जब राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप भारत पहुंची तो राहुल गांधी ने एक बार फिर वही सवाल दोहराए. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,

“राफेल के लिए इंडियन एयरफोर्स को बधाई. इसी बीच क्या भारत सरकार इन सवालों के जवाब दे सकती है. आखिर क्यों 526 करोड़ का एक एयरक्राफ्ट 1670 करोड़ में खरीदा गया? क्यों 126 राफेल विमानों की जगह सिर्फ 36 विमान खरीदे गए? आखिर क्यों एचएएल की बजाय दीवालिया अनिल को 30 हजार करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया?”

ये वही सवाल हैं, जो राहुल गांधी ने राफेल डील के बाद और लोकसभा चुनाव के दौरान उठाए थे. हालांकि सरकार की तरफ से कहा गया था कि वो राफेल की कीमत को लेकर जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी काफी लंबा चला, लेकिन आखिरकार कोर्ट ने सरकार को क्लीन चिट देते हुए कहा कि इस मामले में जांच करने जैसा कुछ नहीं है.

कैसे हुई राफेल की डील

भारत ने साल 2007 में 126 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी. तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने वायुसेना के इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी. फिर बोली लगने की प्रक्रिया शुरू हुई. रेस में शामिल फ्रांस, अमेरिका, रूस और स्वीडन की विमान कंपनियों में डील आखिरकार राफेल के पाले में गई. फिर 2014 तक डील लटकी रही. ये वजह सामने आई कि राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन भारत में बनने वाले विमानों की क्वॉलिटी की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं थी. साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को लेकर भी एकमत वाली स्थिति नहीं थी.

साल 2014 में जब एनडीए सत्ता में आई तो दोबारा राफेल को लेकर कोशिशें शुरू हुई. 2015 में पीएम मोदी फ्रांस दौरे पर गए और उसी दौरान राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर समझौता किया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक समझौते के तहत भारत ने जल्द से जल्द उड़ान के लिए तैयार 36 राफेल खरीदने की बात की थी. आखिरकार सुरक्षा मामलों की कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद दोनों देशों के बीच 2016 में समझौता हुआ.

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