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CAA के खिलाफ भड़काने वाले सावधान होकर सुन लें, सरकार निपटना जानती है - CM योगी

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, असदुद्दीन ओवैसी एसपी के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं.

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कृषि कानूनों (Farm Laws) की वापसी के बाद अब सीएए (CAA) को लेकर फिर से आवाजें उठने लगी हैं. हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कृषि कानूनों की वापसी के बाद सीएए का जिक्र किया था. अब इसे लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधा है.

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यूपी चुनाव से पहले छिड़ी इस बहस को लेकर कानपुर में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि,

आज मैं यहां पर उस व्यक्ति को चेतावनी देना चाहूंगा जो सिटीजनशिप एमेडमेंट एक्ट के नाम पर फिर से भावनाओं को भड़काने का काम कर रहा है. मैं इस अवसर पर चचा जान और अब्बा जान के अनुयाइयों से कहूंगा कि, वो सावधान होकर सुन लें. अगर प्रदेश की भावनाओं को भड़काकर माहौल खराब करोगे तो फिर सख्ती के साथ सरकार निपटना भी जानती है.
योगी आदित्यनाथ, सीएम, यूपी

उन्होंने आगे कहा कि, व्यक्ति जानता है कि ओवैसी समाजवादी पार्टी के एजेंट बनकर प्रदेश में भावनाओं को भड़काने का काम कर रहे हैं.

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ओवैसी ने क्या कहा था ?

तीन कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद ओवैसी ने एंटी CAA आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा था कि इसके खिलाफ हुए आंदोलन से ये सुनिश्चित हुआ कि एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) ठंडे बस्ते में चला गया.

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मुनव्वर राणा ने भी दिया था बयान

मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने कृषि कानून वापसी के बाद सीएए-एनआरसी पर कहा था कि जो दुनिया चाहेगी इसका वही होगा, अकेले PM मोदी के चाहने से कुछ नहीं होगा.

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19 नवंबर को वापस लिए गए तीन कृषि कानून

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे थे, जिन्हें 19 नवंबर को पीएम मोदी ने वापस लेने का ऐलान कर दिया. कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान करीब 700 किसानों की मौत हुई, ऐसा दावा किसान नेता करते हैं. उसके बाद ये फैसला लिया गया है. अब सीएए को लेकर भी काफी बातें हो रही हैं, क्योंकि इसका भी भारी विरोध हुआ था.

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क्या है सीएए (CAA)

नागरिकता संशोधन कानून 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है. पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना जरूरी था. इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है.

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विवाद क्यों है?

विपक्ष समेत कई लोगों का सीएए पर विरोध ये है कि इसमें खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है. उनका तर्क है कि ये संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है, क्योंकि इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है.

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