नीतीश सरकार के फ्लोर टेस्ट से पहले बिहार (Bihar) विधानसभा के स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. बिहार विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ बीजेपी विधायक नंदकिशोर यादव ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया और ये प्रस्ताव विधानसभा से पास हो गया. वोटिंग के दौरान उनको हटाने के पक्ष में 125 वोट और 112 वोट विपक्ष में पड़े. जिसके बाद अवध बिहारी चौधरी को स्पीकर पद से हटा दिया गया.
नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ सरकार बनाते ही स्पीकर अवध बिहारी चौधरी को हटाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भिजवा दिया था.
12 फरवरी को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही अवध चौधरी ने ये पद छोड़ दिया.
अवध बिहारी चौधरी ने पद छोड़ते समय कहा..
''डेढ़ साल तक मैं इस पद पर रहा. सर्वसम्मति से इस आसन पर बैठाया था. मैं सीएम और डिप्टी सीएम के प्रति आभार प्रकट करता हूं, मेरे दल के नेता लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी का भी आभार प्रकट करता हूं.”
उन्होंने आगे कहा "राजनीति आंकड़ों का खेल है. सत्ता आएगी और जाएगी. सदन की सर्वभौमिकता बरकरार रहेगी. आज जो है, वो कल नहीं होगा. मैंने अपने कर्तव्य का पालन किया है."
अवध बिहारी चौधरी कौन हैं?
अवध बिहारी चौधरी का जन्म 17 अगस्त 1954 को बिहार के सिवान में हुआ था. उन्होंने छात्र जीवन से राजनीति में कदम रख दिया था. ये अपना डीएवी कॉलेज सीवान के छात्र संघ के जनरल सेक्रेटरी पद का चुनाव जीते. वर्ष 1977 में ग्राम पंचायत राज जियांय से मुखिया के पद पर निर्वाचित हुए.
अवध बिहारी चौधरी सीवान सदर विधानसभा क्षेत्र से पांच बार रहे विधायक रहे हैं. वे वर्ष 1985 में सीवान सदर विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए थे. अवध बिहारी चौधरी को आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव का काफी करीबी माना जाता है.
वे दो बार आरजेडी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. उस समय लोकदल में रहते हुए एकीकृत जनता पार्टी के विधायक रहे. उन्हें राबड़ी देवी की सरकार में शिक्षा मंत्री भी बनाया गया था.
चौधरी 2014 के बाद आरजेडी का दामन छोड़ जदयू में शामिल हो गये थे. हालांकि, 2017 में उनकी दोबारा आरडे़ी में वापसी हुई थी. 2022 में भी जब नीतीश ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया था, तो उस वक्त भी अवध बिहारी चौधरी को विधानसभा स्पीकर बनाया गया गया.
कब-कब रहे विधायक:
पहली बार 1985 से 1990 तक लोकदल में रहते हुए एकीकृत जनता पार्टी के विधायक रहे.
दूसरी बार 1990 से 1995 तक बिहार राज्य वित्त निगम के अध्यक्ष रहे.
तीसरी बार विधायक चुने जाने पर 1995 से 2000 तक लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री रहे.
चौथी बार 2000 से 2005 तक ग्रामीण विकास विभाग के के कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य संभाला. इस दौरान परिवहन तथा खाद्य आपूर्ति मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी इन्होंने संभाला.
पांचवी बार पुन: 2020 में उन्हें सीवान से फिर विधायक विधायक बने और सदन पहुंचे.
अवध बिहारी चौधरी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के दूसरे विधानसभा अध्यक्ष थे. इससे पहले 1995 से 2000 तक आरजेडी नेता देवनारायण यादव विधानसभा अध्यक्ष रहे थे.
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