कांग्रेस में 25 सितंबर को चले सियासी ड्रामे के बाद बदले समीकरणों के बीच, एक हफ्ते से राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री को लेकर फैसला लटका हुआ है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत Ashok Gehlot) ने दिल्ली में ऐलान किया था कि राजस्थान की कमान किसके पास होगी ये सोनिया गांधी तय करेंगी. इसके बाद कांग्रेस महासचिव का भी बयान आया था कि एक बार फिर से विधायक दल की बैठक बुलाने के बाद सोनिया गांधी इसपर फैसला करेंगी.
फैसले की घड़ी अभी अपने समय पर नहीं पहुंची है, लेकिन राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की खींचतान जारी है. गहलोत एक बार फिर से पूरी तरह राजकाज में जुट गए हैं.
4 अक्टूबर को उन्होंने उच्चाधिकारियों के साथ बजट की समीक्षा बैठक लेने के बाद अगला बजट जल्द लाने का ऐलान कर दिया है. राजनीतिक आशंकाओं के बीच गहलोत का ये ऐलान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
बजट जल्दी लाने की तैयारी में गहलोत
गहलोत ने 4 अक्टूबर को कहा कि राजस्थान का इस साल का बजट जल्दी आ सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार चाहेगी कि बजट में कोई देरी न हो क्योंकि पार्टियों को बजट के बाद चुनाव में जाना है. वैसे भी फरवरी-मार्च में बजट आते भी हैं, कोई 15 दिन पहले आ जाए, एक महीना पहले आ जाए, तो अलग बात है, पर वो मैं समझता हूं कि इसमें कोई देरी नहीं होगी, क्योंकि बाद में सबको चुनाव में जाना पड़ता है. गहलोत ने कहा कि
चाहे पक्ष हो या विपक्ष, सब चाहते हैं कि बजट समय पर आए. समय पर पूरा हो, तो हम भी चाहते हैं कि विपक्ष को भी मौका मिले. हमारे खिलाफ बात करने का. लोकतंत्र है, वो अपनी बात कहें, हम अपनी बात कहेंगे, हमारी उपलब्धियां बताएंगे, जनता फैसला करेगी कि क्या करना है.
राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. हालांकि ये चुनाव दिसंबर में होंगे, लेकिन इसकी आचार संहिता नवंबर से पहले लग जाती है. साथ ही पार्टियां छह महीने पहले ही चुनावी मूड में चली जाती हैं. सबसे खास बात ये कि चुनावी साल में बजट घोषणाओं को आम जनता गंभीरता से नहीं लेती. उसे चुनावी झुनझुना मान लिया जाता है. ऐसे में जल्द बजट पेश करने की गहलोत की रणनीति अच्छा चुनावी दांव हो सकती है.
खाचरियावास से मिले पायलट
अब पायलट की राजनीतिक चालों की बात की जाए तो वे आजकल उन नेताओं की मिराजपुर्सी में दिखाई दे रहे हैं, जिन्होंने 25 सितंबर को विधायक दल की अहम बैठक से पहले उनके खिलाफ बिगुल फूंका था. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सोमवार की रात खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के सिविल लाइंस स्थित आवास पर मुलाकात की.
खाचरियावास 25 सितंबर को कांग्रेस के राजनीतिक सियासी घटनाक्रम में गहलोत खेमे की तरफ से अहम भूमिका निभाने वाले विधायक थे. खाचरियावास ने सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने पर तीखे प्रहार भी किए थे. राज्य में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. राज्य में जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत खेमे में गये खाचरियावास ने मंगलवार को कहा कि पायलट के साथ बातचीत कोई नई बात नहीं थी. हालांकि उन्होंने दोनों के बीच हुई बातचीत के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
इस घटनाक्रम के बाद खाचरियावास मंगलवार दोपहर को मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी मिलने पहुंचे.
खाचरियावास और पायलट के बीच चली बैठक को लेकर पायलट की ओर से कोई बयान नहीं आया. खाचरियावास से जब पायलट के साथ मुलाकात की वजह पूछी गई तो उनके सुर भी कुछ बदले हुए दिखे. खाचरियावास ने कहा कि मुलाकात करना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि वह और पायलट विधानसभा में एक ही बेंच पर बैठते हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि लंबे समय के बाद यह मुलाकात हुई है, उन्होंने कहा कि अगर
"हम बात करें तो यह कोई नई बात नहीं है. हम विधानसभा में बात करते रहते हैं. अगर पायलट साहब मेरे घर आएंगे तो जाहिर है हम ’भजन कीर्तन’ करेंगे नहीं...सारी बातें करेंगे. हमने हर चीज के बारे में बात की और हमने जो बात की वह यहां साझा करने लायक नहीं है...मैं मुख्यमंत्री से मिला हूं, मैं मंत्री हूं और उनसे मिलना-जुलना भी होता रहता है."
खाचरियावास का दिल पायलट के साथ - राजेंद्र गुढ़ा
दूसरी ओर राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा पायलट के आवास पर पहुंचे और उन्होंने कहा कि खाचरियावास का दिल पायलट के साथ है. पायलट के निवास पर पत्रकारों से बातचीत में गुढ़ा ने कहा कि मैं प्रताप सिंह खाचरियावास को लंबे समय से जानता हूं, वह मिलनसार व्यक्ति हैं, उनका दिल पायलट के साथ है. गुढ़ा का एक वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर सामने आया है जिसमें वह लोगों से यह कहते हुए दिख रहे हैं कि पायलट की छवि खराब करने की साजिश रची गई थी. उन्होंने पायलट के धैर्य की प्रशंसा करते हुए उनकी तुलना महाभारत के अभिमन्यु से कर दी. गहलोत के करीबी माने जाने वाले गुढ़ा ने हाल ही में सचिन पायलट के समर्थन में बयान दिया है.
2 खेमों में बंट गए थे विधायक
राज्य में राजनीतिक संकट 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक आयोजित करने के पार्टी के कदम के साथ सामने आया है. इसे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदलने की कवायद के रूप में देखा गया. हालांकि कांग्रेस विधायक दल की बैठक सम्पन्न नहीं हो सकी क्योंकि अशोक गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायकों ने मंत्री शांति धारीवाल के घर समानांतर बैठक की और पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायक मुख्यमंत्री पद के लिये उन 102 विधायकों में से किसी का भी समर्थन करने को तैयार हैं जिन्होंने जुलाई 2020 की संकट में गहलोत सरकार का साथ दिया था. उल्लेखनीय है कि जुलाई 2020 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 अन्य विधायकों ने अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी. गहलोत ने दिल्ली में हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर एक लाइन का प्रस्ताव पारित नहीं होने पर माफी मांगी थी. दिल्ली से लौटने के बाद गहलोत ने सामान्य रूप से अपना काम शुरू कर दिया जो यह दर्शाता है कि अब सब ठीक है. इस दौरान पायलट खेमा खामोश रहा.
इनपुट- पंकज सोनी
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