अशोक गहलोत खेमे और सचिन पायलट की तरफ से ट्वीट आ गया है कि ‘सत्य’ जीत गया. सब अपने-अपने सत्य के जीतने के दावे कर रहे हैं. मौजूदा स्थिति ये है कि सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री और पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष पद से हटा दिया.पायलट के वफादार दो अन्य मंत्रियों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी मंत्री पद से हटा दिया गया है. राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह दोतासारा को कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
अब नया सवाल ये है कि पायलट की बगावत के बाद क्या गहलोत सरकार बच सकेगी? ये जानने के लिए जरा राजस्थान विधानसभा का गणित समझिए.
200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 101 का है. विधानसभा में कांग्रेस के 107 विधायक हैं, ये टूट फूट होने से पहले कांग्रेस के पास भारतीय ट्राइबल पार्टी और सीपीएम के दो-दो विधायकों का समर्थन है, साथ ही आरएलडी के 1 और 12 निर्दलीयों का भी समर्थन है. यानी कांग्रेस और सहयोगियों का कुल आंकड़ा 124 विधायकों का था. वहीं बीजेपी के विधायकों की संख्या 72 है.बीजेपी की सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 3 विधायक हैं और उसे एक निर्दलीय का समर्थन था.
ये आंकड़ा पायलट के खेमे के बगावत के पहले का है, अब विधानसभा का गणित कैसे बदल सकता है, क्या दावे किए जा रहे हैं वो समझते हैं.
गहलोत सरकार ‘ सेफ’ है!
सोमवार को कांग्रेस की तरफ से दावा किया गया कि सीएम गहलोत के खेमे के पास 109 विधायकों का समर्थन हैं. इन 109 विधायकों में निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायक भी शामिल हैं. IANS की एक रिपोर्ट बताती है किअशोक गहलोत ने भी राज्यपाल के साथ मुलाकात में 109 विधायकों का ही दावा किया है. ऐसे में दावा सही है तो कांग्रेस की सरकार पर कोई खतरा नहीं है. क्योंकि पार्टी 101 के बहुमत के आंकड़ों को आसानी से छू सकती है.
सरकार पर संकट के सवाल इसलिए उठे क्योंकि सोमवार को हुई CLP बैठक में इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 कांग्रेस विधायक शामिल नहीं हुए थे. इनमें से बताया जा रहा है कि विधायक भंवरलाल मेघवाल सेहत की दिक्कतों की वजह से बैठक में नहीं आ सके. वहीं, भारतीय ट्रायबल पार्टी के अध्यक्ष महेशभाई वसावा ने अपने दोनों विधायकों को न तो गहलोत, न पायलट न ही बीजेपी को समर्थन देने का व्हीप जारी कर दिया था.
इस बीच कांग्रेस के 107 में 17 विधायक पायलट खेमे में बताए जा रहे हैं जो कुल मिलाकर सरकार गिराने की स्थिति में नहीं हैं. हालांकि, पायलट खेमे की तरफ से दावा किया गया था कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है. अगर 30 विधायकों के समर्थन की बात मान भी लें तो भी वो सरकार गिराने की स्थिति में नहीं दिख रहे क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस और दोनों ही पार्टियों के समर्थक विधायकों का अंतर अबतक 50 के करीब का रहा है.
अब एक केस और देखते हैं, अगर एंटी-डिफेक्शन नियम लागू करना है तो कांग्रेस के दो तिहाई विधायकों को पार्टी छोड़नी होगी. मतलब कि 107 विधायकों में से 72 विधायकों को.
ऐसे में कुल मिलाकर आंकड़े गहलोत के पक्ष में नजर आ रहे हैं. लेकिन ‘सियासत’ में जबतक नतीजा ना आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता.
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