यूपीए की चेयरपर्सन और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को कहा कि 'अच्छे दिन' भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ उसी तरह काम करेगा, जैसा 'इंडिया शाइनिंग' अभियान ने 2004 के आम चुनावों में वाजपेयी सरकार के साथ किया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और यूपीए गठबंधन के उसके साथी साल 2019 में लोकसभा चुनाव में सत्ता में वापसी करेगी.
सोनिया गांधी ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा:
“बीजेपी के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि उन्होंने काफी बड़े और शानदार वादे कर दिए. लेकिन क्या वो लागू हो रहा है? उन्होंने काफी सकारात्मक तस्वीरें दिखाई. उन्होंने नौकरी देने और 15 लाख रुपये देने का वादा किया. काफी निराशा है. मुझे भरोसा है कि बेजीपी का ‘अच्छे दिन’ दरअसल ‘इंडिया शाइनिंग’ के रूप में बदल जाएंगे, जिससे हम साल 2004 में सत्ता में आए थे.”सोनिया गांधी
'दोबारा मोदी सरकार को नहीं आने देंगे'
सोनिया गांधी ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किए गए वादों से लोगों के बीच काफी निराशा है. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने साल 2004 में 'इंडिया शाइनिंग' अभियान और चुनाव में अच्छा करने की उम्मीद के बावजूद सत्ता गंवा दी थी. सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी केंद्र में दोबारा मोदी सरकार को नहीं आने देंगे.
देश के 22 राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगी दल के सत्ता में होने और 2014 आम चुनावों में कांग्रेस की हार पर सोनिया ने कहा, “यूपीए सरकार दो कार्यकाल में दस सालों तक सत्ता में रही और निश्चिय ही हमारे खिलाफ कुछ सत्ता विरोधी लहर थी. लोगों ने शायद महसूस किया कि उन्हें नया नेता चाहिए. मैं भी सोचती हूं कि हम मुकाबले से बाहर हो गए, क्योंकि जिस तरह मोदी और उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ा, हम उनके साथ मुकाबला नहीं कर सके.”
'वाजपेयी के समय संसद में आज से बेहतर काम हुआ था'
सोनिया गांधी ने ये भी कहा कि मोदी सरकार विपक्ष के साथ तालमेल की भावना नहीं रखती है. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान संसद ने ज्यादा सकारात्मक तरीक से काम किया था. सोनिया ने कहा, "मौजूदा स्थिति ऐसी है कि कोई भी तालमेल की भावना नहीं है. यह हमारा अधिकार है, यह विपक्ष का अधिकार है. जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तो हमने काफी अच्छे तरीके से काम किया था."
सोनिया गांधी ने इससे पहले अपने भाषण में आरोप लगाया था कि सरकार ने उनकी पार्टी को दरकिनार कर दिया और करोड़ों रुपये के पीएनबी घोटाले में बोलने का मौका नहीं दिया गया.
“वाजपेयी संसदीय प्रक्रिया की बहुत इज्जत करते थे और तब के अध्यक्ष वैसे थे, जैसा उन्हें होना चाहिए. वाजपेयी सरकार में भी हम विपक्ष में थे. हम कड़े प्रतिद्वंद्वी थे, लेकिन हमने अच्छी तरह से काम किया. निश्चित ही हमारे बीच असहमति थी, लेकिन यह सब सकारात्मक तरीके से था.”सोनिया गांधी
कथित गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कार्प घोटाले में कैग की रिपोर्ट के बारे में सोनिया ने कहा कि उनकी पार्टी को इस मुद्दे पर संसद में बोलने नहीं दिया गया
(इनपुट: IANS)
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