"बीजेपी जानती है कि वह पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है. इसलिए वह माहौल खराब कर रहे हैं." तृणमूल कांग्रेस (TMC) के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने 2023 के पंचायत चुनावों से पहले राज्य की सत्ताधारी पार्टी पर लग रहे हिंसा के आरोपों पर द क्विंट से यह बात कही.
8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों से हिंसा की खबरें आई हैं. मुर्शिदाबाद, पूर्वी बर्धमान, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, बीरभूम, कूचबिहार और पूर्वी मिदनापुर सहित कई जिलों में छिटपुट झड़पें हुई हैं. शुक्रवार, 9 जून को मुर्शिदाबाद में एक कांग्रेस कार्यकर्ता की भी कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी.
चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद, विपक्षी दलों ने दावा किया है कि TMC कैडर उनके उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने से रोक रहे हैं.
विपक्षी उम्मीदवारों को डराया जा रहा है- दिलीप घोष
द क्विंट से बात करते हुए पश्चिम बंगाल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने आरोप लगाया कि "कैनिंग और बीरभूम जैसी जगहों पर कई बीजेपी उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोका गया है. मंगलवार, 13 जून को उन्हें डराने के लिए कुछ जगहों पर बम भी फेंके गए थे." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि "हमें डर है कि नामांकन प्रक्रिया पूरी होने तक ऐसी घटनाएं और बढ़ेंगी."
हालांकि, TMC का कहना है कि बीजेपी और अन्य विपक्षी दल हिंसा की घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर बता रहे हैं. टीएमसी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद सौगत रॉय ने कहा कि पार्टी यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि कोई हिंसा न हो.
"हम हिंसा को नियंत्रित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि नामांकन शांतिपूर्ण तरीके से दाखिल किए जाएं. हालांकि, मंगलवार को भांगर में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) द्वारा टीएमसी कैडर पर हमला किया गया था."
ISF एक राजनीतिक दल है जिसकी स्थापना 2021 में पश्चिम बंगाल के जाने-माने मौलवी पीरजादा मोहम्मद अब्बास सिद्दीकी ने की थी.
मंगलवार, 13 जून को दक्षिण 24 परगना के भांगर में बीडीओ ऑफिस के बाहर स्थानीय TMC और ISF कैडर आपस में भिड़ गए थे, जिसके बाद गाड़ियों में तोड़फोड़ और पत्थरबाजी हुई थी.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार, 12 जून को नामांकन केंद्रों के एक किमी के दायरे में धारा 144 लगा दी गई थी, इसके बावजूद झड़पें हुईं. इस बीच, पुलिस ने हिंसा को रोकने के लिए लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे.
सोमवार को बर्धमान में इसी तरह की झड़प की खबर आई थी- जहां TMC और CPI (I) कैडर आपस में भिड़ गए थे.
हालांकि, पूर्व बर्धमान जिले में नामांकन केंद्रों पर TMC कार्यकर्ताओं ने सद्भावना दिखाते हुए विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को गुलाब और पानी की बोतलें भेंट की. TMC कार्यकर्ताओं ने विपक्ष के कार्यकर्ताओं को चाय और बिस्कुट भी ऑफर किया.
यह तब हुआ जब TMC महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि पंचायत चुनाव हिंसा की किसी भी घटना के बिना आयोजित किए जाने चाहिए.
भीड़ द्वारा कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या, विपक्ष ने TMC पर उंगली उठाई
इस बीच शुक्रवार, 9 जून को मुर्शिदाबाद जिले के खरग्राम में फूलचंद शेख नाम के एक कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि हमले के पीछे TMC का हाथ है और वह चुनाव जीतने के लिए बाहुबल का इस्तेमाल कर रही है.
पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रवक्ता सौम्या आइच ने कहा कि शेख और उनके पूरे परिवार को भीड़ ने निशाना बनाया.
आइच ने द क्विंट को बताया, "उनके 25 साल के बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों को भी पीटा गया. उनमें से पांच अभी भी अस्पताल में हैं."
शेख की मौत के खिलाफ शनिवार, 10 जून को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस ने बशीर मुल्ला नाम के एक तृणमूल कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया. जिसके कब्जे से एक पिस्तौल बरामद किया गया.
हालांकि, टीएमसी के शांतनु सेन ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि पार्टी का शेख की हत्या से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा, "इस मामले के पीछे की सच्चाई कुछ और ही है. आरोपी व्यक्ति को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है."
हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती के आदेश दिए
राज्य भर में हिंसा पर संज्ञान लेते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार, 13 जून को पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग को मतदान प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने राज्य के हर बूथ और मतगणना केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के भी आदेश दिए हैं.
हाई कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए, बीजेपी के दिलीप घोष ने द क्विंट से कहा, "अगर केंद्रीय बल पश्चिम बंगाल में तैनात हैं, तो ही लोगों में मतदान करने की हिम्मत आएगी. नहीं तो उन्हें डराने के लिए धमकी दी जाएगी और मतदान केंद्रों के पास बम फेंके जाएंगे."
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी समर्थकों को वोट डालने से रोकने के लिए भय का माहौल बनाया जा रहा है.
"2018 के पंचायत चुनावों के दौरान भी ऐसा ही हुआ था. सब कुछ पुलिस के सामने हुआ था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. इसलिए, लोगों को राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है."
2018 के चुनावों के दौरान भी विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि TMC ने उनके उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोका था और बड़े पैमाने पर हिंसा और बूथों पर धांधली की थी.
हालांकि, टीएमसी ने चुनाव में जीत हासिल की थी और 95 प्रतिशत सीटों पर कब्जा जमाया था. जिनमें से 34 प्रतिशत निर्विरोध रहीं.
हालांकि, केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर हाई कोर्ट के आदेश से TMC को फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है.
शांतनु सेन ने कहा, "2021 के विधानसभा चुनावों और उसके बाद के कई उपचुनावों के दौरान केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था. लेकिन, लोगों ने फिर भी TMC को ही जिताया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि "सुरक्षा व्यवस्था चाहे जो भी हो, लोग ममता बनर्जी को ही वोट देंगे."
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से प्रदेश में पंचायत चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों की तैनाती की अपील की थी. जिसके बाद हाई कोर्ट का फैसला आया. बता दें कि चौधरी ने शुक्रवार, 9 जून को राज्यपाल को एक पत्र लिखा था, जबकि मजूमदार ने व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर उन्हें मामले से अवगत करवाया था.
बैठक के बाद बोस ने कहा कि चुनाव के दौरान हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, राज्यपाल ने शनिवार को कहा कि "पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराए जाएंगे. किसी भी कीमत पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. मैंने राज्य चुनाव आयुक्त के साथ बैठक की और शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे."
पंचायत चुनाव का क्या महत्व है?
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जनता के मूड को भांपने के लिए एक लिटमस टेस्ट के रूप में काम करेगा. इसके अलावा, पंचायत चुनावों में सफलता पार्टियों को लोकसभा चुनावों के लिए जमीनी स्तर पर मतदाताओं को जुटाने में मदद करेगी.
इसलिए, पश्चिम बंगाल के सभी प्रमुख राजनीतिक दल - TMC, बीजेपी, कांग्रेस और लेफ्ट पूरी ताकत झोंके हुए है.
2018 और 2021 पंचायत चुनावों में जीत के बाद से अब TMC के सामने कई चुनौतियां हैं. पार्टी कथित कर्मचारी चयन आयोग (SSC), कोयला और पशु-तस्करी घोटालों सहित कई विवादों के केंद्र में है.
सौगत रॉय ने पंचायत चुनावों में TMC की जीत का दावा किया है. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सौम्या आइच ने कहा कि परिणाम सत्ताधारी पार्टी के लिए चौंकाने वाला होगा.
दूसरी ओर, बीजेपी के दिलीप घोष ने कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी के बाद बीजेपी ही एकमात्र विकल्प है.
पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को एक ही चरण में 63,283 सीटों वाली 3,317 ग्राम पंचायतों में चुनाव होंगे. 11 जुलाई को नतीजे घोषित किए जाएंगे. चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख गुरुवार, 15 जून है.
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