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लोकसभा चुनाव: सीट शेयरिंग, प्रत्याशियों का चयन-UP में BJP के सामने 27 सीटों का पेंच

Lok Sabha Elections: राजभर से लेकर मेनका गांधी, वरुण गांधी, बृज भूषण शरण सिंह को कैसे साधेगी बीजेपी?

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बीजेपी (BJP) ने 51 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. पिछली बार हारी हुई चार सीटों के अलावा 51 सीटों के प्रत्याशियों के ऐलान में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है. इसके अलावा जयंत सिंह के नेतृत्व वाली आरएलडी ने अपने कोटे की दो सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.

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हालांकि, अब बीजेपी की राह आगे आसान नहीं होने वाली. जो बची 27 सीटें हैं उसमें गठबंधन की दूसरी पार्टियों जैसे की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी), अपना दल, और निषाद पार्टी के सीटों का बंटवारा भी होना है. कुछ सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर भी पार्टी को काफी मंथन करना पड़ सकता है. ऐसे में कई मौजूदा सांसदों का टिकट कट सकता है. हारी हुई सीटों पर एक बार फिर प्रत्याशियों के बदलाव के संकेत आ रहे हैं.

राजभर के बगावती सुर

उत्तर प्रदेश में बीजेपी द्वारा घोषित 51 प्रत्याशियों की लिस्ट में सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में पार्टी ने रविंद्र कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है. एसबीएसपी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर गठबंधन में अपने प्रत्याशी राजेश सिंह दयाल को खड़ा करना चाहते थे. राजेश सिंह कई दिनों से इसको लेकर सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में जनसंपर्क में जुटे हुए थे.

हालांकि बीजेपी ने राजभर की नहीं सुनी तो उनका दर्द बलिया में 3 मार्च को आयोजित एक जनसभा में छलका. ओमप्रकाश राजभर ने राजेश सिंह दयाल के कसीदे पढ़ते हुए बीजेपी प्रत्याशी पर अपरोक्ष रूप से निशाना भी साधा.

बीजेपी में आने के बाद ओम प्रकाश राजभर की गाजीपुर, सलेमपुर और घोसी लोकसभा सीटों पर नजर थी. गाजीपुर में इंडिया ब्लॉक की तरफ से मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी प्रत्याशी हैं. राजभर और अंसारी परिवार की नजदीकियां किसी से छुपी नहीं है. मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी राजभर की पार्टी से मऊ सदर विधानसभा से विधायक है. ऐसे में कहा जा रहा है की राजभर की दिलचस्पी गाजीपुर सीट से कम हो गई है.

सलेमपुर लोकसभा बीजेपी ने पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया है. अब बची घोसी लोकसभा सीट जो राजभर के खाते में आ सकती है.

विशेषज्ञों का अनुमान है कि राजभर को एनडीए में दो सीटें मिल सकती हैं ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि राजभर को कौन-कौन सी सीटें मिलती हैं और क्या वह इससे संतुष्ट होंगे.
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बीजेपी के लिए गाजीपुर सीट 'टेढ़ी खीर'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से सटे गाजीपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी सबसे कमजोर रही है. बीजेपी के कद्दावर नेता और जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा यहां 2019 में बीएसपी के अफजाल अंसारी से चुनाव हार गए थे. 2022 में स्थिती बद से बदतर हो गई. उस साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां की सातों विधानसभा सीट हार गई थी.

2024 में एक बार फिर बीजेपी के लिए इसी तरह का संकट बरकरार है. यहां पर कोई भी बड़ा या तेज तर्रार नेता उभर कर नहीं आया है और ऐसे में प्रत्याशी के चुनाव को लेकर बीजेपी का मंथन जारी है.

प्रत्याशियों के दौड़ में जिन नामों की चर्चा हो रही है उसमें लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा, उनके बेटे अभिनव सिन्हा और बाहुबली माफिया बृजेश सिंह के नाम शामिल हैं. गाजीपुर जिले में पड़ने वाले सात विधानसभा क्षेत्र में दो विधानसभा क्षेत्र- जहुराबाद और मोहम्मदाबाद- बलिया लोकसभा क्षेत्र में आता है. ऐसे में गाजीपुर में प्रत्याशी के चुनाव का प्रभाव बलिया लोकसभा सीट पर भी पड़ता है जिसके कारण पार्टी ने दोनों ही सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए है.
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कई सांसदो का कट सकता है टिकट?

पहली लिस्ट में बीजेपी की तरफ से कोई बड़ा फेरबदल देखने को नहीं मिला और पार्टी ने पुराने सांसदों पर भरोसा जताया. हालांकि, अब कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले चरण में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है.

सुल्तानपुर से मेनका गांधी, पीलीभीत से वरुण गांधी, कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिंह, बदायूं से स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य, प्रयागराज से रीता बहुगुणा जोशी, गाजियाबाद से रिटायर्ड जनरल वीके सिंह और मेरठ से राजेंद्र अग्रवाल जैसे दिग्गजों के भाग्य पर फैसला हो सकता.
  • वरुण गांधी ने कई मौकों पर बगावती तेवर दिखाए हैं और पार्टी लाइन से हट कर बयान भी दिए हैं. ऐसे में उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा या नहीं या आने वाला वक्त ही बतायेगा.

  • बृजभूषण शरण सिंह के भी सितारे बुलंद नहीं चल रहे हैं. यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे ब्रिज भूषण गोंडा, अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी उन पर भरोसा दिखती है या नहीं.

  • स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे और अब उन्होंने एसपी से भी किनारा कर लिया है.

  • हालांकि, उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य अभी भी बीजेपी में बनी हुई है. लेकिन इस बार चुनौतियां अलग हैं. एसपी ने अपने दिग्गज नेता शिवपाल यादव को इस बार बदायूं से खड़ा किया है. सूत्रों की मानें तो जिन प्रत्याशियों पर टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है उसमें संघमित्रा मौर्य भी हैं.

  • बीजेपी ने अपने पहले लिस्ट में गाजियाबाद और मेरठ लोकसभा सीटों पर भी प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया था. ऐसे में फेरबदल का खतरा इन सीटों पर भी मंडरा रहा है.

  • 2019 लोकसभा चुनाव में एक रोमांचक मुकाबले में बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल ने बीएसपी के हाजी मोहम्मद याकूब को मात्र 4,729 वोटो से हराया था. हालांकि इस बार समीकरण अलग है और बीएसपी अकेले चुनाव लड़ रही है. ऐसे में बीजेपी की अगली लिस्ट से तय होगा की राजेंद्र अग्रवाल को मेरठ से चौथी बार मौका मिलता है या नहीं.

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हारी हुई सीटों पर बढ़ रही सरगर्मियां

बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में 2019 लोकसभा चुनाव में हारी हुई 14 सीटों में चार सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया था. रायबरेली, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद और लालगंज जैसे सीटों पर प्रत्याशियों के नाम आ सकते हैं.

कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी ने बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह को हराया था. इस सीट पर इस बार एसपी से बीजेपी में आए मनोज पांडेय भी संभावित प्रत्याशियों को दौड़ में शामिल हैं.

सहारनपुर सीट पर 2019 लोक सभा चुनाव में बीएसपी के फजल-उर-रहमान ने बीजेपी के राघव लखनपाल को हराया था. मुस्लिम और दलित बाहुल्य इस सीट पर समीकरण बीजेपी के पक्ष में नहीं दिखते हैं लेकिन राघव लखनपाल ने 2019 में फजल उर रहमान को कड़ी टक्कर दी थी. ऐसे में बीजेपी ने पहली लिस्ट में सहारनपुर से प्रत्याशी घोषित न कर राघव लखनपाल की धड़कनें जरूर बढ़ा दी होगी.

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