पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. सूची बताती है कि टीएमसी ने अपने मतदाता वर्ग में इस बार महिलाओं और एसएसी-एसटी वर्ग को लक्ष्य बनाया है.
टीएमसी ने इस बार मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या में भी कटौती की है. कुल मिलाकर सभी समुदायों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश इस बार पार्टी करती नजर आ रही है.टीएमसी इस बार 294 में से 291 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं 3 सीटें अपनी सहयोगी पार्टी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) को दी हैं.
हिंदू ध्रुवीकरण को रोकने की कोशिश
टीएमसी पर बीजेपी अक्सर मुस्लिम तुष्टिकरण करने का आरोप लगाती रही है. बीजेपी ने चुनाव में बड़े स्तर पर हिंदू ध्रुवीकरण का फायदा मिलने की उम्मीद लगा रखी है.
हिंदू ध्रुवीकरण को रोकने और मुस्लिम तु्ष्टिकरण की अपनी छवि ठीक करने के लिए इस बार टीएमसी ने 42 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया है. जबकि पिछली बार टीएमसी ने 57 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे.
SC-ST और महिलाओं का दबदबा बढ़ा
पार्टी की सूची में इस बार 79 प्रत्याशी (करीब 27 फीसदी) एससी समुदाय, 17 प्रत्याशी (5 फीसदी) एसटी समुदाय से आते हैं. बता दें बंगाल में एससी के लिए 68 और एसटी के लिए 16 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन इस वर्ग से ज्यादा लोगों को टिकट देकर टीएमसी इन्हें अपने पाले में खींचने की कोशिश कर रही है.
वहीं 50 महिला प्रत्याशी (17 फीसदी) भी चुनाव में टीएमसी के टिकट पर किस्मत आजमाने जा रही हैं. यह संख्या पिछली बार के चुनावों से पांच ज्यादा है. बता दें यहां टीएमसी ने महिला वोटर्स तक पहुंचने के लिए बीजेपी नेताओं की पत्नियों को तक टिकट दिया है.
टीएमसी के पूर्व नेता और अब बीजेपी से सांसद सौमित्र खान की पत्नी सुजाता खान और बीजेपी नेता सोवन चटर्जी की पत्नी रत्ना चटर्जी को बेहाला से टिकट दिया गया है. ध्यान रहे इस बार ममता बनर्जी खुद को बंगाल की बेटी के तौर पर पेश कर रही हैं.
टीएमसी ने इन चुनावों में एंटी इंकम्बेंसी से निपटने की भी पुख्ता तैयारी की है. इस बार 114 नए चेहरों को मैदान में उतारा गया है. जबकि 160 विधायकों की सीटें बदली गई हैं.
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डेटा सोर्स: इंडियन एक्सप्रेस और अन्य मीडिया रिपोर्ट
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