ईवीएम और 50 फीसदी वोटर VVPAT पर्चियों के मिलान की मांग को लेकर दाखिल की गई 21 विपक्षी दलों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया. साथ ही इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से अपनी मदद के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करने को भी कहा. मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी.
विपक्षी दलों की क्या है मांग
21 विपक्षी दलों का कहना है कि लोकसभा चुनावों के नतीजे से पहले कम से कम 50 फीसदी वोटों का मिलान वीवीपैट से हो. चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग लेकर दस से ज्यादा विपक्षी दलों के नेता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, आम आदमी पार्टी और टीडीपी समते 21 विपक्षी दलों ने एक याचिका दायर की थी.
पहले भी उठाए थे ईवीएम पर सवाल
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि उन्हें ईवीएम की विश्वसनीयता पर शक है. यह चुनाव की पारदर्शिता के साथ समझौता है. ऐसे में आयोग यह सुनिश्चित करे कि 50% ईवीएम वोटों का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाए. 21 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने चुनाव आयोग को भी ज्ञापन सौंपा। नवंबर-दिसंबर में पांच विधानसभाओं में हुए चुनाव के दौरान भी इन पार्टियों की ओर से ईवीएम को लेकर सवाल उठाए गए थे.
पिछले महीन यानी 5 फरवरी को विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से ये मांग की थी लेकिन आयोग ने पिछले सप्ताह वीवीपैट मिलान का प्रतिशत बढ़ाने से आदेश देने से साफ इनकार कर दिया. आयोग ने कहा था कि इंडियन इंस्टीयूट ऑफ स्टैस्टिक्स से राय ली जा रही है. उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही फैसला लिया जाएगा. आयोग ने यह भी कहा था कि इस संबंध में मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. चुनावों में फिलहाल एक विधानसभा सीट पर एक ईवीएम के मतों का वीवीपैट पर्चियों से मिलान किया जाता है.
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