उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनावों के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष के नतीजे सामने आ चुके हैं. जिसमें बीजेपी ने 75 में से 67 सीटों पर कब्जा किया है. लेकिन बीजेपी की इस जीत को लेकर विपक्षी दलों ने कई तरह के सवाल खड़े किए हैं, एक तरफ जिला पंचायत अध्यक्ष के नतीजे आ रहे थे, वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे. नतीजे आने के बाद भी विवाद लगातार जारी है.
नामांकन से लेकर नतीजों तक बीजेपी पर लगे आरोप
यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव से पहले जब नामांकन दाखिल हो रहे थे तो कई ऐसे मामले सामने आए, जो काफी हैरान कर देने वाले थे. कहीं किसी का नकली पर्चा भरा गया तो कहीं किसी और ने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया. वहीं किसी उम्मीदवार ने पुलिस पर धमकाने का आरोप लगाया.
पहले नतीजों के दौरान और उसके बाद क्या-क्या हुआ, ये जान लेते हैं. कुल 75 जिलों के जिला पंचायत अध्यक्षों के लिए 3 जुलाई को मतदान शुरू हुआ. इसके तुरंत बाद समाजवादी पार्टी ने औरेया के डीएम पर गंभीर आरोप लगाए. एसपी ने बताया कि डीएम उनके उम्मीदवार को हराने की कोशिश कर रहे हैं. पार्टी के ट्विटर हैंडल से कहा गया,
“औरैया के सत्ता परस्त DM का कैमरे के सामने शर्मनाक ‘कबूलनामा’! जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव से ठीक पहले कैमरा खराब कर सपा प्रत्याशी को जबरन चुनाव हरा देने का एलान. वीडियो का संज्ञान ले चुनाव आयोग. लोकतंत्र की हत्या रोककर निष्पक्ष चुनाव हो सुरक्षित. DM पर हो तुरंत सख्त कार्रवाई.”
SP नेताओं का प्रदर्शन, पुलिस का लाठीचार्ज
औरेया के अलावा प्रतापगढ़ के डीएम पर भी कुछ ऐसे ही आरोप लगाए गए. लेकिन यहां आरोप बीजेपी उम्मीदवार की तरफ से था. बीजेपी उम्मीदवार क्षमा सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि डीएम और एडीजी जनसत्ता दल के राजा भैया का सपोर्ट कर रहे हैं. इस दौरान बीजेपी उम्मीदवार ने अन्य नेताओं के साथ मिलकर पोलिंग पूथ पर जमकर हंगामा किया.
यूपी के बाकी जिलों से भी ऐसी कई खबरें सामने आईं. रामपुर में भी समाजवादी पार्टी के नेताओं ने जमकर प्रदर्शन किया. यहां नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी सत्ता का इस्तेमाल कर चुनाव में जीतने की कोशिश कर रही है. नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने धरना दिया और एसपी के दो सदस्यों की किडनैपिंग का आरोप लगाया. कुछ जगहों पर झड़प की खबरें भी सामने आईं.
प्रयागराज में बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई. जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज भी किया. इसके अलावा सोनभद्र में पुलिस के रवैये को लेकर सपाइयों ने जमकर हंगामा किया और कलेक्ट्रेट गेट पर धरना प्रदर्शन हुआ. अयोध्या में भी बीजेपी और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए. जिसके बाद पुलिस को हल्के बल का प्रयोग करना पड़ा. बरेली में भी पुलिस पर एसपी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाए. यहां पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई.
चुनाव से पहले क्या-क्या हुआ?
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से पहले यूपी के इन जिलों में कफी कुछ हुआ. यानी उम्मीदवारों को रास्ते से हटाने को लेकर कई तरह के आरोप लगे. बस्ती जिले में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि उनके जिलाध्यक्ष के खिलाफ केस चुनाव में दबाव बनाने के लिए दर्ज किया गया है. बदायूं में कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्य ईश्वरवती देवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि, प्रशासन उनका घर गिराने की धमकी दे रहा है और बीजेपी के पक्ष में वोट डालने को कहा जा रहा है.
बागपत में नामांकन को लेकर विवाद
इसके अलावा बागपत में आरएलडी उम्मीदवार ममता किशोर के साथ कुछ ऐसा हुआ कि, उन्हें भी पता नहीं चला कि उनका नामांकन वापस ले लिया गया है. जब पता लगा तो ममता किशोर ने एक वीडियो जारी कर बताया कि वो राजस्थान में हैं, उन्होंने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है. इसके बाद डीएम ने सफाई देते हुए कहा था कि किसी और महिला ने उनका नामांकन वापस ले लिया था. डीएम ने गलती होने की बात कबूली और आरएलडी उम्मीदवार का नामांकन रद्द नहीं हुआ. जिसके बाद इस सीट पर ममता किशोर की ही जीत हुई है. ट
बता दें कि भले ही 75 जिला पंचायत अध्यक्ष सीटों में से 67 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की हो, लेकिन पंचायत चुनावों में बीजेपी पीछे थी. बीजेपी ने 603 जिला पंचायत सदस्य की सीटें जीती थीं, जबकि समाजवादी पार्टी ने 800 से ज्यादा सीटों पर कब्जा किया था. लेकिन जब बात जिला पंचायत अध्यक्ष की आती है तो इसमें कई पहलू बदल जाते हैं. इसमें सबसे बड़ा फैक्टर है कि सत्ता में जो पार्टी होगी, उसी के जिला पंचायत अध्यक्ष ज्यादा बनेंगे. साथ ही पावर के अलावा इसमें पैसे का भी अहम रोल होता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)