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राजस्थान में बीजेपी को इतनी करारी हार का सामना क्यों करना पड़ा? 

वसुंधरा राजे के नेतृत्व को राजस्थान की जनता ने खारिज कर दिया

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राजस्थान चुनाव में बीजेपी को भारी झटका लगा है. वसुंधरा राजे की लीडरशिप को राज्य के वोटरों ने नकार दिया है. कांग्रेस 102 सीटों के साथ ही बहुमत के करीब पहुंच गई है और बीजेपी खिसक कर 72 सीटों पर आ गई है. 25 सीटों पर अन्य उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. अगर इन सारे उम्मीदवारों का समर्थन भी बीजेपी को मिल जाए तो भी वह सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होगी.

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राज्य के वोटरों ने साफ कर दिया है कि वह सरकार की नीतियों से खफा रही है. राज्य में वसुंधरा की लोकप्रियता घटी है.

राजे के 12 मंत्री हारने की कगार पर

राजे ने अपनी झालरा पाटन सीट पर बढ़त बनाई हुई है, लेकिन उनके करीब 12 मंत्री अपनी सीट हारने की कगार पर हैं. इनमें राज्य के गृहमंत्री, ट्रांसपोर्ट मंत्री, जल संसाधन मंत्री, कृषि मंत्री, शहरी विकास मंत्री, गौपालन मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, सहकारिता मंत्री, माइंस मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, इंडस्ट्री मंत्री शामिल हैं.

राजस्थान में बीजेपी को 2008 में 78 सीटें मिली थीं लेकिन 2013 में इसने दोगुने से भी ज्यादा 163 सीटें जीती. 2013 में बीजेपी को राजस्थान में 45.17 फीसदी वोट मिले थे. वहीं जिस कांग्रेस को 2013 में सिर्फ 21 सीटें मिली थीं वह अब 102 सीटों पर आगे चल रही है.

राजस्थान में बीजेपी की हार की वजहें

राजस्थान में कोई भी पार्टी लगातार दो बार सरकार बनाने में कामयाब नहीं रही है. पिछली बार बनी बीजेपी सरकार को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा था. इसके अलावा मुख्यमंत्री की लोकप्रियता लगातार कम होती जा रही थी. किसानों के अंसतोष का भी बीजेपी के प्रदर्शन पर असर पड़ा. साथ ही बीजेपी को इस बार बागी उम्मीदवारों की भी चुनौती झेलनी पड़ी.

अब सवाल यह है कि राजस्थान में कांग्रेस का सीएम कौन होगा. कांग्रेस की बढ़त को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि मुख्यमंत्री का मामला आपके सामने नहीं कहूंगा और यह राहुल गांधी की मेहनत है. वहीं सचिन पायलट ने कहा, सीएम का फैसला आलाकमान करेगा.

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