बिहार (Bihar) में बदहाल चिकित्सा व्यवस्था की एक और तस्वीर सामने आई है. मधेपुरा (Madhepura) के सदर अस्पताल में अन्य सुविधाएं तो दूर यहां रोशनी का भी इंतजाम नहीं है. रविवार,16 अक्टूबर को अस्पताल की बिजली चली गई. जिसके बाद मरीजों का इलाज टॉर्च की रोशनी में हुआ. वहीं अंधेरे में मरीज छटपटाते दिखे.
सरकार के दावों की खुली पोल
एक तरफ बिहार के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया करवाने का दावा कर रहे हैं. रात को अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ राजधानी पटना से दूर मधेपुरा से आई एक तस्वीर ने सरकारी दावों की पोल खोल दी है.
दरअसल, रविवार को मधेपुरा सदर अस्पताल की बिजली कई घंटो तक गुल रही. अस्पताल में जेनरेटर की व्यवस्था नहीं होने के कारण शाम से लेकर देर रात तक डॉक्टरों को मोबाइल की रोशनी में ही मरीजों का इलाज करना पड़ा. अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड सहित सभी वार्डों में बिजली गायब रही. बिजली नहीं रहने के कारण मरीज और उनके परिजन परेशान होते रहे. इस दौरान कई मरीज अस्पताल के बेड पर छटपटाते हुए दिखे.
अस्पताल प्रशासन ने नहीं ली मरीजों की सुध
अस्पताल पहुंचे लोगों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने उनकी सुध तक नहीं ली. एक महिला ने बताया कि, इमरजेंसी लाइट भी उन्हें खुद ही खरीदना पड़ा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डॉक्टर भी टाइम से इलाज के लिए नहीं आते हैं.
वहीं एक अन्य शख्स ने कहा कि, अस्पताल में मरीजों को कोई देखने वाला नहीं है. मच्छर और बदबू से मरीज परेशान हैं.
वहीं अस्पताल कर्मचारियों से जब इस बाबत जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि बिजली आपूर्ति बंद है. प्रबंधन को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
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