यूपी चुनाव 2022 के नतीजे 10 मार्च को आएंगे, लेकिन उससे पहले एग्जिट पोल बता रहे हैं कि योगी सरकार की वापसी हो रही है. वहीं बीजेपी से एसपी में शामिल हुए बड़े चेहरे फेल साबित हुए. वहीं मायावती का 10 साल में सबसे खराब प्रदर्शन होता दिख रहा है. इन सभी फैक्टर्स का असर अगले लोकसभा चुनाव में दिख सकता है.
उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 के लिए मतदान खत्म होते ही एग्जिट पोल आ गए और इन एग्जिट पोल का अनुमान है कि बीजेपी सत्ता में वापसी कर रही है. अखिलेश यादव बहुमत से बहुत दूर हैं. 5 Exit Poll का औसत निकालें तो बीजेपी को 257-273, एसपी को 114-130 और बीएसपी को 8-15 सीटें मिलती दिख रही है. साल 2017 में बीजेपी को 312 और 2012 में 47 सीट मिली थी. समझते हैं कि आखिर एग्जिट पोल के नतीजे क्या कहानी कह रहे हैं?
यूपी चुनाव में एंटी इनकंबेंसी का असर कम
उत्तर प्रदेश की राजनीति में देखा गया है कि हर चुनाव में सरकार के लिए एंटी इनकंबेंसी का फैक्टर रहता है, लेकिन अबकी बार एग्जिट पोल जो नतीजे दिखा रहे हैं, उसके हिसाब से योगी आदित्यनाथ के लिए एंटी इनकंबेंसी नहीं थी. शायद यही वजह है कि बीजेपी की सीटें जरूर कम हुई हैं, लेकिन सरकार बच जा रही है.
योगी की कानून व्यवस्था पर हुआ मतदान?
यूपी के एग्जिट पोल आने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर लोगों ने किस मुद्दे पर वोट किया. जवाब है कानून व्यवस्था. सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार चुनाव प्रचार में प्रदेश की कानून व्यवस्था का जिक्र करते रहे. बुलडोजर तो सिंबल की तरह इस्तेमाल होने लगा. वही जो माफिया और अपराधियों को घर पर चला.
फ्री-अनाज वाले लाभार्थियों ने BJP को जीत दिलाई
कोविड के बाद से मोदी-योगी सरकार की योजनाओं के लिए गरीब लोगों को फ्री में अनाज बांटा गया. यूपी चुनाव में फ्री अनाज लेने वाले ये लाभार्थी वर्ग सबसे ज्यादा साइलेंट रहा. हालांकि तीसरे चरण के बाद मीडिया संस्थाओं और अखबारों की हेडलाइन में लाभार्थी वोटर का जिक्र होने लगा. कहा जाने लगा कि लाभार्थी वोटर साइलेंट है. वह बीजेपी को वोट कर सकता है.
अखिलेश यादव कहां फेल होते दिख रहे हैं?
यूपी चुनाव 2022 के 5 एग्जिट पोल में अखिलेश यादव की पार्टी एसपी को 114-130 सीट मिलती दिख रही है. साल 2017 में एसपी को 47 और 2012 में 224 सीट मिली थी. अबकी बार चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद से ही अखिलेश यादव के पक्ष में कई खबर आई. ओबीसी का चेहरा माने जाने वाले ओपी राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान जैसे बड़े चेहरे एसपी के साथ आ गए. खूब हो हल्ला हुआ कि अखिलेश यादव के साथ गैर यादव ओबीसी आ गया है. ये वही गैर यादव ओबीसी है जिसने दो बार बीजेपी से भारी बहुमत से जिताया.
एग्जिट पोल देखकर लगता है कि बीजेपी से एसपी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे बड़े नेता सिर्फ हेडलाइन में ही चमके. जमीन पर उनका वैसा प्रभाव नहीं दिखा, जैसे का कयास लगाया गया. शायद अखिलेश यादव के साथ यहीं पर सबसे बड़ा धोखा हुआ होगा. इन नेताओं के साथ आने से लगा कि गैर यादव ओबीसी एक बार फिर से एसपी के साथ आ गया है. लेकिन शायद ऐसा नहीं हुआ.
10 साल में मायावती का सबसे खराब प्रदर्शन
यूपी चुनाव 2022 में जिस तरह से मायावती ने चुनाव प्रचार से दूरी बनायी थी. उसका असर एग्जिट पोल में दिख रहा है. साल 2017 में बीएसपी को 19 और 2012 में 80 सीट मिली थी, लेकिन अबकी बार एग्जिट पोल में 8-15 सीट मिलती दिख रही है. यानी ये पिछले 10 साल के चुनावों में सबसे कम हो सकती है. यानी अबकी बार मायावती की पार्टी बीएसपी सबसे खराब प्रदर्शन करने जा रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)