राजस्थान (Rajasthan) के धौलपुर शहर में 28 साल के नमो नारायण मीणा ने सरकारी नौकरी (Government Job) ना मिल पाने की वजह से अपने घर में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. जानकारी के मुताबिक आदिवासी समुदाय के नारायण मीणा पिछले 10 सालों से सरकारी नौकरी की पाने की कोशिश कर रहे थे.
राजस्थान में अनुसूचित जनजाति के रूप में पहचाने जाने वाले उनके परिवार के मुताबिक नमो नारायण ने एक नोट छोड़ा था, जिसमें दावा किया गया था कि पिछली बीजेपी राज्य सरकार आयुर्वेद कंपाउंडर रिक्तियों की घोषणा करती रही, लेकिन उन पदों के लिए कभी भी नियुक्त नहीं की गई थी.
पुलिस की जांच जारी
बीजेपी सरकार के कार्यकाल का जिक्र करते हुए नमो नारायण मीणा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि-
"उस सरकार के पांच साल अकाल की तरह बीत गए, मैंने 2012 से इंतजार किया और अपने परिवार के पैसे बर्बाद करता रहा."
आयुर्वेद नर्स यूनियन, राजस्थान के अध्यक्ष धनुष राम मीणा के मताबिक, अशोक गहलोत सरकार ने 2013 में आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी नर्सों / कंपाउंडरों के लिए 1,600 रिक्तियों की घोषणा की थी. दिसंबर 2013 में चुनी गई नई बीजेपी सरकार ने इन रिक्तियों को भरने का वादा किया था, लेकिन बाद में इनमें से एक हजार को कम कर दिया गया और केवल 600 पदों को बाकी रखा गया जो 2018 तक भरे गए थे.
नमो नारायण के परिवार का दावा है कि नमो नारायण अधर में लटके 1,000 लोगों में से थे. धनुष राम ने बताया कि जब तक नई भर्तियां आई तब तक नमो नारायण ने अपने जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी डिप्लोमा में जो अंक हासिल किए थे, वे कट ऑफ में नहीं आये.
इस बीच एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि परिवार ने "मकान मालिक को सूचित किए बिना" नमो नारायण के शव को "चुपचाप" बाहर निकाला. धौलपुर कोतवाली एसएचओ अध्यातम गौतम ने कहा, “उसके रिश्तेदार आए और उसे ले गए. उन्होंने मकान मालिक को सूचित नहीं किया और हमें बाद में पता चला कि रिश्तेदारों ने जो कहा है, उसके अनुसार उसकी मौत हो गई. हमने सीआरपीसी 174 के तहत मामला दर्ज किया है. यह एक संदिग्ध मामला लगता है क्योंकि परिवार ने एक सुसाइड नोट बरामद किया था, आगे की जांच जारी है.
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