देशभर के अलग-अलग हिस्सों से प्रवासी मजदूरों के घर वापस जाने की ऐसी-ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो परेशान करके रख देती हैं. यूपी के औरेया में 16 मई को सड़क हादसे में 24 मजदूरों ने जान गंवा दी. इससे पहले औरंगाबाद में मजदूरों की ट्रेन की पटरी पर मौत हो गई थी. आखिर ट्रेन की 'समुचित व्यवस्था' होने के बावजूद ये मजदूर घर वापस जाने के लिए अलग-अलग उपाय क्यों कर रहे हैं?
हालत ये है कि केंद्र सरकार इसे राज्यों की जिम्मेदारी बता रही है, वहीं राज्य सरकारों का कहना है कि केंद्र सरकार अपनी गलती का ठीकरा राज्यों पर फोड़ रही है.
सरकार की तरफ से तर्क क्या है?
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने 15 मई को कहा कि रेलवे रोजाना 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाकर कामगारों को उनके घर पहुंचाने के लिये तैयार है, लेकिन कुछ राज्य सरकारें ट्रेनों को अनुमति नहीं दे रही हैं.
मुझे दुख है कि कुछ राज्यों जैसे प.बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ, और झारखंड की सरकारों द्वारा इन ट्रेनों को अनुमति नही दी जा रही है, जिससे श्रमिकों को घर से दूर कष्ट सहना पड़ रहा है.पीयूष गोयल, रेलमंत्री
वहीं न्यूज एजेंसी IANS से बातचीत में केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि केन्द्र सरकार ने मजदूरों की घर वापसी के लिए पर्याप्त संख्या में ट्रेनों की व्यवस्था की है ,लेकिन कुछ राज्य सरकारों की असहयोग के कारण आज मजदूरों की ऐसी भयावह स्थिति देखने को मिल रही है.
“उत्तर प्रदेश ने 386 ट्रेनों से लोगो को रेस्क्यू किया है. बिहार ने 204, मध्यप्रदेश ने 66 ट्रेने चलाई. लेकिन उड़ीसा 46, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ ने 7-7 , राजस्थान ने 18 और महाराष्ट्र ने सिर्फ 11 ट्रेने चलाने की इजाजत दी है. विपक्ष शासित राज्य मजदूरों को अपने यहां लेना ही नही चाहते हैं.”मुख्तार अब्बास नकवी, केंद्रीय मंत्री
राज्य सरकारों-विपक्ष का क्या कहना है?
राज्यों की अनुमति का बहाना क्यों?
आम आदमी पार्टी की तरफ से सांसद संजय सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार बहाना बना रही है.
देश में इस वक़्त NDMA लागू है केन्द्र राज्यों को निर्देश दे सकता है जब लाक डाउन घोषित करने के लिये राज्यों से अनुमति नही ली तो मज़दूरों को भेजने के लिये राज्यों की अनुमति का बहाना क्यों?संजय सिंह, AAP
आपको गलत जानकारी मिली है रेलमंत्री जी: हेमंत सोरेन
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है कि रेलमंत्री को गलत जानकारी दी गई है. उन्होंने कहा कि झारखंड ने अबत 110 ट्रेनों को 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' दिया है. 50 ट्रेनों में करीब 60 हजार से ज्यादा श्रमिक घर लौट चुके हैं.
आपके विभाग द्वारा आप तक सही जानकारी नहीं पहुँचायी गयी है. मैंने जहां देश में सबसे पहले ट्रेन चलाने की गुहार लगायी थी, पुनः आपसे ज़्यादा से ज़्यादा ट्रेनें झारखण्ड के लिए चलाने की आग्रह करता हूं. अभी हर रोज मात्र 4-6 ट्रेनें झारखण्ड आ रही हैं जो हमारे लगभग 7 लाख श्रमिक झारखंडियों को जल्द वापस लाने हेतु पर्याप्त नहीं हैं.हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखंड
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने भी रेलमंत्री के दावे को ‘झूठा’ बताया है, उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार के पास किसी भी ट्रेन की मंजूरी लंबित नहीं है.
वास्तव में राजस्थान की सरकार हमेशा से इस पक्ष में थी कि प्रवासियों के लिए ट्रेन चलाई जाए. मैं अब रेल मंत्री के बयान को देखकर हैरान नहीं हूं, क्योंकि उनके पास अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरे पर फोड़ने की योग्यता है.अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
कांग्रेस के बड़े नेता और सांसद राहुल गांधी का कहना है कि पूरे देश से हर सड़क पर एक दिल दहलाने वाली तस्वीर देखने को मिल रही है. देश की आत्मा, देश का मजदूर सड़कों पर है. उन्हें उनके बच्चों और परिवारों को जिस हाल में छोड़ दिया गया है, ये किसी की भी आंख से आंसू लाने के लिए काफी है. सौ से ज्यादा लोग जान से हाथ भी धो बैठे और लाखों सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर वापसी को मजबूर हैं, लेकिन आज तक सरकार ने ये यह नहीं बताया कि वो इन मेहनतकशों को राहत और साधन कैसे देगी.
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