उत्तर प्रदेश में चुनावों से कुछ ही महीने पहले हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में बीजेपी को बड़ी जीत मिली है. यूपी के 75 में से 67 जिला पंचायत अध्यक्ष बीजेपी के चुने गए हैं. वहीं अगर वेस्टर्न यूपी की बात करें तो यहां भी बीजेपी ने अपना दबदबा बरकरार रखा है. जो कि चुनाव से पहले पार्टी के लिए राहत की खबर है. क्योंकि पश्चिमी यूपी के कई किसान संगठन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं.
बागपत सीट पर मिली हार
बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की 14 सीटों पर कब्जा कर लिया है. जबकि एक सीट राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के खाते में गई है. आरएलडी ने बागपत सीट पर जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता है. इस सीट की कहानी भी काफी दिलचस्प रही. यहां से आरएलडी उम्मीदवार ममता किशोर ने नामांकन से ठीक पहले बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया. लेकिन बीजेपी में शामिल होने के कुछ ही घंटे बाद वापस आरएलडी उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर लिया. जिसके बाद ममता किशोर बागपत से जिला पंचायत अध्यक्ष बन गई हैं. ये सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन चुकी थी.
पश्चिमी यूपी के कई पोलिंग बूथ पर भारी संख्या में पुलिबल तैनात किया गया था. खासतौर पर बागपत पोलिंग बूथ पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी, क्योंकि यहां पर बीजेपी और आरएलडी के समर्थक सैकड़ों की संख्या में पहुंचे थे. बाहर खड़े समर्थकों के बीच किसी तरह की कोई झड़प ना हो, इसके लिए भी पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी.
वेस्टर्न यूपी की इन सीटों पर बीजेपी का परचम
लेकिन कुल मिलाकर पश्चिमी यूपी के नतीजे सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के लिए काफी बेहतर और राहत भरे हैं. क्योंकि यहां उनके ज्यादातर उम्मीदवार तो निर्विरोध ही जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए. मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, सहारनपुर, आगरा, अमरोहा, शाहजहांपुर, मुरादाबाद और पीलीभीत में बीजेपी उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए.
इसके अलावा बाकी की हापुड़, मुजफ्फरनगर, शामली और बिजनौर सीट पर बीजेपी उम्मीदवारों ने विपक्षी उम्मीदवारों को हराकर जीत दर्ज की.
विपक्ष के गंभीर आरोप
पश्चिमी यूपी की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों के सामने कोई विपक्षी उम्मीदवार नहीं था, यानी वो आसानी से निर्विरोध चुन लिए गए. लेकिन इसे लेकर विपक्षी दलों का बीजेपी पर आरोप है कि उनके उम्मीदवारों को डरा धमकाकर नाम वापस लेने के लिए मजबूर किया गया. समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने अपनी ताकत का इस्तेमाल कर इन चुनावों में अपने उम्मीदवारों को जिताने का काम किया है.
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