अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) कांग्रेस (Congress) के साथ विलय कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक शिवपाल सिंह यादव ने कांग्रेस में अपनी पार्टी के विलय के लिए शर्त रखी है कि उन्हें उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाए.
सूत्र ने यह भी खुलासा किया कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस महीने की शुरुआत में शिवपाल सिंह यादव से संपर्क किया था. कांग्रेस के सूत्र ने बताया कि "हमने सुना है कि वह उत्तर प्रदेश में विपक्ष की स्थिति, खासकर अखिलेश यादव की भूमिका को लेकर डिप्रेशन में हैं. इसके बाद एक वरिष्ठ पीसीसी नेता उनके पास पहुंचे और इस तरह यह बातचीत शुरू हुई."
कांग्रेस का हाई कमांड भी पार्टी में शिवपाल सिंह यादव को जोड़ने को लेकर उत्सुक है और सक्रिय रूप से उन शर्तों पर विचार कर रहा है जो शिवपाल सिंह उनके सामने रख रहे हैं.
हालांकि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अभी इस प्रस्ताव के संबंध में शिवपाल सिंह यादव से बात नहीं की है. कांग्रेस के सूत्र ने बताया कि प्रियंका गांधी वाड्रा और शिवपाल सिंह यादव के बीच यह बातचीत अगले चरण में होगी, जब दोनों पक्ष, विलय की शर्तों के संबंध में एक सहमत हों.
वर्तमान में शिवपाल सिंह यादव यूपी विधानसभा में अपनी पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अकेले विधायक हैं. उन्होंने SP के साथ गठबंधन में यादव परिवार के लिए होम टर्फ मानी जाने वाली जसवंतनगर विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी.
कांग्रेस ने शिवपाल की ओर हाथ क्यों बढ़ाया?
कांग्रेस को यह एहसास है कि पार्टी उत्तर प्रदेश में तभी पुनर्जीवित हो सकती है जब वह राज्य में मुख्य विपक्ष के रूप में समाजवादी पार्टी को हटाकर खुद काबिज हो जाएगी. पार्टी शिवपाल सिंह यादव को उसी दिशा में प्रयास के रूप में देख रही है.
यूपी में कांग्रेस के पदाधिकारी ने कहा कि “समाजवादी पार्टी के कई कट्टर समर्थकों को लगता है कि शिवपाल, अखिलेश यादव की अपेक्षा पार्टी के विचारों का ज्यादा अच्छी तरह प्रतिनिधित्व करते हैं. वह धर्मनिरपेक्षता के मुद्दों पर भी अधिक स्पष्ट रुख अपनाते हैं. लेकिन उनकी पार्टी (PSP) को यूपी में एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में नहीं देखा जा रहा है. अगर वह कांग्रेस में शामिल होते हैं, तो यह दोनों के लिए लाभकारी होगा."
हालांकि कांग्रेस में कई ऐसे नेता भी हैं जो शिवपाल सिंह यादव को तुरंत प्रदेश इकाई (PCC) का अध्यक्ष बनाने को लेकर सहमत नहीं हैं. और इसके पीछे मुख्यतः 2 कारण हैं
पहला कारण यह तथ्य है कि शिवपाल यादव को अनिवार्य रूप से केवल यादवों और मुसलमानों के बीच लोकप्रिय नेता के रूप में देखा जाता है; उनके PCC अध्यक्ष बनने से कांग्रेस को उच्च जातियों और दलितों के बीच अपने समर्थन को वापस जीतने में मदद नहीं मिलेगी.
वास्तव में कांग्रेस का एक धड़ा मानता है कि शिवपाल यादव के आने से पार्टी के अंदर कुछ गुट अलग-थलग पड़ सकते हैं क्योंकि कहा जाता है कि उन्होंने SP के भीतर अधिक आक्रामक और कथित रूप से दबंगों को संरक्षण दिया था, लेकिन अखिलेश यादव ने जब पार्टी की छवि को बदलने की कोशिश की तो वो अलग-थलग पड़ गए.
यूपी के एक नेता ने कहा कि "जिस व्यक्ति से उसकी अपनी पार्टी दूरी बनाना चाहती थी, हम उसे कांग्रेस में आते ही PCC अध्यक्ष कैसे बना सकते हैं? वह निश्चित रूप से पार्टी में शामिल हो सकते हैं लेकिन उन्हें आते ही अध्यक्ष बनाना आसान नहीं होगा"
पार्टी की दूसरी चिंता दरअसल उसे पंजाब से मिले अनुभव में हैं जहां कांग्रेस ने कुछ दिन पहले ही पार्टी में आये नवजोत सिंह सिद्धू को PCC अध्यक्ष बना दिया था और पार्टी के कई नेता अलग-थलग पड़कर बगावती तेवर दिखाने लगे थे.
जहां तक शिवपाल की बात है, बताया जा रहा है कि अगर उनकी शर्त नहीं मानी गयी तब भी वे कांग्रेस के साथ गठबंधन को तैयार हैं. अखिलेश यादव के साथ हुए हालिया तकरार के बाद उनके पास बहुत विकल्प मौजूद नहीं हैं. BSP के साथ अपने पुराने कलह के कारण वो हाथी के संग सवारी नहीं करना चाहते और बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के लिए उन्हें अपनी धर्मनिरपेक्ष राजनीति को पूरी तरह से बदलने की आवश्यकता होगी.
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