आगामी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कैबिनेट (cabinet) में 7 नए मंत्रियों को शामिल किया है. कैबिनेट में शामिल नए मंत्रियों में जितिन प्रसाद, पल्टू राम, छतरपाल गंगवार , संगीता बलवंत बिंद, धर्मवीर प्रजापति, संजीव कुमार गोंड और दिनेश खटीक शामिल हैं.
इन नामों में एक ब्राह्मण चेहरा, 3 दलित और तीन ओबीसी समाज से हैं. राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य विधानसभा चुनावों से महीनों पहले यह विस्तार किया गया है और चुनाव को ध्यान में रखते हुए विभिन्न जातियों और समुदायों को एकसाथ साधने की कोशिश की गयी है.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में मंत्रियों की कुल संख्या 60 हो सकती है. इससे पहले यूपी कैबिनेट में 23 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र मंत्री और 21 राज्यमंत्री थें, और 7 मंत्रियों की जगह खाली थी.
कैबिनेट में शामिल किये नए चेहरों में पूर्व कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद हैं, जो कभी राहुल गांधी के करीबी सहयोगी थे, और जून में दलबदल करने से पहले यूपी में कांग्रेस पार्टी का शीर्ष ब्राह्मण चेहरा थे. जितिन प्रसाद का पार्टी प्रवेश बीजेपी को योगी आदित्यनाथ सरकार के उस इमेज से बाहर लाने में मदद करने के लिए था, जिसे राज्य के ब्राह्मणों के एक वर्ग द्वारा ठाकुर समर्थक माना जाता है. कई बार ब्राह्मण चेहरे के रूप में मंत्रिमंडल में नाम की चर्चा में शुमार रहने वाले पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई की जगह पार्टी हाईकमान ने जितिन प्रसाद पर भरोसा दिखाया है.
मेरठ से हस्तिनापुर के MLA दिनेश खटीक को भी नए कैबिनेट में जगह मिली है. गौरतलब है कि दिनेश खटीक पर हाल ही में मेरठ के एक वकील की मौत के बाद आत्महत्या के लिए उकसाने की आईपीसी धारा 306 के तहत केस में नामजद किया गया था.
403 सीटों में से 350 से अधिक सीटें जीतेंगे- योगी आदित्यनाथ
पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि बीजेपी राज्य में सत्ता में वापसी करेगी, चुनाव में भारी बहुमत से जीत हासिल करेगी. मुख्यमंत्री ने घोषित किया कि राज्य के बारे में "धारणा" बदल गई है और उन्हें राज्य की 403 सीटों में से 350 से अधिक सीटें जीतने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि 2017 में बीजेपी ने 325 सीटें जीती थीं. समाजवादी पार्टी और उसके सहयोगियों ने 54 और बसपा ने 19 सीटें अपने पाले में किए थे.
अन्य राज्यों में अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन के बाद, यूपी चुनाव को राज्य स्तर पर बीजेपी की "पकड़" की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है. इस साल की शुरुआत में बीजेपी ने असम में सत्ता बरकरार रखी लेकिन बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ बढ़त बनाने में नाकाम रही, केरल में उसे 0 सीटों पर जीत मिली जबकि तमिलनाडु में भी हार का सामना करना पड़ा.
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