असम में 31 दिसंबर को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) जारी किया जाएगा. गृह मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, एनआरसी के पहले ड्राफ्ट में जिन लोगों का नाम नहीं है, उन्हें घबराने की जरुरत नहीं है. उन्हें अपना परिचय दस्तावेज साबित करने के लिए पर्याप्त मौके दिए जाएंगे.
एनआरसी के पहले ड्राफ्ट के जारी होने से पहले असम में सैनिकों को तैयार रखा गया है. राज्य में 45,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.
‘सबके साथ समान व्यवहार’
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि सभी मजहब, जाति-समुदाय और भाषा से आने वाले लोगों के साथ समान व्यवहार किया जा रहा है. लोगों को समान अवसर देकर सभी के साथ न्याय किया जाएगा.
उन्होंने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, किसी को भी मन में यह विचार नहीं लाना चाहिए कि किसी के साथ या किसी खास समुदाय के साथ भेदभाव हो सकता है. सभी को समान दृष्टि से देखा जाता है और अगर पहली सूची में किसी भारतीय नागरिक का नाम नहीं है तो उसे अपना पहचान दस्तावेज साबित करने के पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे.
एनआरसी राज्य के नागरिकों की सूची होती है और असम के लोग इससे संबंधित मसौदा प्रकाशित होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. पहले मसौदे के बाद अंतिम सूची जारी करने से पहले दूसरा और तीसरा मसौदा प्रकाशित किया जाएगा.
पूरी तैयारी
गृह मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि राज्य के जिन हिस्सों में मसौदा सूची से संदिग्ध नागरिकों के नाम बाहर किए जा सकते हैं, वहां संभावित तनाव होने की खुफिया जानकारी मिली है. किसी भी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी की गई है. राज्यभर में पुलिस बलों को तैनात किया गया है.
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बुधवार को कहा था कि जिन वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम इस सूची में नहीं हैं, उन्हें अपना नाम रजिस्टर में शामिल कराने के लिए पर्याप्त अवसर मिलेंगे.
असम में बांग्लादेश से नागरिक आते रहे हैं. मौजूदा प्रक्रिया साल 2005 में कांग्रेस शासन के दौरान शुरु हुई थी और बीजेपी के सत्ता में आने के बाद इसमें तेजी आई. इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रख रहे सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 31 दिसंबर तक एनआरसी का पहला मसौदा प्रकाशित किया जाए.
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(इनपुटः PTI से)
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