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'4 सालों में 43 FIR': बंगाल के संदेशखाली में शाहजहां शेख के 'कब्जे' की कहानी

Shahjahan Sheikh: 29 फरवरी की सुबह शाहजहां को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के मिनाखाह के एक घर से गिरफ्तार किया गया था.

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पश्चिम बंगाल (West Bengal) के उत्तरी 24 परगना जिले में सुंदरबन की सीमा से सटे एक गांव, संदेशखाली में शाहजहां शेख (Shahjahan Sheikh) की ताकत ने उसे 'बेताज बादशाह' के रूप में स्थापित किया है.

पश्चिम बंगाल के मोंतेस्वर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक और राज्य के एक बड़े मुस्लिम नेता सिद्दीकुल्लाह चौधरी को 2021 में शाहजहां की ताकत का अंदाजा लगा.

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सिद्दीकुल्लाह चौधरी के एक सहयोगी ने नाम न छपने की शर्त पर द क्विंट से बात करते हुए बताया कि लाठी-डंडे से लैस करीब 200 लोगों ने बसंती हाईवे पर चौधरी के काफिले को उस समय रोका जब वह सरबरिया गांव जा रहे थे. सरबरिया गांव संदेशखाली से दो घंटे की दूरी पर है.

सिद्दीकुल्लाह चौधरी जमीयत उलेमा-ए-हिंद की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष हैं. वह तूफान यास से पीड़ित परिवारों की मदद के लिए सरबरिया में राहत सामग्री पहुंचाने जाना चाहते थे. लेकिन उप-प्रधान शाहजहां ने कथित तौर पर उन्हें गांव में घुसने से मना कर दिया.

सहयोगी ने दावा किया कि स्थानीय लोगों ने चौधरी को बताया कि यह 'बेताज बादशाह का इलाका' है और कोई भी वहां कोई राहत सामग्री बांट नहीं सकता है.

चौधरी ने उनके साथ तर्क-वितर्क करने की कोशिश की लेकिन भीड़ ने काफिले में मौजूद वाहनों को तोड़ दिया और राहत सामग्री लूट ली. उन्होंने मंत्री से धक्का-मुक्की दिया की और जान से मारने की धमकी भी दी. चौधरी को नजत थाने की एक टीम ने बचा लिया और वापस कोलकाता ले आई. उन्होंने पुलिस और पार्टी हाई कमान को घटना की जानकारी दी. लेकिन शाहजहां को खरोच भी नहीं आई.
सहयोगी का आरोप
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घटना के बाद बसीरहाट जिला पुलिस अधीक्षक जोबी थॉमस ने बंगाली अखबार आनंदबाजार पत्रिका को बताया कि, "मंत्री (चौधरी) के आने की कोई खबर नहीं थी. चक्रवात के बाद मंत्री के पहुंचने पर वहां राहत सामग्री लेने के लिए भारी भीड़ जमा हो गई थी. लिहाजा पुलिस यह सोचकर मौके पर पहुंची कि इसकी वजह से तनाव बढ़ सकता है. पुलिस ने मंत्री को सुरक्षित बसंती रवाना कर दिया"

शाहजहां की ताकत का यह इकलौता उदाहरण नहीं है.

2019 में, शाहजहां और उनके सहयोगी शिबू हाजरा के समर्थित गुंडों ने तत्कालीन संदेशखाली-II के खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) कौशिक भट्टाचार्य के ऑफिस में कथित तौर पर उनके साथ मारपीट की. आरोप था कि हमला बीडीओ द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित फर्जी बिल को पास न करने के वजह से किया था.

द टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, कौशिक भट्टाचार्य ने इलाके में शाहजहां के अपने तंत्र का भी पर्दाफाश किया था लेकिन मारपीट के कुछ दिन बाद उनका तबादला दूसरे जिले में कर दिया गया. बाद में, शाहजहां और उनके लोगों को गबन के आरोप का सामना करना पड़ा और एक शिकायत के बाद वे राजकोष में एक बड़ी राशि वापस करने के लिए मजबूर हुए. पर इस मामले में उन्हें किसी भी कानूनी कार्रवाई से बचा लिया गया था.

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CPM के कार्यकर्ता से TMC के बाहुबली तक शेख का सफर

फिल्मों की तरह ही शाहजहां का सफर भी अर्स से फर्श तक का रहा है. शाहजहां के पहचान के एक व्यक्ति, जो दशकों से शेख परिवार को जानता है, उसने क्विंट से बात की. नाम ना लिखने के शर्त पर उसने बताया कि एक सीमांत किसान का बेटा और तीन भाईयों में सबसे बड़े शाहजहां ने शुरुआती दिनों में कारों कि धुलाई जैसे काम भी किए.

उसने कहा, "शेख ने ट्रेकर्स के लिए एक ड्राइवर और एक हेल्पर के रूप में भी काम किया."

शाहजहां 2013 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुआ था. लेकिन सीपीएम के साथ उसका राजनीतिक सफर एक दशक से भी पहले शुरू हो गया था. अपने मामा मोस्लेम शेख के प्रभाव के कारण शेख ने 2000 में सीपीएम के साथ हाथ मिलाया. मोस्लेम शेख पंचायत स्तर के सीपीएम नेता थे.

2000 के दशक की शुरुआत में शाहजहां एक ईंट भट्ठा संघ जो सीपीएम के तहत था का नेता तय हुआ.

परिचित ने कहा, आगामी दशक में शाहजहां मछुआरों, किसानों और दिहाड़ी मजदूरों के आबादी वाले क्षेत्र के एक मजबूत व्यक्ति के रूप में उभरा. उसने मछली पालन में भी अपनी पकड़ जमाई.

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उस व्यक्ति ने कहा, "शाहजहां हमेशा से कारोबार के कामों में निपुण रहा. वह साल 2004 में धीरे धीरे बेबी झींगा मछली के साथ मार्केट में दाखिल हुआ और फिर क्षेत्र के मछली फार्मों को नियंत्रित करना शुरू कर दिया. उसका व्यापार का साम्राज्य धीरे-धीरे बढ़ने लगा. उसने गांव के युवाओं को शामिल कर अपनी एक सेना खड़ी कर दी. वह स्थानीय पार्टी नेताओं से संपर्क बनाए रखता था और चुनावों के दौरान उनकी भी मदद करता था."

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और फिर 2010 के दशक की शुरुआत में पश्चिम बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आया. और, जैसा कि एक स्थानीय बंगाली चैनल ने कहा है, "शाहजहां शुरु से ही बदलाव की इन हवाओं को महसूस कर सकता था, जो राज्य को अपने आगोश में लेने वाली थी "

एक वरिष्ठ टीएमसी नेता ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर द क्विंट से कहा, "यह शाहजहां की उग्र भाषण देने की क्षमता थी जिसने उन्हें टीएमसी नेता मुकुल रॉय और ज्योतिप्रिया मल्लिक (जो वर्तमान में भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं) की नजर में ले लाया."

उन्होंने आगे कहा कि, "शाहजहां को टीएमसी के पाले में लाने में मल्लिक ने अहम भूमिका निभाई. मल्लिक को एहसास हुआ कि शाहजहां संदेशखाली में अल्पसंख्यकों के वोट बटोरने में पार्टी की मदद करेंगे. शाहजहां ने 2019 में लोकसभा क्षेत्र में टीएमसी की जीत में अहम भूमिका निभाई थी. और बदले में उन्हें पंचायत चुनावों के लिए टिकट दिया गया था और उन्होंने जीत भी हासिल की."

उन्हें पंचायत का उपप्रधान और फिर पार्टी के संदेशखाली इकाई का प्रधान बनाया गया.

2022 में उसने जिला परिषद की एक सीट जीती. टीएमसी नेता ने आगे कहा कि उस समय तक, "उनके नियंत्रण में लगभग 200 मत्स्य इकाइयां, स्थानीय थोक मछली बाजार, बेबी झींगा का प्रोसेसिंग सेंटर था, जिसे वह राज्य के सभी कोनों में बैठे मछली किसानों तक पहुंचाता था.

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4 साल में 43 FIR

29 फरवरी की सुबह शाहजहां को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के मिनाखाह के एक घर से गिरफ्तार किया गया था. इस महीने की शुरुआत में संदेशखाली में महिलाओं ने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया जिसके बाद से शाहजहां फरार हो गया.

राज्य के अधिवक्ता जनरल किशोर दत्ता ने कलकत्ता हाई कोर्ट को बताया कि पिछले चार सालों में शाहजहां पर 43 एफआईआर दर्ज किए गए. पुलिस ने जहां 42 मामलों में चार्जशीट पेश की है, वहीं कुछ में उसे फरार दिखाया गया है.

2023 के पंचायत चुनावों के दौरान शाहजहां ने जो दस्तावेज पेश किए थे, उसके अनुसार वह बिजनेसमैन है और उसकी करीब 19.8 लाख रुपये की सालाना आय है. 1.9 करोड़ रुपये से अधिक राशि उसके बैंक अकाउंट में जमा है. तीन बच्चों के पिता शाहजहां के पास करीब 43 बीघा जमीन (करीब 4 करोड़ रुपये की) और सरबरिया में एक मकान है, जिसकी कीमत करीब डेढ़ करोड़ रुपये है. इसके अलावा उनके पास कम से कम 17 मोटरसाइकिल हैं.

गिरफ्तारी के बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (दक्षिण बंगाल) सुप्रतिम सरकार ने मीडिया को बताया कि शाहजहां को 5 जनवरी को हुए एक मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के साथ एक छापेमारी के दौरान मारपीट की गई थी. यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर एडीजी ने कहा कि कई मामले थे और उनमें से ज्यादातर दो साल पहले हुए थे.

उन्होंने आगे कहा, "7, 8 और 9 फरवरी को सामने आए कई मामले दो से तीन साल पहले हुई घटनाओं से संबंधित हैं. इसलिए उनकी जांच करने और सबूत जुटाने में समय लगेगा."

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